परमिट रद्द करने की सरकारी धमकी के बावजूद ट्रांसपोर्टरों ने अपना चक्का जाम जारी रखने का ऐलान किया है।
टोल टैक्स, सर्विस टैक्स से लेकर डीजल की कीमतों में कमी की मांग को लेकर ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के आह्वान पर गत 5 जनवरी से ट्रांसपोर्टरों ने चक्का जाम कर रखा है।
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि सरकार ने गत जुलाई माह में टोल टैक्स व सर्विस टैक्स को लेकर जो वादा किया था उसे अब तक पूरा नहीं किया गया है।
सरकार उनके परमिट रद्द करती है तो वे उससे निपटने को तैयार है। कुछ ट्रांसपोर्टरों का यह भी कहना है कि मंदी की मार के कारण पहले से ही वे बेकार हो चुके हैं।
ऐसे में इस प्रकार की धमकी का उन पर कोई असर नहीं होने वाला है। उधर, दिल्ली की विभिन्न मंडियों में मंगलवार को भी फल व सब्जी की आपूर्ति सामान्य बतायी गयी।
चक्का जाम से नुकसान
देश में भारी व हल्के मालवाहक वाहनों की संख्या करीब 60 लाख है। अगर ये सभी वाहन चक्का जाम में शामिल होते हैं तो रोजाना 18,000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होगा। ऐसे में ट्रांसपोर्टरों को रोजाना 900 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
प्रत्येक राज्य को इससे रोजाना 200 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि तो उद्योग व व्यापार को सबसे अधिक रोजाना 11,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
पैकेज की मांग
ट्रांसपोर्टर कहते हैं कि टोल टैक्स से राहत देने पर सरकार को 1225 करोड़ रुपये का वहन करना पड़ेगा वहीं राष्ट्रीय परमिट की दर में कमी करने से 900 करोड़ रुपये तो ट्रांसपोर्टरों को एक साल के लिए मासिक किश्त की ब्याज से राहत देने पर 850 करोड़ रुपये का वहन करना होगा।
फिलहाल राष्ट्रीय परमिट के तहत एक प्रांत के लिए ट्रांसपोर्टरों को सालाना 5,000 रुपये देने पड़ते हैं। पूरे देश भर के लिए यह राशि सालाना 1.5 लाख रुपये की है।
जाम को मंदी की शह
मंदी के कारण ट्रांसपोर्टरों के काम में पहले ही 40 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है। दिल्ली के ट्रांसपोर्टर आनंद प्रकाश छाबड़ा बताते हैं कि दिल्ली से कोलकाता ट्रक ले जाने पर आने-जाने के लिए उन्हें 50,000 रुपये मिलते हैं।
इनमें से 32,000 रुपये डीजल पर, 7000 रुपये टोल टैक्स पर, 6000 रुपये विभिन्न चेक पोस्ट पर तो 1500 रुपये ड्राइवर व खलासी पर खर्च हो जाते हैं। उनके पास मात्र 3500 रुपये बचते हैं। ऐसे में ट्रक चलाने से तो अच्छा है कि चक्का जाम में शामिल रहे।
ट्रांसपोर्टरों पर भी उठे सवाल
आजादपुर मंडी के थोक कारोबारी व सदर बाजार के व्यापारियों ने मालभाड़े को लेकर ट्रांसपोर्टरों पर भी सवाल उठाया है। वे कहते हैं कि सरकार ने जब डीजल की कीमत बढ़ाई थी तो ट्रांसपोर्टरों ने तुरंत अपने किराए में इजाफा कर दिया।
लेकिन सरकार ने जब डीजल की कीमत में प्रति लीटर 2 रुपये की कमी की तो ट्रांसपोर्टरों की तरफ से मालभाड़े में कोई रियायत की घोषणा नहीं की गयी।
महंगाई बढ़ेगी आधा फीसदी
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर ट्रक वालों का चक्का जाम तीन से चार दिन जारी रहता है तो मुद्रास्फीति की दर में आधा फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।?मुद्रास्फीति की दर 20 दिसबर को समाप्त सप्ताह में घटकर दस माह के न्यूनतम स्तर 6.38 प्रतिशत पर आ गई।
हड़ताल के कारण कृषि उत्पादन विशेषकर सब्जियों एवं दूध की कीमतें प्रभावित हो रही हैं क्योंकि आने वाले दिनों में कुछ उत्पादों की कमी हो सकती है।