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संकेतों को समझें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:07 PM IST

पर्यावरण के अनुकूल ई-वाहनों को बढ़ावा देने की भारत की नीतिगत पहल को कुछ सुरक्षा कारणों से झटका लग सकता है। ऐसा इसलिए कि हाल ही में ई-स्कूटर्स में आग लगने की घटनाएं हुई हैं। इनमें न केवल लोगों में घबराहट पैदा हुई बल्कि जान-माल का नुकसान भी हुआ। सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं लेकिन केवल तकनीक में कमी को चिह्नित कर और उसे दूर करके संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता।
अधिकारियों को सड़क सुरक्षा ढांचे की समीक्षा करनी चाहिए और उसे नये सिरे से व्यवस्थित करना चाहिए। अग्निशमन तथा पुलिस विभाग को नए सिरे से प्रशिक्षित किया जाएगा और शायद नए उपकरण भी मुहैया कराने होंगे। सरकार को एक अभियान चलाकर नागरिकों को आश्वस्त करना चाहिए कि वाहनों की यह नयी श्रेणी सुरक्षित है। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि ई-वाहन से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि ये पेट्रोल इंजन वाले वाहनों की तुलना में सुरक्षित हैं लेकिन जनता को भी यह यकीन दिलाना होगा।
एक आशंका यह भी है कि स्कूटरों में आग शायद इसलिए लग रही हो क्योंकि आयातित लिथियम आयन बैटरी गर्मियों में वाहन चलाने के लिए अनुकूल न हो। भारत में गर्मियां अन्य देशों की तुलना में अधिक होती है और उत्तरी अमेरिका तथा चीन के लिए तैयार बैटरियां संभवत: भारत के मौसम के अनुकूल न हों। भारत में वाहन चलाने का माहौल भी तनावपूर्ण होता है, अचानक गति बढ़ाने या वाहन रोकने की जरूरत पड़ती है। इससे बैटरी पर अधिक लोड पड़ता है और वह गर्म होती है।
एक सीमा से अधिक गर्म बैटरी में आग लग सकती है। यदि गर्म बैटरी को बिना ठंडा किए दोबारा चार्ज किया जाए तो भी ऐसा हो सकता है। वाहन की भिड़ंत होने पर शॉर्ट सर्किट से भी ऐसा हो सकता है। आग बुझाने के 24 घंटे बाद भी आंतरिक कारणों से बैटरी में दोबारा आग लग सकती है। बैटरी की आग पेट्रोल से अधिक गर्म होती है और इससे अत्यधिक जहरीला धुआं और आग निकलती है जिससे आसपास भी आग भड़क सकती है।
ठंडे और कम दबाव वाले यातायात के लिए बने बैटरी पैकों का भारत जैसी परिस्थितियों में कड़ा परीक्षण किया जाना चाहिए। यदि अन्य तकनीकी वजह हैं तो उनका भी पता लगाया जाना चाहिए। सरकार को शायद बैटरी पैक के लिए नए मानक बनाने पड़ें और चेतावनी जारी करनी पड़े कि दोबारा चार्ज होने के पहले उसे ठंडा किया जाए।
ई-वाहन में आग लगने से उत्पन्न समस्याएं पेट्रेाल इंजन में आग लगने से अलग होती हैं। पेट्रोल इंजन में शॉर्ट सर्किट से विस्फोट होने और ईंधन टैंक फटने का खतरा होता है, साथ ही दुर्घटना होने पर टैंक से ईंधन रिसने और आग भड़कने का खतरा होता है।
यदि ई-वाहन दुर्घटनाग्रस्त होता है तो वाहन और उसकी बैटरी को तत्काल अलग कर देना चाहिए और उन पर नजर रखनी चाहिए। यदि आग लगी हो तो यह आसानी से नहीं हो सकता। पेट्रोल की आग बुझाने में उपयोगी फोम इसमें काम नहीं आता। सलाह यही है कि संभव होने पर बैटरी को अलग किया जाए और उस पर ठंडा होने तक ठंडे पानी की फुहार डाली जाये। बहरहाल, जरूरी नहीं कि अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों या यातायात पुलिस को इसकी जानकारी हो। संभव है उन्हें यही न पता हो कि बैटरी पैक को कैसे निकाला जाता है।
देश में ई-वाहन (ज्यादातर दोपहिया) की शुरुआत ही है और कुल वाहनों में इनकी हिस्सेदारी एक फीसदी से कम है। कार और बस समेत पर्यावरण के अनुकूल वाहन बड़ी तादाद में अपनाये जा रहे हैं, ऐसे में आग से सुरक्षा अहम है। अग्निशमन विभाग और पुलिस सुरक्षा मानकों को इससे निपटने के लिए उन्नत बनाना होगा।

First Published : April 7, 2022 | 11:31 PM IST