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बकाया ऋणों का पुनर्भुगतान नहीं होगा पैकेज में

Last Updated- December 05, 2022 | 4:24 PM IST

बजट की सबसे ऐतिहासिक घोषणाओं में कृषि ऋण के तौर पर 60,000 करोड़ रुपये की माफी काफी सुर्खियों में है। हो भी क्यों ना,आखिर बजट के रुप में वित्त मंत्री ने मानिए चुनाव घोषणा पत्र ही जारी कर दिया। लिहाजा इस माफ की गई राशि के तहत वास्तविक राशियों की ही अदायगी की जाएगी। यह सरकार  द्वारा जारी कोई विशेष प्रतिभूति नहीं होगी।
इस पैकेज के तहत बैंकों के केवल मूलधनों की हीं उगाही संभव हो पाएगी,जो 4 करोड छोटे और सीमांत किसानों के बीच दी गई है।
किसानों को यह राहत कुछ शर्तों पर दी गई है। इन शर्तों के मुताबिक किसानों को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे कुछ नियत समय तक इस तरह के कर्ज माफी सुविधाओं का फिर से इस्तेमाल नहीं करेंगे। बैंकों को इन राशियों का भुगतान 30 जून 2008 से तीन साल बाद किया जाएगा। ये 60,000 करोड़ रुपये इन बैंकों को तीन भागों में दिया जाएगा। इसी प्रकार बांड कंपोनेंट की भी अदायगी 2011 तक कई भागों में की जाएगी।
एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक इस पैकेज से निजी क्षेत्रों के बैंकों को जो खामियाजा उठाना पड़ा है,उसकी भरपाई सरकार करेगी। उन्होंने बताया कि इस घोषणा से बैंक की स्थिति मजबूत होगी,क्योंकि इस ऋणों में कुछ तो ऐसी थी,जो डूबे हुए कर्ज के रुप में चिह्नित की जा चुकी थी।
अधिकारियों के मुताबिक इस पैकेज को अमली जामा पहनाने में थोड़ा वक्त लगेगा। राजस्व घाटे को नियंत्रित रखते हुए इस पैकेज के बोझ को कम करना एक बहुत बड़ी चुनौती होगा। 30 जून 2008 तक के सारे कर्ज इस पैकेज के तहत माफ करने की योजना पर विचार किया जा रहा है। दरअसल 31 मार्च 2007 तक अनुसूचित बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक  और सहकारी बैंकों द्वारा दी जाने वाली राशि,जो 31 दिसंबर 2007 तक बकाया है,
ही इस पैकेज के तहत माफ होगी।

First Published - March 2, 2008 | 8:46 PM IST

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