छोटी कंपनियों ने बड़ी कंपनियों की तुलना में अपने शुद्ध मुनाफे का बड़ा हिस्सा चुनावी बॉन्ड के रूप में राजनीतिक दलों को चंदा दिया है। देश की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों ने पिछले चार वर्षों में अपने कुल मुनाफे का महज 0.2 फीसदी के बराबर ही चंदा दिया है, जबकि, 10 सबसे कम मूल्यवान कंपनियों ने 14.8 फीसदी दान किया। यह जानकारी उन 95 सूचीबद्ध कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है जिनके बारे में भारतीय स्टेट बैंक के खुलासे से जानकारी मिली है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की है। हालांकि, यह संख्या व्यापक नहीं है, लेकिन इससे बड़ी कंपनियों के व्यापक रुझान का संकेत तो मिलता ही है।
बाजार मूल्यांकन के हिसाब से 10 बड़ी कंपनियों ने करीब 362 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। पिछले चार वर्षों में इनका मुनाफा 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। वहीं बाजार मूल्यांकन के हिसाब 10 छोटी कंपनियों ने राजनीतिक दलों को 125 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। इन चार वर्षों में उनका लाभ सिर्फ 844.5 करोड़ रुपये रहा।
कई कंपनियों ने तो पिछले चार वर्षों के दौरान अपने मुनाफे से अधिक का चंदा दे दिया है। ऐसी 10 कंपनियां हैं जिन्होंने चार वर्षों के दौरान कमाए शुद्ध लाभ से अधिक राजनीतिक दलों को चंदा दे दिया है। इन कंपनियों के वित्तीय आकंड़ों से यह जानकारी मिली है। इन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कुल मिलाकर 240 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा दिया।
करीब 4 कंपनियों ने बीते 5 वर्षों के अपने मुनाफे का 5 फीसदी के बराबर या उससे ज्यादा रकम राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में दीं। दो कंपनियों के मामले में यह दो अंकों में था, जबकि एक कंपनी ने शुद्ध लाभ का 52 फीसदी हिस्सा राजनीतिक दलों को दान कर दिया।
बाजार मूल्यांकन के हिसाब से निचले स्तर की आधी कंपनियों की हिस्सेदारी उन कंपनियों की तुलना में दोगुनी थी, जिन्होंने बीते चार वर्षों के दौरान अपने कमाए हुए लाभ से ज्यादा दान दिया था।