पंजाब के पटियाला शहर में आम तौर पर चहलपहल रहती है मगर अब रविवार को चारों ओर सन्नाटा पसरा रहता है। कोविड-19 के मामले बेलगाम होने के बाद प्रशासन ने शहर में रात 9 बजे के बाद कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है। इस रविवार को 9 बजने में करीब आधा घंटा बाकी था मगर शहर के मशहूर जुत्ती बाजार में पुलिस की गश्त शुरू हो गई। पुलिसकर्मी दुकानदारों को सामान जल्द समेटने के लिए कह रहे थे। शहर के कई हिस्सों में पुलिस ने घेराबंदी कर दी है और लोगों को इन इलाकों में आने की इजाजत नहीं दे रही है।
25 साल के आकाश सिंह कर्फ्यू शुरू होने से 10 मिनट पहले एक ढाबे में घुसने की कोशिश करते हैं। मगर काउंटर पर बैठा शख्स उन्हें रोक देता है और कहता है, ‘सिर्फ पैक होगा।’ सिंह मेन्यू मांगते हैं और उसी बीच पुलिसकर्मी भी यह देखने के लिए ढाबे पर धमक जाते हैं कि भीतर बैठकर कोई खा तो नहीं रहा है। आकाश मेन्यू बता रहे वेटर को बीच में ही रोककर चिकन करी और 5 तंदूरी रोटी पैक करने के लिए कहते हैं। उनके चेहरे पर राहत झलक रही है मानो सोच रहे हों कि शहर में रात का कर्फ्यू लगने से पहले उन्हें खाना तो मयस्सर हो गया।
पटियाला पंजाब के उन सात शहरों में शामिल है जहां कोविड-19 के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। राज्य में कोविड-19 के कुल सक्रिय मामलों में करीब 73 प्रतिशत इन्हीं 7 जिलों में पाए गए हैं। कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण ने पटियाला शहर की रातों की चकाचौंध गायब कर दी है। रविवार की शाम को सड़कों पर दिखने वाली भीड़ छूमंतर हो गई है। पहले खचाखच भरे अदालत बाजार से पैदल गुजरना भी मुश्किल होता था मगर अब गाडिय़ां भी आराम से बाजार के बीचोबीच से गुजर जाती हैं। ट्रक चालक गुरपाल सिंह को भी उनकी पसंदीदा शराब का पटियाला पैग नसीब नहीं हो रहा है। रात्रि कर्फ्यू ने सप्ताहांत में दोस्तों के साथ उनकी होने वाली पार्टी भी बंद करा दी है।
कर्फ्यू से पटियाला के कारोबार को भी भारी नुकसान हुआ है। होटल-रेस्तरां उद्योग देशव्यापी लॉकडाउन के बाद धीरे-धीरे पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था मगर उम्मीदों पर फिर पानी फिरता दिख रहा है। रात्रि कफ्र्यू की वजह से इस क्षेत्र के कारोबार को 70 प्रतिशत तक नुकसान पहुंच चुका है। होटल अमर ऐंड रेस्टॉरेंट के मालिक सुरेंदर विरदी कहते हैं, ‘रोजाना 10,000 रुपये का कारोबार होता था, जो अब घटकर 3,000 रुपये का ही बचा है। हमारा काम शाम 7 बजे शुरू होकर आधी रात तक चलता है। अब 9 बजे के बाद कर्फ्यू लगने से सारा मुनाफा खत्म हो गया है।’ गली-नुक्कड़ पर सामान बेचने वालों, दूधियों, शराब की दुकान वालों, दुकानदारों और मजदूरों की कमाई भी कफ्र्यू चाट गया है।
आगरा से आकर जूते बनाने के सांचे तैयार करने वाले 45 साल के सुरेश कुमार कई दिनों से एक अदद ऑर्डर के लिए तरस रहे हैं। डबडबाई आंखों के साथ वह बताते हैं, ‘हमारे पास जूते सांचों का ढेर पड़ा है मगर कोई खरीदने ही नहीं आ रहा।’ सुरेश भी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल लगे लॉकडाउन ने पाई-पाई के लिए मोहताज बना दिया था। लॉकडाउन के बाद 10 महीने उन्हें गांव में ही गुजारने पड़े थे और इस दौरान उन पर 80,000 रुपये का कर्ज चढ़ गया था। आखिर में वह यह सोचकर पटियाला आए कि कमाई कर कर्ज उतार देंगे। वह सवालिया लहजे में कहते हैं, ‘अगर रात का कफ्र्यू नहीं लगा होता तो मैं रात में भी काम कर थोड़ी ज्यादा कमाई कर लेता। मगर ऐसा नहीं हो रहा। अब मैं कर्ज कैसे चुकाऊंगा?’
सुरेश और उनके जैसे कई कामगारों के लिए त्योहार कमाई का वक्त होते हैं मगर इस बार होली उनके लिए खुशी नहीं लाई। राहत केवल औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र में है, जहां कर्फ्यू का कोई असर नहीं पड़ा है। कारखानों में रात की शिफ्ट 9 बजे से पहले ही शुरू हो जाती है और सुबह 5 बजे के बाद तक चलती रहती है, इसलिए उस पर कफ्र्यू का असर नहीं होता। पंजाब की स्टील सिटी कहलाने वाले मंडी गोविंदगढ़ में बंसल अलॉयज ऐंड मेटल्स के निदेशक विजय बंसल कहते हैं, ‘रात्रि कर्फ्यू से हमें दिक्कत के बजाय फायदा ही हुआ है। कर्फ्यू की वजह से कोई कामगार गुटखा या शराब लेने बाहर नहीं जा पाता और समय भी बरबाद नहीं कर पाता।’
मंडी गोविंदगढ़ एशिया में इस्पात उद्योग का सबसे बड़ा क्लस्टर है। यहां इस्पात और लोहे के कबाड़ की रीसाइक्लिंग करने वाली 500 से ज्यादा छोटी और मझोली इकाइयां हैं, जिनमें 1 लाख से अधिक लोग काम करते हैं। फर्नेस एसोसिएशन मंडी गोविंदगढ़ के अध्यक्ष मोहिंदर गुप्ता बंसल की बात से सहमत हैं। लेकिन गुप्ता यह भी कहते हैं कि कर्फ्यू तो चल जाएगा मगर सरकार लॉकडाउन लगाने के बारे में न सोचे वरना कारोबार चौपट हो जाएगा। आर्थिक गतिविधियां संकेत दे रही हैं कि कोविड-19 महामारी से कारोबार का जो बुरा दौर शुरू हुआ था, वह बीत गया है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 0.4 प्रतिशत रही है। मगर कोविड-19 के फिर सिर उठाने से आर्थिक रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।अलबत्ता नोमुरा की एक रिपोर्ट में दीर्घ अवधि के नुकसान की बात नकार दी गई है। मगर मोहित अग्रवाल लिकर फ्रैंचाइज के प्रोप्राइटर रिंकू सिंगला का कहना है कि नोमुरा की रिपोर्ट सही तस्वीर बयां नहीं कर रही है। पटियाला में शराब की 20 से अधिक दुकानें चलाने वाले गुप्ता कहते हैं कि कोविड-19 रोज नई चुनौतियां ला रहा है, जिससे उनके कारोबार के लिए मुश्किल खड़ी हो गई हैं। वह कहते हैं, ‘बिक्री पहले ही 20 प्रतिशत कम थी। कफ्र्यू की वजह से 40 प्रतिशत तक कमी आ गई है। संक्रमण इसी तरह बढ़ता रहा तो दुकानें बंद हो जाएंगी।’