नई फंड पेशकश (एनएफओ) अवधि के दौरान म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं द्वारा एकत्रित धन का समय पर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सेबी ने फंड प्रबंधकों के लिए 30 दिन की समय सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया है। मौजूदा समय में, एनएफओ से मिलने वाली रकम के इस्तेमाल के लिए कोई समय-सीमा नहीं है।
नियामक द्वारा जारी परामर्श पत्र के अनुसार, फंड हाउस की निवेश समिति द्वारा कुछ निश्चित परिस्थितियों में समय-सीमा को 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है, जैसे कुछ क्षेत्रों में महंगा मूल्यांकन या बाजार पूंजीकरण, बाजार की गतिशीलता, भू-राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अनिश्चितता, विशिष्ट परिपक्वता के साथ सिक्योरिटी की अनुपलब्धता।
इसके अलावा, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों को पेशकश से पहले फंड दस्तावेजों में रकम के इस्तेमाल की समय-सीमा बतानी होगी। नियामक ने यह भी कहा कि चुनौतीपूर्ण बाजार परिवेश में एएमसी को सबसे पहले वसूली की गति धीमी कर देनी चाहिए।
सेबी के अनुसार, 30 दिन की समय-सीमा तय करने का निर्णय पिछले तीन वित्त वर्षों के एनएफओ रकम इस्तेमाल संबंधित आंकड़े के उसके विश्लेषण पर आधारित था। इससे पता चला कि 93 प्रतिशत नई पेशकशें 30 दिनों के भीतर अनिवार्य नीति के अनुसार कोष का निवेश करने में सक्षम थीं।
98 प्रतिशत योजनाएं 60 दिनों के भीतर निवेश पूरा करने में सक्षम थीं। अध्ययन से पता चला कि 647 योजनाओं में से केवल 9 को 60 दिनों से अधिक समय लगा और 5 को 90 दिनों से अधिक समय लगा।
परामर्श पत्र में कहा गया है, ‘यह देखते हुए कि एनएफओ के बाद निवेश की जाने वाली आवश्यक धन राशि का आकार काफी बड़ा हो सकता है, फंड प्रबंधकों के लिए बाजार पर अपनी रणनीति के अनुसार फंड निवेश करने के लिए स्वायत्ता की आवश्यकता होती है।
हालांकि, एएमसी को एनएफओ के माध्यम से प्राप्त आय को, निर्धारित परिसंपत्तियों में निवेश किए बिना, अनिश्चित काल तक अपने पास नहीं रखना चाहिए। इसलिए, इसके लिए एक समय-सीमा तय करना समझदारी होगी।’ यह परामर्श पत्र 20 नवंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए खुला है।