लगभग 2000 लघु और मझोले होजरी निर्माताओं ने रूमा में लगने वाले टेक्सटाइल पार्क को किसी और जगह लगाने की मांग की है। दरअसल, इस परियोजना के लिए किसी भी निर्माता ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
कानपुर के होजरी निर्माता जेट ईको के मालिक बलराम नरूला ने बताया, ‘कारोबार उस पार्क में लगाने के लिए हमें प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है। इसके अलावा जरूरतमंद उद्यमियों को औद्योगिक भूमि के आवंटन में भी काफी अनियमितताएं बरती जा रही हैं। इसके साथ ही इस पार्क में जरूरी सुविधाओं का भी अभाव है।’
शहर की खराब यातायात प्रणाली भी इन कंपनियों के लिए मुसीबत बन गई है। इस क्षेत्र की बड़ी और छोटी कंपनियों को सभी उपकरण शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर इस पार्क में ले जाने में काफी दिक्कत हो रही है।
एक होजरी इकाई चलाने वाले शाह हुसैन ने बताया, ‘नगर प्रशासन ने ऑटो चालकों के लिए 16 किलोमीटर तक वाहन चलाने का नियम बनाया हुआ है। इसीलिए ऑटो चालक पार्क तक सामान पहुंचाने के मनचाही कीमत वसूलते हैं।’ शाह हुसैन की इकाई में लगभग 15 लोग काम करते हैं।
मिलों की खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाल करने के लिए उत्तर प्रदेश होजरी निर्माता संगठन के अध्यक्ष धीरज शाह ने यह सुझाव दिया था। उन्होंने कहा, ‘हम सरकार से बंद पड़ी मिलों की जमीन पर होजरी पार्क विकसित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।’
शहर के एक बड़े होजरी कारोबारी नजम हमराज ने बताया कि इस प्रस्ताव से शहर के होजरी कारोबार को नया आयाम मिलेगा। और टेक्सटाइल उद्योग की जमीन भी उद्योग के पास ही रहेगी।
हमराज ने बताया, ‘राज्य सरकार ने इन टेक्सटाइल मिलों को 99 साल के लिए जमीन लीज पर दी थी, हाल ही में यह मियाद समाप्त हुई है। अगर इस जमीन पर होजरी पार्क बना दिया जाए, तो इससे उद्योग की मुसीबतें काफी कम हो जाएंगी और उद्यमियों को काफी कम कीमत पर भूमि मिल सकेगी।’
नरूला ने बताया कि यह उद्योग श्रमिक आधारित है। इससे कई लोगों को रोजगार मिलता है और इसमें बिजली की खपत भी कम होती है।