चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2020) के कारोबारी नतीजे कई क्षेत्रों में सकारात्मक सुधार दर्शाते हैं। कम लागत और बिक्री में सुधार से मुनाफा बढ़ा है। वर्ष 2021-22 के बजट में बुनियादी विकास पर जो ध्यान दिया गया है उससे निवेश और रोजगार को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो खपत में भी सुधार होना चाहिए। धातु, निर्माण, वाहन और बैंक जैसे अहम क्षेत्रों की स्थिति बेहतर हुई है। कृषि-अर्थव्यवस्था के तत्त्व मसलन खाद्य तेल, चाय और कॉफी तथा चीनी का प्रदर्शन भी सुधरा है। बुनियादी क्षेत्रों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। कई कंपनियों की ब्याज लागत कम हुई है। कर्मचारियों के घर से काम करने के कारण बिजली और ईंधन लागत में भी कमी आई है। अन्य आय में इजाफा हुआ है, भले ही वह शायद स्थायी न हो।
वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के साथ तुलना करें तो शुद्घ बिक्री में कम विस्तार और उच्च मुनाफा नजर आता है। 2,814 सूचीबद्घ कंपनियों की तुलना (शुद्घ बिक्री न्यूनतम एक करोड़ रुपये हो) दर्शाती है कि सालाना आधार पर बिक्री 2.2 फीसदी बढ़कर 25.46 लाख करोड़ रुपये हो गई। परिचालन लाभ 15.25 फीसदी और कर पश्चात लाभ 62 फीसदी बढ़ा। बैंक, रिफाइनरी और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसे अस्थिर क्षेत्रों को हटा दिया जाए तो शेष 2,495 कंपनियों की बिक्री 5.86 प्रतिशत बढ़ी जबकि उनकी कुल आय में 7.8 फीसदी वृद्घि हुई। इन कंपनियों की अन्य आय में 47.1 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई जबकि परिचालन लाभ 26 फीसदी तथा कर पश्चात लाभ 58.5 फीसदी बढ़ा। बिजली की लागत 4.8 फीसदी कम हुई। गैर वित्तीय कंपनियों की ब्याज लागत 5.7 फीसदी कम हुई जबकि रिफाइनरियों की ब्याज लागत 29.7 फीसदी घटी। ऐसा रिलायंस इंडस्ट्रीज की कर्जरहित होने की कोशिश के चलते हुआ। रिफाइनरी और वित्तीय कंपनियों से इतर ब्याज लागत 2.8 प्रतिशत घटी। कर्मचारियों की लागत 6.75 प्रतिशत बढ़ी यानी श्रम शक्ति में सुधार हो रहा है। खपत आधारित क्षेत्रों में वाहन के साथ-साथ दैनिक उपयोग की वस्तुओं, कपड़ा और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की मूल्य शृंखला में सुधार हुआ है। वाहन कलपुर्जा, धातु ढलाई और टायर आदि क्षेत्रों का प्रदर्शन काफी बेहतर हुआ है।
निर्यात के मोर्चे पर, औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार जारी है जबकि कपड़ा निर्यात भी बेहतर हुआ है। बुनियादी क्षेत्रों में कारोबार आकार बढ़ा है और इस्पात, गैर लौह धातुओं तथा सीमेंट में सुधार दर्ज किया गया। इस्पात क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिले। एक साल पहले तक यह नुकसान में था। बिजली उत्पादन, भवन निर्माण और लॉजिस्टिक्स में सुधार हुआ है। खनन क्षेत्र का प्रदर्शन भी बेहतर है। दूरसंचार उपकरण और सेवा प्रदाता भारती एयरटेल की स्थिति भी सुधरी है। ईंधन की दर कम होने से तेलशोधक, पेंट, पेट्रोकेमिकल, रसायन और प्लास्टिक क्षेत्रों को मार्जिन सुधारने में मदद मिली क्योंकि कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस इनके कच्चे माल हैं। बैंक ऋण की 7.5 फीसदी की दर बहुत अच्छी नहीं रही है जो कमजोर निवेश की ओर इशारा करती है। बैंकों का कर पश्चात लाभ अवश्य 30,689 करोड़ रुपये रहा जबकि गत वर्ष समान तिमाही में यह 7,038 करोड़ रुपये था। हालांकि एनपीए को लेकर सख्ती नहीं बरते जाने के कारण यह भ्रामक हो सकता है।
कुल मिलाकर तीसरी तिमाही के नतीजे बताते हैं कि अर्थव्यवस्था सुधार के पथ पर अग्रसर है। कई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की रुचि इससे समझी जा सकती है। तमाम उत्साहवद्र्घक संकेतों के बावजूद चिंता की वजह भी हैं। मूल्यांकन बहुत अधिक है और अधिकांश आय वृद्घि उस स्तर पर है जहां भविष्य में मुनाफे में इजाफा मुश्किल है। सुधार जारी रखने के लिए बिक्री में वृद्घि जरूरी है। वैश्विक जिंस चक्र में सुधार कच्चे माल की लागत बढ़ा सकता है। इससे बाजार के लिए जोखिम बढ़ेगा।