कभी पूरब का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर के उद्योग 20 साल की लंबी नींद से जागने लगे हैं। पिछले कई साल से बंद पड़ी कानपुर की जे के कॉटन मिल के खुलने के बाद 3 और कंपनियों के खुलने की संभावना तेज हो गई है।
इसी के तहत 3 साल पहले बंद हुए डंकन्स फर्टिलाइजर संयंत्र को भी फिर से खोलने के लिए तैयार किया जा रहा है। कानपुर के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रकाश जायसवाल ने केंद्रीय सरकार से नेफ्था पर आधारित इस संयंत्र को शुरू करने के लिए निवेदन किया था।
सरकार ने इसे मंजूर कर लिया है। औद्योगिक एवं वित्तीय पुननिर्माण (बीआईएफआर) ने इस संयंत्र के लिए पहले ही 540 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा कर दी है। लेकिन बीआईएफआर ने इस संयंत्र को नेफ्था के बजाय सीएनजी से चलाने की शर्त भी रखी है।
लगभग 3 साल पहले केंद्र की खाद उत्पादन नीति और प्रबंधन के लिए पूंजी की कमी के कारण इस संयंत्र को बंद कर दिया गया था। डंकन्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड (डीआईएल) के प्रबंधन ने इस संयंत्र को खोलने का फैसला किया लेकिन तभी अगर सरकार इस संयंत्र में नेफ्था को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति दे।
लेकिन पिछले हफ्ते ही केंद्रीय उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान ने संयंत्रों में नेफ्था के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद इसे नामंजूर कर दिया गया है। ट्रेड यूनियन संगठन सीटू के प्रवक्ता ने बताया कि नेफ्था के इस्तेमाल से लागत कम आती है।
हालांकि गेल ने संयंत्र को इसकी आपूर्ति करने से मना कर दिया है। जब कंपनी से जुड़े लोगों ने इस मामले में जायसवाल से बात की तो उन्होंने पासवान से इस संयंत्र को नेफ्था का इस्तेमाल करने की अनुमति दिला दी। इस अनुमति के बाद इस संयंत्र से जुड़े लगभग 4,000 कर्मचारियों के साथ ही इस संयंत्र को आपूर्ति करने वाली इकाइयों के कर्मचारी भी खुश हो गए हैं।
डीआईएल के महाप्रबंधक आर के अवस्थी ने बताया कि इस बारे में अभी तक मंत्रालय से आधिकारिक तौर पर मंजूरी नहीं मिली है।
उन्होंने बताया, ‘आधिकारिक तौर पर इसकी मंजूरी मिलने के बाद उत्पादन शुरू करने में लगभग 2 महीने का समय लगेगा। संयंत्र में काम करने वाले लगभग 1,200 कर्मचारियों के साथ बातचीत चल रही है। बातचीत का दौर समाप्त होने के बाद हालात का जायजा लेकर इस संयंत्र को खोला जाएगा।’
इस संयंत्र में चांद ब्रांड यूरिया का उत्पादन किया जाता था। कंपनी ने श्रमिक संगठन के साथ सभी मामले निपटाते हुए कर्मचारियों को लगभग 31 करोड़ रुपये की भविष्य निधि का भी भुगतान कि या है। कंपनी सालाना 722,000 टन यूरिया का उत्पादन करेगी।