उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने लगातार दूसरे साल बिजली उपभोक्ताओं को राहत दी है। नियामक आयोग के फैसले के मुताबिक इस साल भी उत्तर प्रदेश में बिजली दरें नहीं बढ़ेंगी। ग्रामीण किसानों को भी नियामक आयोग ने राहत दी है। आयोग ने बिजली कंपनियों के 10 से 12 फीसदी तक रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया है।
नए आदेश के मुताबिक ग्रामीण किसानों का टयूबबेल मीटर्ड होने की दशा में भी उनसे अनमीटर्ड 170 रुपये प्रति हॉर्स पावर की दर से ही वसूली की जाएगी। नियामक आयोग की ओर जारी शुल्क के बाद राज्य उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में कमी के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा के मुताबिक बिजली कंपनी पर उपभोक्ताओं का अब तक कुल लगभग 20,559 करोड़ रुपये के एवज में कमी किए जाने का मुद्दा उठाया जाएगा।
गुरुवार को उत्तर प्रदेश की पांचों बिजली कंपनियो – मध्यांचल, पूर्वांचल, दाक्षिरान्चल, पक्षिमांचल एवं केस्को की ओर से वर्ष 2021-22 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता व शुल्क प्रस्ताव सहित स्लैब परिवर्तन आज विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आर पी सिंह व सदस्यों केके शर्मा और वीके श्रीवास्तव के पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए यह आदेश जारी किया है कि इस वर्ष बिजली दरों में कोई भी बदलाव नही किया जायेगा वर्तमान में लागू शुल्क ही आगे जारी रहेगा।
आयोग ने बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन व रेगुलेटरी असेट को पूरी तरह से अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया। वहीं वर्ष 2021-22 व ट्रू-अप 2019-20 के लिये बिजली कंपनियों द्वारा निकाली गई भारी भरकम धनराशि को समाप्त कर दिया गया है। बिजली कंपनियों की ओर से 10 से 12 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज लगवाने के लिए नियामक आयोग में रेगुलेटरी असेट के रूप में 49,827 करोड़ रुपये दाखिल कर दिया गया था। जिसे विद्युत नियामक आयोग द्वारा उचित मानते हुए बिजली कंपनियो के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
शुल्क आदेश में आयोग ने फैसला किया है कि ग्रामीण किसानों के निजी टूयूबबेल पर मीटर भले लग जाएं लेकिन अब उनसे वसूली एलएमवी 5 की निर्धारित 170 रुपये प्रति हॉर्स पावर प्रति माह की दर पर ही होगी। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष वर्मा ने बताया कि आयोग ने प्रदेश के उपभोक्ताओ का ही बिजली कंपनियो पर कुल लगभग 1,059 करोड़ रुपया सरप्लस निकाल दिया है। वहीं प्रदेश के उपभोक्ताओ का बिजली कंपनियों पर पहले भी कुल लगभग 19,537 करोड़ रुपये उदय योजना का और ट्रू अप में निकला था। अब सब मिलाकर देखा जाए तो प्रदेश के उपभोक्ताओ का बिजली कंपनियो पर कुल लगभग रुपया 20,596 करोड़ रुपया सरप्लस हो गया है। जल्द ही उपभोक्ता परिषद् पूरे शुल्क का अध्यन कर उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा ।
आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि स्मार्ट मीटर पर आने वाले सभी खर्च को उपभोक्ताओं को नही देना होगा।