उत्तर प्रदेश के कानपुर और कन्नौज में कर अपवंचन के मामले में पड़े छापों में मिली भारी तादाद में नकदी को लेकर इत्र कारोबारी पीयूष जैन को राहत मिली है।
डायरेक्ट्रेट जनरल आफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने छापों में मिली 177.45 करोड़ रुपये नकदी को कारोबार के तौर पर दर्ज करते हुए अदालत में कागजात दाखिल किए हैं। डीजीजीआई टीम ने इत्र कारोबारी व शिखर गुटखा के मालिक पीयूष जैन के कानपुर व कन्नौज में घर व कार्यालय पर बीते सप्ताह छापेमारी की थी। छापों में जहां 177.45 करोड़ रुपये नकद मिले थे, वहीं 23 किलो सोना और करीब 600 लीटर चंदन का तेल बरामद किया गया था। छापों के बाद कारोबारी पीयूष जैन को गिरफ्तार किया गया था और वह इस समय कानपुर जेल में है।
अब इस नकदी को इत्र कारोबारी के टर्नओवर का हिस्सा बताया गया है। डीजीजीआई ने इस पर 31.50 करोड़ रुपये की करों की देनदारी और 19.5 करोड़ रुपये का दंड लगाया है। इस तरह से कुल 52 करोड़ रुपये इत्र कारोबारी को जमा करने को कहा गया था। जैन परिवार ने बीते रविवार को ही इस रकम को जमा भी कर दिया है। बरामद नकद को टर्नओवर में दर्ज करने के बाद इत्र कारोबारी को न केवल राहत मिल गई है बल्कि इस मामले में वह आयकर के फंदे से बच गया है। डीजीजीआई ने बरामद नकदी को पीयूष जैन की दो फर्मों के टर्नओवर के तौर पर दिखाया है। हालांकि बरामद सोने को लेकर पीयूष जैन पर डायरेक्ट्रेट आफ रेवन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने बुधवार मुकदमा दर्ज किया। जैन पर डीआरआई ने कस्टम एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। डीआरआई इस मामले में सोने की तस्करी के एंगल से जांच करेगी।
गौरतलब है कि बीते सप्ताह इत्र व गुटखा कारोबारी पीयूष जैन के यहां छापों ने राजनैतिक रंग ले लिया है। जहां भाजपा उक्त कारोबारी को समाजवादी पार्टी से जुड़ा बता रही है वहीं अखिलेश यादव ने इससे इनकार किया है। समाजवादी पार्टी ने साफ किया है कि समाजवादी इत्र उसकी पार्टी के विधान परिषद सदस्य व एक दूसरे कारोबारी पुष्पराज जैन ने लांच किया था और दोनो के बीच किसी तरह का संबंध नहीं है।
