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कारोबारी जटिलताओं को आसान बना रहा एआई

एमसीपी एक यूनिवर्स कनेक्टर या दूसरे शब्दों में कहें तो यूएसबी सी-पोर्ट की तरह है, जो दूसरे सॉफ्टवेयर प्रणालियों को आसानी से एक साथ काम करने की अनुमति देता है।

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अजिंक्या कवाले   
Last Updated- May 15, 2025 | 11:08 PM IST

कैशफ्री पेमेंट्स और रेजरपे जैसी बीटुबी फिनटेक कंपनियां कारोबारों (व्यापारियों) की जटिल बैंकएंड सिस्टम को आसान बनाने में जुटी हैं। वे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एजेंट और मॉडल कॉन्टेक्स्ट प्रोटोकॉल (एमसीपी) की मदद के जरिये ऐसा कर रही हैं।

एमसीपी एक यूनिवर्स कनेक्टर या दूसरे शब्दों में कहें तो यूएसबी सी-पोर्ट की तरह है, जो दूसरे सॉफ्टवेयर प्रणालियों को आसानी से एक साथ काम करने की अनुमति देता है। यह एआई एजेंट्स और असिस्टेंट्स को सीधे तौर पर कोर ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के साथ इंटरफेस करने में सक्षम बनाता है, जिससे बड़े-छोटे सभी व्यापारियों के लिए एकीकरण को व्यवस्थित किया जा सकता है।

इसके बगैर कारोबारों को अपने फिनटेक इन्फ्रास्ट्रक्चर के सभी घटकों को एआई सिस्टम के मैनुअल और जटिल एकीकरण की जरूरत होगी, जिसमें भुगतान, सत्यापन, पेआउट जैसे ऐप्लिकेशन शामिल हैं। कैशफ्री पेमेंट्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (उत्पाद) नितिन पुल्यानी ने कहा, ‘विचार था कि लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) को हमारे अपने टूल और एपीआई के साथ जोड़ा जाए और अनुभव को और अधिक स्मार्ट किया जाए। हमारे कोर एपीआई वही हैं जिनकी एलएलएम को उपयोगी बनाने के लिए जरूरत होगी।’ इसके अलावा, व्यापारियों और कारोबारों के लिए एआई एजेंट उनके फिनटेक अनुभव को मानकीकृत किया गया है।

रेजरपे के मुख्य उत्पाद अधिकारी खिलन हरिया ने कहा, ‘एमसीपी क्लाइंट- एआई असिस्टेंट्स  और एजेंट्स भी अब विकसित होंगे और उनकी आवाज और अधिक स्वाभाविक हो जाएगी। हमें नए उपयोग के मामलों के लिए प्रोटोकॉल विकसित होने के साथ-साथ सुधार करते रहना होगा, जिसका उपयोग उद्योग शुरू करेगा।’

मौजूदा अवतार में एमसीपी को उपयोग के कई मामलों को संभालने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें भुगतान का दबदबा है। व्यापारी वर्ग खासकर छोटे व्यापारियों को भुगतान का लिंक तैयार करने, लेनदेन की पुष्टि करने अथवा रिफंड शुरू करने के लिए अपने ग्राहकों को वाट्सऐप अथवा मैसेज (एसएमएस) आदि पर निर्भर रहना पड़ता है।

एआई, एमसीपी और पेमेंट्स एपीआई के साथ अंग्रेजी भाषा में शुरू होने के बाद पूरी प्रक्रिया स्वचालित की जा सकती है। पुल्यानी समझाते हैं, ‘व्यापारी के मेन्यू और रेट कार्ड को मॉडल समझता है। अगर कोई ग्राहक किसी खास आइटम की मांग करता है, तो यह समझ जाएगा कि भुगतान किया जाना है और एकीकृत होने के बाद बैकग्राउंड में पेमेंट एपीआई की खोज करेगा।’ उन्होंने कहा कि ये एपीआई फिर भुगतान के लिए एक लिंक तैयार करेंगे और एक बार भुगतान हो जाने पर यह लेनदेन की स्थिति तलाशेगा।

रेजरपे के हरिया ने कहा कि उपयोग का एक ऐसा भी उभर रहा है जिसमें एआई एजेंट कंपनी मॉड्यूल के साथ बात कर तुरंत प्रश्न का उत्तर निकालेगा।  उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि यह काफी बड़ा होगा। अगले छह से 12 महीनों में यह जीने का एक तरीका बन जाएगा। हम आने वाले समय में एआई के उपयोग में दमदार वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।’

First Published : May 15, 2025 | 10:49 PM IST