रियल एस्टेट कारोबार की दिग्गज कंपनियों ने आर्थिक मंदी के मद्देनजर पंजाब में अपनी प्रस्तावित परियोजनाओं पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी है।
ये वे कंपनियां हैं जिन्होंने पिछले तीन सालों में अपनी परियोजनाओं के लिए राज्य के किसानों से जमीन खरीदकर उन्हें रातों रात मालामाल बना दिया था।
दरअसल, प्रवासी भारतीय खरीदारों को रिझाने के लिए राज्य के मोहाली, जालंधर, भटिंडा, पटियाला और अमृतसर जैसे जिलों में टाउनशिप और शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाए जाने थे। पर दुनिया भर में लोगों की घटती आय के कारण अब प्रवासी भारतीय खरीदारों की ओर से भी मांग घटने लगी है।
यही वजह है कि डीएलएफ, एम्मार एमएफजी, जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और ओमैक्स लिमिटेड ने रियल एस्टेट के कारोबार में छाई मंदी को देखते हुए फिलहाल राज्य में अपनी परियोजनाओं में निवेश पर रोक लगाने का फैसला लिया है।
जूम डेवलपर्स के अध्यक्ष और कार्यकारी अधिकारी रमणीक बावा ने बताया कि कंपनी राज्य में निवेश की रफ्तार धीमी कर रही है। कंपनी ने वर्ष 2007 में घोषणा की थी कि वह अमृतसर, पटियाला, जालंधर और भटिंडा में हाउसिंग कॉम्पलेक्स, होटल और शॉपिंग मॉल के निर्माण पर 600 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
उन्होंने बताया कि बाजार का जो रुख बना हुआ है, उस वजह से उन्हें अपनी निवेश योजनाओं को टालना पड़ा है और फिलहाल कंपनी ने 30 करोड़ रुपये ही इस परियोजना में निवेश किए हैं।
उन्होंने बताया, ‘पटियाला में एक हाउसिंग कॉम्प्लेक्स विकसित करने की भी योजना थी। इसमें करीब 100 विला प्रस्तावित थे। इस परियोजना को पूरा होने में 18 महीने लगने थे, लेकिन अब यह अधिक हो सकता है। दरअसल इस परियोजना में खरीदारों की इतनी दिलचस्पी कम हो गई है।’
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक प्रॉपर्टी डीलर ने बताया कि कई लोग एमार एमजीएफ की मोहाली परियोजना में बुक की गई प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं। हालांकि इस बारे में एमार एमजीएफ के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
यह किस्सा सिर्फ एमार एमजीएफ का ही नहीं है बल्कि और डेवलपर भी इसी समस्या से गुजर रहे हैं। अधिकतर डेवलपरों ने परियोजना शुरू होने के लगभग 2 साल के भीतर ही ग्राहकों को मकानों का मालिकाना हक देने का वादा किया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।