मुंबई सेज के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। महाराष्ट्र सरकार के सिंचाई विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल सितंबर में रायगढ़ जिले के जिन 22 गांवों में रायशुमारी कराई गई थी, उनमें से केवल 8 ही ऐसे हैं जिन्हें सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
इस खबर से जहां मुंबई सेज प्राइवेट लिमिटेड (एमएसईजेडपीएल) के प्रवर्तकों के चेहरों पर खुशी देखने को मिलेगी, वहीं सेज का विरोध कर रहे खेमे में मायूसी छा सकती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी के करीबी आनंद जैन की कंपनी एमएसईजेडपीएल रायगढ़ जिले में 10,000 हेक्टेयर जमीन पर सेज का विकास कर रही है।
इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार ने 45 गांवों को अधिसूचित किया है। हालांकि किसानों और सेज विरोधी खेमे के विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने हतवाणे बांध के सिंचित क्षेत्र में 22 गांवों में रायशुमारी कराई थी।
सेज का विरोध कर रहे गुट का कहना था कि ये जमीन सिंचाई क्षेत्र में आती है और सेज पर केंद्र सरकार की नीति के अनुसार यहां सेज नहीं बनाया जाना चाहिए। सिंचाई विभाग ने यह रिपोर्ट जिलाधिकारी के पास जमा कराई है, जिन्हें इस बारे में अभी अपनी राय देनी है।
21 सितंबर को कराई गई इस रायशुमारी के मुताबिक कुल 1470 करोड़ घन मीटर पानी में से केवल 530 करोड़ घन मीटर पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध है। इस उपलब्ध पानी से 3,608 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जा सकती है।
सेज के विकास के लिए जिन गांवों को अधिसूचित किया गया है उनमें से 8 गांवों की 645.67 हेक्टेयर जमीन ही सिंचाई योग्य जमीन की सूची में आती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बाकी 14 गांवों में सिंचाई नहीं की जा सकती है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर इस 3,608 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जानी है तो बांध की बाईं नहर को 30 किलोमीटर और दाहिनी नहर को 25 किमी लंबा करना होगा।
पर जिन किसानों की जमीन को नहर बनाने के लिए अधिसूचित किया गया है उनके विरोध के कारण बाईं नहर में 23 किमी और दाएं नहर में 20 किमी का ही काम पूरा हो पाया है।
रिपोर्ट के अनुसार जमीन अधिग्रहण के 41 मामले जिला प्रशासन के पास अभी भी लंबित पड़े हैं। सेज का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को अब यह चिंता सता रही है कि राज्य सरकार इस रिपोर्ट का इस्तेमाल कर उनकी उस मांग को ठुकरा सकती है जिसमें इन 22 गांवों में सेज का विकास नहीं करने को कहा गया था।
इस खेमे ने बीते शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री अजित पवार से मिलकर इन गांवों में जमीन का अधिग्रहण नहीं करने की मांग की थी। उन्होंने सिंचाई विभाग पर सेज परियोजना को लाभ पहुंचाने के लिए सिंचाई के लिए तय जल की मात्रा कम करने का आरोप भी लगाया।
पीपुल अंगेस्ट ग्लोबलाइजेशन की संयोजक उलका महाजन ने बताया, ’18 दिसंबर 2007 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी।
इस बैठक में अतिरिक्त जल को औद्योगिक कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए आरक्षित रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इस कारण सिंचाई के लिए उपलब्ध होने वाले पानी की मात्रा घट गई है।’
सेज के लिए अधिसूचित 22 गांवों में से 8 गांवों में ही सिंचाई की व्यवस्था है
सेज विरोधी खेमे के लिए रायशुमारी की रिपोर्ट है एक बड़ा झटका