बढ़ती मांग और ज्यादा से ज्यादा उपज प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश के किसान अब हाइब्रिड बीजों के इस्तेमाल को पहली वरीयता दे रहें है।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि हाइब्रिड बीजों के प्रयोग से उपज में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो जाती है। हाइब्रिड बीज का बाजार पिछले चार साल में लगभग 30 फीसदी बढ़ा है। अलीगढ़ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुख्य शहरों में एक निजी कंपनी के हाइब्रिड बीजों का विपणन करने वाले हेमंत मौर्य ने बताया कि किसान हाइब्रिड बीजों की खरीद में ज्यादा से ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।
इसका कारण यह है कि एक तो हाइब्रिड बीजों के इस्तेमाल से उपज तो बढ़ती ही है साथ ही किसी भी मौसम में उपज को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ थोड़ा तापमान के बारे में हिदायत बरतनी पड़ती है। यही कारण है कि जाड़े में खीरा और गर्मी में लोगों को गाजर खाने को मिल जाता है। मौर्य ने बताया कि उपज ज्यादा होने से छोटे किसानों को भी इससे काफी फायदा हो रहा है। इन क्षेत्रों में पिछले चार सालों में हाइब्रिड बीज की मांग में लगभग 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वैसे अभी अति पिछड़े इलाकों के किसान और छोटे किसान हाइब्रिड बीजों का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए हाइब्रिड बीजों के लिए एक अच्छा खासा बाजार भी तैयार है। मौर्य का कहना है देसी बीजों की अपेक्षा हाइब्रिड बीजों की कम मात्रा ही संपूर्ण उपज को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त होती है। अगर गौर किया जाए तो पता चलता है कि एक बीघा खेत में टमाटर की उपज के लिए लगभग 100 ग्राम देसी बीज की आवश्यकता पड़ती है तो वहीं दूसरी ओर इसके लिए मात्र 10 ग्राम हाइब्रिड बीजों का ही प्रयोग करना पड़ता है।
इसी तरह खेत के एक बीघे में मिर्च की उपज के लिए लगभग 100 ग्राम देसी बीज की आवश्यकता पड़ती है तो वहीं दूसरी ओर इसके लिए 20 ग्राम हाइब्रिड बीज ही पर्याप्त है। इस बाबत किसान गोपीनाथ का कहना है कि हाइब्रिड बीजों की बाजार में कई तरह की वैराइटी भी मिल रही है। जैसे टमाटर के लिए 9502 और यूएस 04 प्रमुख है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि इन बीजों के दाम देसी बीजों के दामों के चार से छह गुना होते हैं।
इसके कारण ज्यादातर छोटे किसान इनका प्रयोग नहीं कर पाते है। मौर्य का कहना है कि वास्तविकता में हाइब्रिड बीजों के व्यापार में सबसे बड़ा अवरोध यह है कि हमें हाइब्रिड बीज आर्थिक तौर पर कमजोर किसान को बेचने है। लेकिन धीरे-धीरे हम अपना बाजार बढ़ाने में सफल होते जा रहे हैं।
हाइब्रिड नहीं पौष्टिक
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि भले ही हाइब्रिड बीजों का प्रयोग करके किसान उपज में बढ़ोतरी कर रहे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि हाइब्रिड बीजों से पैदा होने वाली सब्जियां और फल देसी सब्जियों और फलों से कम पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक है। कई डॉक्टर तो इनका सेवन करने से भी मना कर रहे हैं। अलीगढ़ में टमाटर की खेती करने वाले जगमोहन ने बताया कि इस समय बाजार में उपलब्ध टमाटर का 90 फीसदी हाइब्रिड बीजों की पैदावार है। आने वाले समय में हाइब्रिड सब्जियों की उपस्थिति बढ़नी ही है। इसलिए आने वाली कृषि हाइब्रिड बीजों पर ही आधारित होगी।
देसी और हाइब्रिड बीजों की कीमत
देसी बीज हाइब्रिड बीज
मिर्चं
700-1000 22000-30000
टमाटर
800-1200 28000-30000
फू लगोभी
1800-2000 18000-25000
(कीमतें रुपये में)