तमसो मा ज्योतिर्गमय। बिहार में कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। अंधकार में डूबा बिहार रोशनी में नहाने की तैयारी कर रहा है।
पावर प्लांट से जुड़ी 15 कंपनियों ने बिहार में बिजली उत्पादन करने की इच्छा जाहिर की है। इस वास्ते इन कंपनियों ने राज्य की निवेश समिति में अपनी पूरी परियोजना का ब्योरा सौंपा है।
अगर इन सभी कंपनियों की योजनाएं सफल हो जाती है तो बिहार में 10,000 मेगावाट से भी अधिक बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
इस दिशा में पहल भी शुरू हो चुकी है। दो दिन पहले कोलकाता स्थित आधुनिक पावर एंड नैचुरल रिसोर्सेज नामक कंपनी एवं बिहार सरकार के बीच एक करार हुआ है जिसके तहत कंपनी 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगी। फिलहाल बिहार में मात्र 15-20 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।
बिजली से जुड़ी परियोजनाओं के आने से बिहार के उद्यमियों में काफी उत्साह है। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं कि इनमें से आधी परियोजनाएं भी सफल रहीं तो बिहार अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद पड़ोसी राज्यों को भी बिजली देने की स्थिति में होगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष केपी झुनझुनवाला कहते हैं, ‘सिर्फ बिजली का ही उत्पादन नहीं होगा, बल्कि इसके लिए हजारों करोड़ रुपये का निवेश भी किया जाएगा जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।’ आधुनिक पावर ने 1000 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए 5000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है।
इसके अलावा तीन अन्य बिजली कंपनियों के साथ भी बिहार सरकार ने करार किया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड ने 1215 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए 6500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है।
बिहार के उद्यमी इन योजनाओं को लेकर भले ही उत्साहित हैं, लेकिन बायोमास के जरिए बक्सर में 1 मेगावाट बिजली के उत्पादन की तैयारी करने वाली कंपनी पूर्वांचल ऊर्जा के प्रबंधक एचके सिंह कहते हैं, ‘मैंने काम शुरू कर दिया है लेकिन पिछले बीस साल से काम के मामले में पिछड़े बिहार में काम करना आसान नहीं है। सरकारी तंत्र अभी भी अपनी मानसिकता नहीं बदल रहा है।’
पूर्वांचल ऊर्जा ने बक्सर में 4 करोड़ रुपये का निवेश किया है। बिहार में बिजली निर्माण के क्षेत्र में निवेश की इच्छुक अधिकतर कंपनियां कोलकाता की हैं।