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पूरी तरह साफ नहीं हुआ है परिदृश्य

वर्ष 2022 में दुनिया भर में परिसंपत्ति का भारी नुकसान देखने को मिला। वर्ष के अंत में शेयरों और बॉन्ड दोनों में गिरावट दर्ज की गई।

Published by
आकाश प्रकाश
Last Updated- January 06, 2023 | 11:47 PM IST

वर्ष 2022 में दुनिया भर में परिसंपत्ति का भारी नुकसान देखने को मिला। वर्ष के अंत में शेयरों और बॉन्ड दोनों में गिरावट दर्ज की गई। एमएससीआई ऑल वर्ल्ड सूचकांक की परिभाषा के मुताबिक वैश्विक शेयरों में तकरीबन 20 फीसदी की गिरावट देखने को मिली जो वर्ष 2008 के बाद उनका सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा। प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर जो तेजी के बाजार के चहेते रहे हैं उनका भी इस गिरावट में योगदान रहा है और नैसडैक कंपोजिट इंडेक्स में 33 फीसदी की गिरावट आई। तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों टेस्ला और मेटा की बात करें उनके शेयरों में 65 फीसदी की गिरावट आई।

बॉन्ड को भी राहत नहीं मिली और दुनिया भर के सरकारी और कॉरपोरेट ऋण पर नजर रखने वाले ब्लूमबर्ग मल्टीवर्स इंडेक्स में भी 16 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। यह 1931 के बाद इस सूचकांक का सबसे खराब प्रदर्शन है। 10 वर्ष की अवधि वाले अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल ने नए वर्ष की शुरुआत 1.5 फीसदी के साथ की थी और वह 3.9 फीसदी पर बंद हुआ। यह कई दशकों में बॉन्ड प्रतिफल में सबसे तेज इजाफा है।

यह सभी परिसंपत्तियों के लिए अत्यंत कठिन समय था। अमेरिकी डॉलर के अलावा वर्ष के दौरान कोई अन्य परिसंपत्ति वर्ग सकारात्मक नहीं रहा। तेल में जरूर स्थिरता देखी गई। अब जबकि वर्ष 2022 बीत चुका है अधिकांश वित्तीय टीकाकारों का ध्यान नए साल पर केंद्रित है। वर्ष 2023 बाजार प्रतिभागियों के लिए कैसा होगा? तमाम बड़े निवेश बैंकों और शोध संस्थानों की ओर से नए साल को लेकर अलग-अलग प्रकार के नजरिये पेश किए जा रहे हैं।

इस समय दो ऐसे विवाद हैं जो बाजार प्रतिभागियों के दिमाग में चल रहे हैं। पहला है मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति का मार्ग। हर कोई कमोबेश यही मानता है कि मुद्रास्फीति अमेरिका में अपने उच्चतम स्तर पर है और जल्दी ही यूरोप में भी वह अपना उच्चतम स्तर प्राप्त कर लेगी। मुद्रास्फीति के प्रमुख संकेतकों में गिरावट आ रही है और वस्तु आधारित मूल मुद्रास्फीति लगातार घट रही है। ज्यादा विवादास्पद बात है इस गिरावट का दायरा और गति। इस बात पर भी विवाद है कि इसे वापस दो फीसदी के दायरे में आने में कितना समय लगेगा।

फिलहाल बाजारों का अनुमान है कि फेड फंड की दरें 2023 के मध्य में 5 फीसदी के उच्चतम स्तर पर होंगी और साल की दूसरी छमाही में दरों में कटौती की जाएगी। कई लोगों का नजरिया तो इससे भी अधिक मंदी वाला है। मंदड़ियों का भी यही अनुमान है कि मुद्रास्फीति में कमी आएगी लेकिन थोड़ा धीमी गति से। उनका मानना है कि 2024 के मध्य तक दरों में कोई कटौती नहीं होगी। वे इतिहास का हवाला देते हुए बताते हैं कि एक बार फेड अगर पीछे रह गया तो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में ज्यादा समय लगेगा और वास्तविक दरों को लंबे समय तक सकारात्मक दायरे में रहना होगा तभी मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। वास्तविक दरें अभी भी ऋणात्मक हैं।

दरों को लेकर अलग-अलग नजरिया निश्चित रूप से वि​भिन्न चरों और बाजार को लेकर हमारी दृ​ष्टि को भी प्रभावित करता है। यह नजरिया ही दीर्घाव​धि की परिसंप​त्तियों मसलन वृद्धि वाले शेयरों को लेकर हमारी दृष्टि निर्धारित करता है। यह डॉलर को लेकर आकलन को भी प्रभावित करेगा और यह भी कि क्या हम चक्र का उच्चतम स्तर देख चुके हैं या एक ठहराव के बाद डॉलर में तेजी का दौर फिर आएगा?

