सन 2021 के पहले सप्ताह में वैश्विक बाजार मजबूती के साथ खुले। कोरोनावायरस टीकाकरण की धीमी गति, वायरस के नए प्रकार के तेज प्रसार और पश्चिमी देशों में नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जाने जैसी निराशाजनक खबरों के बीच भी बाजार नई ऊंचाई छूते रहे। ट्रंप प्रशासन के आखिरी दिनों में जो अफरातफरी का माहौल रहा, बाजार उसे पीछे छोड़कर नए प्रशासन की ओर मुखातिब हैं।
अमेरिकी सीनेट में दोबारा डेमोक्रेट्स का प्रभुत्व हो गया है और जो बाइडन अब अपना विधायी एजेंडा लागू करने की स्थिति में हैं। बाजार ने सरकार पर डेमोक्रेटिक पार्टी के नियंत्रण को लेकर मजबूत प्रतिक्रिया दी है। यह बात कई विषयों की ओर इशारा करती है।
अब यह लगभग तय है कि जो बाइडन व्यापक वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज लाएंगे जो व्यक्तियों, स्थानीय सरकारों और छोटे कारोबारों पर केंद्रित होगा। डेमोक्रेट अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। वे सन 2022 के मध्यावधि चुनाव के पहले वृद्धि को गति देने और रोजगार बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। वे सन 2022 में कांग्रेस का नियंत्रण नहीं गंवाना चाहते क्योंकि तब बाइडन कुछ करने की स्थिति में नहीं रह जाएंगे। बराक ओबामा के साथ 2010 में ऐसा ही हुआ था। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में इतनी नकदी है जिसकी मदद से वृद्धि को गति दी जा सके।
सरकारी उधारी और व्यय के उचित स्तर को लेकर जनता और पेशेवरों की आर्थिक राय में आमूलचूल बदलाव आया है। वृद्धि को दोबारा गतिशील बनाने के लिए सरकारी व्यय को अब आवश्यक माना जा रहा है। सरकारों द्वारा समुचित खर्च किया जाना अब वृद्धि बहाली के लिए अहम है। यहां तक कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व भी इसे अन्य तमाम आर्थिक कारकों की तुलना में वित्तीय स्थिरता के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण मानता है। बाइडन पर तत्काल वित्तीय स्थिति को मजबूत करने का कोई दबाव नहीं होगा। कांग्रेस पर डेमोक्रेटिक पार्टी के नियंत्रण के साथ ही तमाम निराशाएं कम हो गई हैं। रिपब्लिकन बाइडन के अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने संबंधी कदमों को क्षति नहीं पहुंचा पाएंगे।
यह भी स्पष्ट है कि कट्टर नीतियों के लिए कोई जगह नहीं होगी। करों में भारी इजाफा या बड़ी तकनीकी कंपनियों या वॉल स्ट्रीट से संबंधित गहन नकारात्मक नीतिगत कदम उठाए जाने की आशंका कम है। सीनेट में 50-50 के बंटवारे के बाद मध्यमार्गी राजनेता निर्णय लेंगे। कोई कड़ा या अलोकप्रिय कदम पारित नहीं होगा। राजकोषीय प्रोत्साहन निश्चित है लेकिन करों में ज्यादा इजाफा नहीं होगा। राजकोषीय नीति प्रोत्साहन समर्थक रहेगी। इस समय कोई इस प्रोत्साहन की लागत के बारे में नहीं सोच रहा है। जेनेट येलेन नई वित्त मंत्री हैं और ऐसे में फेडरल रिजर्व के नीति निर्माण ढांचे का संचालन करने वाली वृहद आर्थिक नीति में बदलाव को राजनीतिक प्रश्रय मिलेगा। जीरोम पॉवेल के अधीन फेडरल रिजर्व ने मांग प्रबंधन ढांचे के पक्ष में मुद्रास्फीति को लक्षित करने का काम लगभग छोड़ दिया था। केंद्रीय बैंक अधिकतम रोजगार और मूल्य स्थिरता को बढ़ावा दे रहा है। उसने साफ कहा है आने वाले कुछ सालों तक मौद्रिक नीति में कड़ाई नहीं बरती जाएगी भले ही मुद्रास्फीति 