एनएमडीसी को जमीन आवंटन से पहले छत्तीसगढ़ ने मांगी सफाई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 12:42 AM IST

छत्तीसगढ़ सरकार सार्वाजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी नेशनल मिनरल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) को उसके प्रस्तावित इस्पात संयंत्र के लिए जमीन का आवंटन करने पर विचार कर रही है हालांकि इस बारे में राज्य सरकार ने कंपनी से कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं।


इस संयंत्र की स्थापना दंतेवाड़ा जिले में की जानी है और इसकी स्थापित क्षमता 40 लाख टन प्रति वर्ष होगी। राज्य के वाणिज्य और उद्योग विभाग के सचिव ब्रजेन्द्र कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य सरकार को एनएमडीसी से जमीन का आवंटन करने के लिए आवेदन मिला है। लेकिन जमीन का आवंटन करने से पहले हम राज्य के व्यापक हितों के मद्देनजर एनएमडीसी प्रबंधन के साथ कुछ मुद्दों पर चर्चा करना चाह रहे हैं।


इससे पहले स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) और नेशनल मिनरल डिवेलपमेंट कारपोरेशन लि. (एनएमडीसी) के बीच छत्तीसगढ़ में 40 लाख टन क्षमता वाले इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए किया गया एमओयू मार्च में टूट गया था। इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी ने इस परियोजना को अकेले ही आगे बढ़ाने का फैसला किया।


परियोजना के तहत दंतेवाड़ा में दीलमिली के पास 4,000 एकड़ जमीन पर इस्पात संयंत्र की स्थापना की जानी है। इसके लिए कुल 16,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।दंतेवाड़ा में एनएमडीसी की काफी बड़ी खनन इकाई है और वह मौजूदा खानों में लगातार नए भंडारों की खोज कर रही है। कंपनी इस समय छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में 30 मीट्रिक टन लौह अयस्क का उत्पादन करती है।


कुमार के मुताबिक कंपनी द्वारा इससे पहले जगदलपुर में नगरनार के करीब प्रस्तावित इस्पात संयंत्र की स्थिति, राज्य के लिए अधिक अयस्क कोटा और राज्य के भीतर ही खनिजों के मूल्य वर्धन जैसे मुद्दों पर एनएमडीसी के प्रबंधन के साथ चर्चा की जानी है।


इसके बाद ही किसी नई परियोजना के लिए जमीन का आवंटन किया जाएगा। नगरनार इस्पात संयंत्र का प्रस्ताव करीब एक साल से लंबित पड़ा है जबकि राज्य सरकार कंपनी को जमीन सौंप चुकी है। एनएमडीसी ने बाद में अपनी योजना को बदल दिया और एक स्पंज आयरन इकाई की स्थापना करने की पेशकश की।


राज्य सरकार ने हालांकि बदली हुई परियोजना का विरोध किया और कहा कि अधिग्रहित की गई जमीन पर इस्पात संयंत्र की ही स्थापना की जानी चाहिए। तब से पूरा मामला अटका पड़ा है।


एनएमडीसी के अधिकारियों ने बताया कि दांतेवाड़ा में इस्पात संयंत्र का प्रस्ताव को इस्पात मंत्रालय की मंजूरी हासिल हो चुकी है और कंपनी संयंत्र की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए वैश्विक सलाहकारों का चयन करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। इस प्रक्रिया में चार साल का समय लग सकता है।

First Published : April 29, 2008 | 11:02 PM IST