कुछ लोग मानते हैं​ कि बाजार, तकनीकी और वृद्धि संबंधी शेयरों के मजबूत प्रदर्शन के पिछले रुझान पर वापस जाएगा और अमेरिका का दबदबा बरकरार रहेगा। कई अन्य लोगों का मत है कि हम इस समय जैसी गिरावट का सामना कर रहे हैं वह बाजार नेतृत्व को नए सिरे से तय करेगा। पिछले चक्र के विजेता नए चक्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले नहीं रहेंगे। दूसरा विवाद अमेरिकी मंदी को लेकर है। क्या मंदी आएगी? वह कितनी गंभीर होगी? कारोबारी आय और बाजार पर इसका क्या असर होगा?

ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों में से 60 फीसदी को उम्मीद है कि अमेरिका में मामूली मंदी आएगी। कुछ का कहना है कि यह अमेरिकी इतिहास की सबसे कम प्रभाव वाली मंदी होगी। मंदी में यह हल्कापन मजबूत श्रम बाजार और कोविड प्रोत्साहन के दौरान तैयार अतिरिक्त व्यक्तिगत बचत पर आधारित है। हर विश्वयुद्ध के बाद आई मंदी में हमने सकल घरेलू उत्पाद मे दो से चार फीसदी की गिरावट देखी। इस बार इसमें 0.2 फीसदी गिरावट का अनुमान है। यह अनुमान बहुत आशावादी लग रहा है लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि सन 1971 और 2001 में मामूली मंदी के बाद भी बाजार में 50 फीसदी तक ​गिरावट आई थी।

मेरा नजरिया यही है कि हमें 2023 के आरंभ में अमेरिका में मंदी देखने को मिलेगी और वह उतनी हल्की नहीं होगी जितना कि माना जा रहा है। डॉयचे बैंक ने 10 शीर्ष संकेतकों के एक कंपोजिट इंडेक्स के माध्यम से मंदी का अनुमान जताया है और यह दर्शाता है कि मंदी का जो​खिम बहुत अ​धिक है। आमतौर पर यही देखने को मिला है कि अमेरिका में मंदी का दौर आधा पहुंचने तक शेयर बाजार यानी एसऐंडपी 500 निचले स्तर पर पहुंच जाते हैं। चूंकि अमेरिका में अभी मंदी शुरू भी नहीं हुई है इसलिए बाजार को निचले स्तर तक पहुंचा हुआ नहीं करार दिया जा सकता है।

चिंता की बात यह भी है कि फेड द्वारा इजाफे वाले हर चक्र के बाद दुनिया में कहीं न कहीं परिसंप​त्ति बाजार प्रभावित हुए हैं। इस चक्र में जबकि मुद्रास्फीति से निपटने के क्रम में फेड कोई कारक नहीं है तो असाधारण नकारात्मक प्रतिफल और केंद्रीय बैंक बैलेंस शीट विस्तार के बीच ऐसा कुछ घटित होता नहीं दिखता। टीकाकार एफटीएक्स और क्रिप्टो का जिक्र करते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे इतने मुख्यधारा में हैं कि कामयाब हो सकें। दुर्भाग्य की बात है कि और अ​धिक दुर्घटनाएं हो सकती हैं, खासतौर पर तब जबकि 2023 में हमें वै​श्विक क्वांटिटेटिव सख्ती का वास्तविक प्रभाव देखने को मिलेगा।

परंतु अब उक्त अनुमान जताने वालों का कहना है कि 2023 में अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट आएगी। मेरी स्मृति में यह पहला मौका है जब शेयरों के लिए नकारात्मक प्रतिफल का अनुमान जताया जा रहा है। उम्मीद है कि बाजार हर किसी को चौंकाएंगे।

एक नजरिया जिससे मैं भी सहमत हूं वह यह है कि अमेरिकी शेयरों से इतर नेतृत्व चक्रीय ढंग से उभरते बाजारों की ओर जाना चाहिए। नेतृत्व में यह परिवर्तन काफी समय से अपे​क्षित है लेकिन वै​श्विक वित्तीय संकट के बाद भी यह घटित नहीं हुआ। अब हालात इसके पक्ष में लग रहे हैं।

इस लिहाज से देखें तो 2023 एक दिलचस्प वर्ष बनता नजर आ रहा है। मुद्रास्फीति पर आपका नजरिया और अमेरिकी मंदी ही आपका रुख और बाजार में आपकी ​स्थिति तय करेंगे।

First Published : January 6, 2023 | 11:47 PM IST