2 फीसदी से ऊपर हो जाए। यह नाटकीय बदलाव है और कई बार निवेशक भी इसकी महत्ता समझने में चूक जाते हैं। इतिहास बताता है कि ऐसे कदमों के कारण अक्सर डॉलर का मूल्य कम हुआ है। यानी आने वाले एक-डेढ़ साल में वृद्धि को गति मिलेगी, मुद्रास्फीति को लेकर कड़ाई नहीं की जाएगी, कॉर्पोरेट मुनाफे में तेजी आएगी और मुद्रास्फीति में कमी होगी। यह माहौल दुनिया भर मेंं शेयरों और अन्य जोखिम वाली परिसंपत्ति के लिए बेहतर है। ऐसा माहौल उभरते बाजारों के शेयरों तथा जिंस के लिए भी बेहतर होता है।
मुश्किल यह है कि फिलहाल इस धारणा पर सहमति है। भले ही आप इससे सहमत न हों लेकिन कई बार यह रुख सही साबित होता है। इस नजरिये में सबसे बड़े जोखिम इस प्रकार हैं:
पहली बात यह कि मुद्रास्फीति का मसला उससे बड़ा हो सकता है जितना कि इस सहमति में उसे माना जाता है। पहले ही 10 वर्ष के मुद्रास्फीति अनुमान दो फीसदी से ऊपर हैं। जिंस और तेल कीमतों में इजाफा और कमजोर डॉलर मुद्रास्फीति को बढ़ाएंगे। आपूर्ति शृंखला मेंं उथलपुथल होने से कई कंपनियों और क्षेत्रों को क्रय शक्ति हासिल हो सकती है। फेड ने स्पष्ट संकेत किया है कि वह दरों में इजाफा करने के पहले मुद्रास्फीति को दो फीसदी का स्तर पार करने देना चाहता है। परंतु शायद बॉन्ड बाजार इतने समायोजन के इच्छुक न हों। चूंकि बॉन्ड प्रतिफल का अधिमूल्यन संभव है इसलिए प्रतिफल में इजाफा हमेशा संभव है। पहले ही चंद रोज में 10 वर्ष का टे्रजरी प्रतिफल एक फीसदी से अधिक हो चुका है। फेडरल रिजर्व अपनी क्वांटिटेटिव ईजिंग जारी रख सकता है। वह लंबी अवधि के बॉन्ड की दरों पर भी नजर रख सकता है परंतु उसका नियंत्रण कमजोर हो सकता है। दस वर्ष के प्रतिफल में इजाफा होने पर शेयर मूल्यांकन में बदलाव हो सकता है जो सभी परिसंपत्तियों को प्रभावित कर सकता है। तेजी पर बनी सहमति का यही सबसे बड़ा जोखिम है। क्या फेड सुनिश्चित कर सकता है कि बढ़ती मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच बॉन्ड प्रतिफल तेजी से नहीं बढ़ेगा। फेड कड़ाई नहीं बरतेगा लेकिन क्या वह प्रतिफल को नियंत्रित कर सकता है? मुद्रास्फीति बढऩे के साथ परिसंपत्ति आवंटन पर दबाव बन सकता है ताकि पैसे को तयशुदा आय से बाहर निकाला जाए। इससे प्रतिफल पर दबाव बढ़ेगा।
तेजी से जुड़ा दूसरा जोखिम टीकाकरण से संबंधित है। यदि वायरस तेजी से स्वरूप बदलता है या टीकाकरण शुरू करने में दिक्कत होती है तो सारे दांव बेकार हो जाएंगे। बाजार मानकर चल रहे हैं कि 2021 की दूसरी छमाही में दुनिया एक हद तक सामान्य हो जाएगी।
अंतिम जोखिम का संबंध हालात सामान्य होने से है। एक समय फेड पर यह दबाव बनेगा कि वह क्वांटिटेटिव ईजिंग का कार्यक्रम रोके। यदि ऐसा होता है और इसका समुचित संचार नहीं किया जाता तो बाजार को झटका लग सकता है। अर्थव्यवस्था सामान्य होने पर अतिरिक्त नकदी वित्तीय परिसंपत्तियों में लौट आएगी और उसका इस्तेमाल वास्तविक अर्थव्यवस्था में होगा। इन्वेंटरी बनेंगी और पूंजीगत व्यय के कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। नकदी के वित्तीय परिसंपत्तियों से बाहर होने पर बाजार दोबारा संवेदनशील हो जाएंगे। बाजार में उत्साह है और इसकी वजह भी स्पष्ट है। हमेशा की तरह इस तेजी को समझते और स्वीकारते हुए एक नजर इस बात पर भी रखें कि क्या गलत हो सकता है।
(लेखक अमांसा कैपिटल से संबद्ध हैं)