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डिजिटल बैंकिंग से समावेशन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:40 PM IST

वित्त मंत्री ने अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक के आयोजन में कहा कि सरकार 75 ऐसे बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) स्थापित करने जा रही है जो केवल डिजिटल स्वरूप में काम करेंगे। उनकी इस घोषणा से कई सवाल उत्पन्न होते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार को इस क्षेत्र में ऐसे विस्तार की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है। क्षेत्रीय नियामक भारतीय रिजर्व बैंक ने इस विषय पर कई रिपोर्ट और मशविरे जारी किए हैं। केंद्रीय बैंक ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में बताया है कि वह किन इकाइयों को ‘डिजिटल बैंकिंग यूनिट’ कहता है। इसके अलावा नवंबर में उसने डिजिटल ऋण की स्थिति पर जानकारी साझा की थी। डिजिटल बैंक यूनिट ऐसी कारोबारी इकाई है जिसके पास डिजिटल ढंग से बैंकिंग उत्पादों एवं सेवाओं की आपूर्ति का बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो। डिजिटल बैंकिंग यूनिट में उत्पाद एवं सेवा आपूर्ति तथा उपभोक्ता जुटाने तक सभी काम बिना कागज के तथा मानवरहित ढंग से किए जाएंगे। यह सारा काम डिजिटल ढंग से किया जाएगा।
रिजर्व बैंक ने सुझाव दिया है कि अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक ऐसे डिजिटल बैंक खोल सकते हैं और उन्हें इसके लिए अलग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, भुगतान बैंकों और स्थानीय बैंकों को डिजिटल बैंक खोलने से विशेष रूप से अलग रखा है लेकिन एनबीएफसी के मामले में वह खामोश है और माना जा रहा है कि किसी तरह की रोक न होने के चलते वे ऐसे बैंक खोल सकते हैं। निश्चित रूप से कई शीर्ष एनबीएफसी पहले ही अपनी प्रक्रिया को पूरी तरह या काफी हद तक डिजिटल करना चाह रही हैं। केंद्रीय बैंक के आंकड़े बताते हैं कि मानवरहित डिजिटल ऋण देने की प्रक्रिया में तेजी से इजाफा हुआ है और एनबीएफसी के कुल ऋण में ऐसे ऋण की हिस्सेदारी आधी से अधिक है। बैंक ऋण में भी इनकी हिस्सेदारी लगभग 6 फीसदी है।
यह क्षेत्र पहले ही काफी प्रतिस्पर्धा भरा है और इसका विकास होना लाजिमी है। इस क्षेत्र के प्रति नियामक के उदार रुख को देखते हुए डिजिटल बैंकिंग इकाइयों का विस्तार तय है। हर अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक और एनबीएफसी इस क्षेत्र में प्रवेश करेगा क्योंकि उन्हें भी प्रतिस्पर्धी बने रहना है। डिजिटल होने की सुविधा के कारण खुदरा ग्राहक भी विभिन्न वित्तीय उत्पादों में श्रेष्ठ का चयन करेंगे।
मंत्री द्वारा दिया गया 75 इकाइयों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं है क्योंकि करीब 35 वाणिज्यिक बैंक और 100 से अधिक एनबीएफसी पहले ही इस क्षेत्र पर निगाहें जमाए हुए हैं। शायद मंत्री का संकेत 75 नई डिजिटल इकाइयों की ओर था जो अनावश्यक लगता है। रिजर्व बैंक के मुताबिक इस क्षेत्र में पहले ही काफी भीड़ है जो आगे और बढ़ेगी। उपभोक्ताओं के नजरिये से देखें तो डिजिटल बैंकिंग इकाइयां वित्तीय सेवाओं को सहज बनाती हैं तथा उत्पादों की तुलना भी आसान होती है। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से इस बात से फर्क नहीं पड़ेगा कि ग्राहक और सेवा प्रदाता शारीरिक रूप से उपस्थित हैं या नहीं। ग्राहक भी उनके सामने रखी जाने वाली शर्तों की तुलना आसानी से कर सकेंगे। हालांकि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें ढेर सारे विकल्पों में से चयन की दिक्कत हो सकती है।
नियामक ने पहले ही डिजिटल क्षेत्र के बारे में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं हालांकि अभी काफी कुछ किया जाना है। रिजर्व बैंक को देखना होगा कि ये डिजिटल इकाइयां डेटा संरक्षण, साइबर सुरक्षा तथा अन्य मानकों का पूरा ध्यान रखें। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि इनकी स्थापना लालफीताशाही से मुक्त रहे। यह भी तय करना होगा कि दूरसंचार बुनियादी ढांचा डेटा के उच्च प्रवाह से निपटने में सक्षम हो। खासतौर पर ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में इस बात का ध्यान रखना होगा। डिजिटल बैंकिंग इकाइयां उन दूरदराज इलाकों में वित्तीय सेवा की पहुंच बढ़ाने में अहम योगदान कर सकती हैं जहां भौतिक रूप से सेवा देना कठिन है।

First Published : April 21, 2022 | 11:45 PM IST