पहले तो चीनी कंपनियों के उत्पाद ही बाजार में छाए हुए थे। लेकिन अब देश भर में छोटे-छोटे चाइनाटाउन भी बनने लगे हैं।
दरअसल चीनी कंपनियों को देश की इस्पात और बिजली कंपनियों से निर्माण ठेके मिल रहे हैं। इसीलिए यह कंपनियां अपने कर्मचारियों के रहने के लिए टाउनशिप भी बना रही है।
एक दिग्गज आर्किटेक्चर और सिविल इंजीनियरिंग कंपनी के चेयरमैन ने बताया, ‘हमें एक इस्पात कंपनी ने झारखंड में लगभग 2,000 चीनी कर्मचारियों के रहने के लिए एक टाउनशिप बनाने का ठेका दिया है। वह लोग एक इस्पात संयंत्र और बिजली संयंत्र लगाकर उसका परिचालन भी करेंगे।’
आर्किटेक्ट ने बताया, ‘यह क्र्वाटर स्पार्टन शैली में बने होंगे यानी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाले। इनमें सोने का कमरा, रिक्रिएशन कमरें और शावर की सुविधा के साथ ही इनके साथ जुड़े हुए बाथरूम भी होंगे। यह सब इस तरह से बनाए जाएंगे कि अधिक से अधिक लोग इन सुविधाओं का फायदा उठा सकें।’
उन्होंने बताया कि यह टाउनशिप इस तरह की देश की सबसे बड़ी टाउनशिप परियोजना होगी। इस इस्पात कंपनी ने अपना और चीनी कंपनी को नाम उजागर करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि व्यावसायिक हित के लिए ऐसा करना जरूरी है।
हालांकि कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया कि कंपनी की झारखंड इकाई में चीनी तकनीक के साथ ही चीनी श्रमिकों से भी काम लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि देश के पूर्वी राज्यों में कम से कम 3,500 चीनी श्रमिक काम कर रहे हैं। जल्द ही 2,000 और आने वाले हैं। पश्चिम बंगाल में तीन जगहों पर चीनी तकनीक का इस्तेमाल करने वाले लगभग 5 संयंत्र लगने वाले हैं।
जब इस बारे में दो चीनी सुपरवाइजरों ने बताया कि उन्हें भारतीय श्रमिकों के काम की गुणवत्ता और धीमा काम करने से काफी मुश्किल हो रही है। लेकिन यहां रहने और काम करने का माहौल किसी भी चीनी कंपनी जैसा ही है।
एक इंजीनियर जिन बाओ ने बताया, ‘हम लोगों ने अपना घरेलू काम करने के लिए और पसंदीदा भोजन बनाने के लिए चीनी श्रमिक ही रखे हैं। हम में से लगभग 60-70 फीसदी लोगों का परिवार तो कोलकाता भी आ गया है।’ हालांकि जब इस बारे में चीनी दूतावास से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
विदेशी टीमों का देश में आकर किसी परियोजना पर काम करना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले बोकारो इस्पात संयंत्र लगाने के लिए रूस की टीम भारत में रही थी। इसके अलावा जर्मनी कंपनियां भिलाई और राउरकेला इस्पात संयंत्र लगाने के लिए अपनी टीमों को यहां लेकर आई थी। दुर्गापुर इस्पात संयंत्र लगाने के लिए ब्रिटिश कंपनी भी अपनी टीम लेकर आई थी।
हालांकि यह टीमें भारतीय कर्मचारियों के साथ उसी टाउनशिप में रहा करती थी न कि किसी अलग टाउनशिप में। कुछ दिन पहले ही काम को लेकर हुए झगड़े में लगभग 70 चीनी श्रमिकों ने भारतीय श्रमिकों की पिटाई कर दी थी।