ऊंची ब्याज दरें, जमीन पर प्रीमियम और न्यूनतम भत्ते में लगातार बढ़ोतरी ने मध्य प्रदेश में भोपाल के करीब मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र के विकास को रोक सा दिया है। इससे परेशान होकर उद्योगपतियों ने राज्य सरकार से तत्काल उनकी समस्याओं का निदान करने की मांग की है।
मंडीदीप में अखिल उद्योग संगठन के सचिव मनोज मोदी ने बताया, ‘मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम ने जिस जमीन का विकास किया है उस पर जो प्रीमियम वसूला जाता है, वह दूसरे राज्यों की तुलना में 10 गुना अधिक है। दूसरे राज्यों में जिला उद्योग केंद्रो की ओर से इससे कम रकम वसूली जाती है। यही वजह है कि मंडीदीप में बीमार इकाइयों का अधिग्रहण कम ही देखने को मिलता है।’
इसके अलावा अगर पारिवारिक कारोबार में जमीन का हस्तांतरण किया जाता है तो इसके लिए भी राज्य सरकार काफी रकम वसूलती है। उन्होंने कहा, ‘भारत में यह काफी सामान्य है कि पिता अपना कारोबार या जमीन अपने बेटों को हस्तांतरित करता है, राज्य सरकार को इसे तोहफे के तौर पर ही देखना चाहिए।’
मंडीदीप भोपाल के करीब एक औद्योगिक गांव है, जहां ल्यूपिन, गोदरेज, टेफ और एचईजी जैसी कंपनियों की मौजूदगी है। यहां से हर साल करीब 2,000 करोड रुपये के उत्पादों का निर्यात होता है। हालांकि ढीले ढाले उद्योग नियमों ने स्थानीय छोटे और मझोले उद्योगों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मोदी ने कहा, ‘पूरे देश में जहां बैंक 8 फीसदी जैसी कम दर पर ऋण दे रहे हैं, वहीं राज्य सरकार बिक्री कर का देर से भुगतान करने की स्थिति में 18 फीसदी का सरचार्ज वसूल रही है। यहां तक कि केंद्र सरकार भी 13 फीसदी की दर से ही सरचार्ज वसूल रही है। राज्य सरकार को सरचार्ज को घटाकर कम से कम केंद्र के बराबर कर देना चाहिए।’
इसके अलावा मध्य प्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक नयूनतम भत्ता दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही राज्य ने उन औद्योगिक इकाइयों के लिए न्यूनतम भत्ता नियम लागू कर दिया है, जिनमें 20 से अधिक मजदूर काम करते हैं।
संगठन का कहना है, ‘सरकार की योजना अब उन औद्योगिक इकाइयों के लिए भी इस नियम को लागू करने की है जिसमें 10 या उससे अधिक मजदूर काम करते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह एसएमई और छोटे उद्योगों के लिए मुश्किल होगा। न्यूनतम भत्ते की दर उन्हीं इकाइयों के लिए लागू होनी चाहिए जहां कम से कम 50 मजदूर काम कर रहे हैं।’