कैंपस में पसरा सन्नाटा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 6:45 PM IST

मंदी की मार ने नौकरी के सुनहरे सपने देखने वाले नए स्नातकों को लीलना भी शुरु कर दिया है। इसका ताजा उदाहरण आईआईटी कानपुर में नौकरी न मिलने से परेशान एमटेक छात्र द्वारा आत्महत्या किया जाना है।


गौरतलब है कि कानपुर के 27 व्यवसायिक शैक्षिक संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्रो की सांसे भी मंदी के चलते अधर में लटकी हुई है। वीरेन्द्र स्वरूप इंस्टीटयूट ऑफ कंप्यूटर साइंस (वीएसआईसीएस) में एमसीए (मास्टर ऑफ क म्प्यूटर एप्लीकेशन) के छात्र तनेश वर्मा का कहना है कि मैंने अपनी पढ़ाई के लिए बैंक से ऋण ले रखा है।

इस ऋण की पूर्ति मैं नौकरी करने के बाद ही कर पाउंगा। लेकिन सॉफ्टवेयर इंडस्ट्र्री में आई मंदी के कारण मुझे नौकरी मिलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। तनेश का कहना है कि मुझे तो सॉफ्टवेयर कंपनियों में इंटर्नशिप का मिलना भी मुश्किल नजर आ रहा है।

हमारे संस्थान के प्लेसमेंट में ही 5 फीसदी से 60 फीसदी तक की कमी आ गई है। कई कंपनियां इंटर्नशिप कर रहे छात्रों को मानदेय देने की जगह, नौकरी देने के नाम पर पैसे की उगाही भी कर रही है। एक छात्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कुछ कंपनियां तो इंटर्नशिप देने के लिए भी 60,000 हजार रुपये की मांग कर रही हैं।

इस पर भी पक्की तौर पर नौकरी मिलने की कोई संभावना नहीं है। छात्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह भी बताया कि अगर इंटर्नशिप नहीं मिलती है तो हमें डिग्री नहीं दी जायेगी। डिग्री लेने के लेने इंटर्नशिप करना जरूरी है।

First Published : January 7, 2009 | 8:40 PM IST