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मोमेंटम आधारित फैक्टर फंड: जो​खिम ज्यादा मगर लंबी अव​धि में ऊंचे रिटर्न का फायदा; निवेश से पहले समझें रणनीति

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के बिजनेस हेड प्रतीक ओसवाल ने कहा, 'बाजार में गिरावट के दौरान मोमेंटम फंड में निफ्टी 50 फंड के मुकाबले गिरावट भी अधिक होगी।

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हिमाली पटेल   
Last Updated- September 29, 2024 | 11:24 PM IST

मोतीलाल ओसवाल और निप्पॉन इंडिया के निफ्टी 500 मोमेंटम 50 सूचकांक पर आधारित इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के लिए नई पेशकश (NFO) हाल में आई थी। खास तौर पर मोमेंटम रणनीति पर चलने वाले फैक्टर फंड तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। ‘व्हेयर द मनी फ्लो’ शीर्षक के तहत मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, फैक्टर फंड में 2024-25 की अप्रैल से जून तिमाही में 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। इसमें से करीब आधा निवेश मोमेंटम आधारित फंड से आया जिनका प्रदर्शन पिछले एक साल के दौरान अच्छा रहा है।

सबसे पहले यह समझते हैं कि फैक्टर फंड क्या होते हैं?

तो आप यह जानते होंगे कि परंपरागत पैसिव फंड बस किसी इंडेक्स की निगरानी करते हैं, लेकिन फैक्टर आधारित फंड शेयरों के चयन के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों पर काम करते हैं। मोमेंटम आधारित फैक्टर फंड ऐसे म्युचुअल फंड होते हैं जो किसी कंपनी के शेयर में उसकी कमाई या कीमत की गति के रुख के आधार पर निवेश करते हैं।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के कारोबार प्रमुख (पैसिव फंड) प्रतीक ओसवाल ने कहा, ‘भारत में फैक्टर निवेश तेजी से बढ़ रहा है। फैक्टर फंडों में मोमेंटम सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय रणनीति है।’

क्या है मोमेंटम रणनीति

मोमेंटम आधारित फैक्टर सूचकांक निफ्टी 200 अथवा निफ्टी 500 जैसे सूचकांकों से शेयरों का चयन करता है। यह पिछले 6 महीनों अथवा 12 महीनों के दौरान मूल्य में सबसे अधिक वृद्धि दिखाने वाले शेयरों पर ध्यान केंद्रित करता है।

फंड्सइंडिया के अनुसंधान प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, ‘मोमेंटम की कुछ रणनीतियां केवल मोमेंटम पर निर्भर नहीं होती हैं बल्कि अल्फा पर भी विचार करती हैं, जबकि अन्य रणनीतियों के तहत उन शेयरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जिनमें उतार-चढ़ाव को समायोजित करने के बाद उच्च रिटर्न दिखता है।’

मोमेंटम की निवेश रणनीति बढ़ते शेयरों को खरीदने पर केंद्रित है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) दीपेश राघव ने कहा, ‘यह मूल्य आधारित निवेश के विपरीत है, जहां निवेशक आम तौर पर गिरते हुए शेयरों को चुनता है।’

अनुकूल रणनीति

मोमेंटम एक अनुकूलन रणनीति है। यह बाजार के उन हिस्सों पर केंद्रित होता है जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं – चाहे वह लार्जकैप हो या स्मॉलकैप हो अथवा गुणवत्ता वाले शेयर हों या मूल्य वाले। ओसवाल ने कहा, ‘यह शैली, क्षेत्र और बाजार पूंजीकरण से अलग है।’

अ​धिक उतार-चढ़ाव वाला फंड

मोमेंटम फंड में निफ्टी 50 के मुकाबले 10 से 15 फीसदी अधिक उतार-चढ़ाव दिख सकता है। ओसवाल ने कहा, ‘बाजार में गिरावट के दौरान मोमेंटम फंड में निफ्टी 50 फंड के मुकाबले गिरावट भी अधिक होगी।

ये सूचकांक गुणवत्ता पर विचार किए बिना महज हालिया प्रदर्शन के आधार पर शेयरों का चयन करते हैं। कुमार ने कहा, ‘बाजार में तेजी के दौर के अंत में कम गुणवत्ता वाले शेयर अच्छा प्रदर्शन करते हैं और वे मोमेंटम फंड के पोर्टफोलियो में शामिल हो सकते हैं। जब बुलबुला फटता है, तो इन शेयरों को तगड़ा झटका लगता है।’

इस रणनीति में पोर्टफोलियो का उच्च टर्नओवर भी शामिल है। कुमार ने कहा, ‘फंड की प्रबंधनाधीन परिसंप​त्तियां (एयूएम) अ​धिक होने पर भारी बदलाव वाले पोर्टफोलियों का प्रबंधन भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।’ इसके अलावा, निफ्टी 500 जैसे व्यापक सूचकांक में इलिक्विड स्टॉक यानी ऐसे शेयर शामिल भी होते हैं जिनमें खरीद-फरोख्त कम होती है। ऐसे में बड़ी लिवाली के कारण औसत खरीद मूल्य बढ़ जाता है, जिससे रिटर्न पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मोमेंटम रणनीति का प्रदर्शन अतीत में अच्छा रहा है, मगर जरूरी नहीं कि उसी तरह का प्रदर्शन फिर हो। साथ ही इन फंडों का लाइव ट्रैक रिकॉर्ड भी सीमित होता है। राघव ने कहा, ‘खास सूचकांकों पर आधारित फंड अक्सर ऐसे समय में लॉन्च किए जाते हैं जब उन सूचकांकों का पिछला रिटर्न मजबूत दिखता है। मगर इस रणनीति के तहत निवेश किए जाने के बाद भविष्य का रिटर्न काफी अलग हो सकता है।’

करना चाहिए निवेश?

राघव ने सुझाव दिया कि अगर आपको पूरा भरोसा है तभी मोमेंटम फंड में निवेश करें। इससे आपको कमजोर प्रदर्शन के दौर में भी अपने निवेश को बरकरार खने में मदद मिलेगी।
कुमार ने कहा, ‘अपने पोर्टफोलियो को पांच अलग-अलग निवेश तरीकों- मोमेंटम, वैल्यू, ग्रोथ, क्वालिटी और मिडकैप एवं स्मॉलकैप- में विभाजित करें और हरेक में 20 फीसदी रकम का निवेश करें।’ अगर आप इस रणनीति पर आगे बढ़ेंगे तो मोमेंटम फंड आपके मुख्य पोर्टफोलियो में शामिल हो सकता है।

अगर आपका मुख्य पोर्टफोलियो निफ्टी 50 जैसे बाजार मूल्यांकन आधारित सूचकांकों के आधार पर तैयार हुआ है, तो अपने सैटेलाइट पोर्टफोलियो में मोमेंटम फंड को शामिल करने पर विचार करें। उसमें आपकी कुल इ​क्विटी निवेश का 10 से 20 फीसदी होना चाहिए। साथ ही इन फंड में कम से कम 7 साल के लिए निवेश करें।

First Published : September 29, 2024 | 7:53 PM IST