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ग्रामीण भारत में उपभोक्ता धारणाओं में वृद्धि

Published by
महेश व्यास
Last Updated- March 30, 2023 | 10:56 PM IST

इस साल 26 मार्च को खत्म हुए सप्ताह के दौरान उपभोक्ता धारणाओं में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह असाधारण रूप से अधिक वृद्धि है। उपभोक्ता धारणा सूचकांक (आईसीएस) आमतौर पर एक सप्ताह में एक प्रतिशत से थोड़ा कम होता है। पिछले 60 हफ्तों के दौरान आईसीएस में औसत साप्ताहिक वृद्धि 0.86 प्रतिशत थी। पिछले एक साल में आईसीएस में केवल दो बार 6.7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इसलिए इसे एक असाधारण घटनाक्रम माना जा सकता है।

26 मार्च वाले सप्ताह में उपभोक्ता धारणा सूचकांक में देखी गई वृद्धि में पूरी तरह से ग्रामीण भारत में उपभोक्ता धारणाओं में वृद्धि का योगदान है। ग्रामीण उपभोक्ता धारणा सूचकांक में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके विपरीत, शहरी उपभोक्ता धारणा सूचकांक में इस सप्ताह के दौरान 2 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि, ग्रामीण भारत के लिए आईसीएस में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि से इसे पिछले चार हफ्तों में अपनी खोई जमीन को पूरी तरह से वापस पाने में मदद नहीं मिलती है। 26 मार्च तक ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक फरवरी 2023 के स्तर से नीचे है।

हालांकि अगर फरवरी के उपभोक्ता धारणा सूचकांक से तुलना करें तब 26 मार्च तक समग्र उपभोक्ता धारणा सूचकांक 0.8 प्रतिशत अधिक था। मार्च 2023, भारत में उपभोक्ता धारणाओं में वृद्धि का लगातार तीसरा महीना साबित हो सकता है। निश्चित रूप से यह मामूली वृद्धि हो सकती है लेकिन यह वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों की तुलना में अधिक अपेक्षाओं पर आधारित हो सकती है। भविष्य की उम्मीदों में सुधार ने भी फरवरी में धारणाओं में बढ़ोतरी में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मार्च में उपभोक्ता धारणाओं में अपेक्षित वृद्धि, अमीर परिवारों की धारणाओं में दिखने वाले सुधार के कारण है क्योंकि पिछले एक वर्ष में अधिकांश वृद्धि का यह स्रोत था। मार्च के लिए आमदनी-समूह वाला डेटा अप्रैल के पहले सप्ताह में उपलब्ध होगा।

फरवरी 2023 में समाप्त हुए वर्ष में आईसीएस में अधिकांश वृद्धि को अपेक्षाकृत अमीर परिवारों की धारणाओं में निरंतर सुधार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हाल के कुछ महीनों में, अपेक्षाकृत मामूली कमाई वाले परिवारों ने भी धारणाओं में शानदार सुधार दर्ज किया है। मध्यम आय वर्ग के परिवारों की उपभोक्ता धारणाओं में बहुत धीमी गति से सुधार हो रहा है।

उच्च आमदनी वर्ग वाले परिवारों (जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच है) के लिए उपभोक्ता धारणाओं का सूचकांक आमतौर पर पिछले 12 महीनों में अन्य आमदनी वर्ग के परिवारों के आईसीएस की तुलना में अधिक रहा है। वास्तव में, यह 10 महीनों से यानी मई 2022 के बाद से अन्य समूहों की तुलना में लगातार अधिक रहा है।

फरवरी 2023 तक अमीर परिवारों के लिए उपभोक्ता धारणा का सूचकांक एक साल पहले की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक था जबकि सभी आय समूहों के लिए आईसीएस में केवल 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। अमीरों और बाकी लोगों के बीच की खाई चौड़ी होती दिखी।

उच्च आमदनी वाले परिवारों के आईसीएस में वृद्धि, भविष्य के आशावाद से प्रेरित है। वहीं उपभोक्ता प्रत्याशा सूचकांक (आईसीई) इस समूह के भविष्य की अपेक्षाओं का जायजा लेता है जो फरवरी 2022 की तुलना में फरवरी 2023 में 84 प्रतिशत अधिक था। इसके साथ ही कुल आईसीई में केवल 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

अमीर परिवारों के वर्तमान आर्थिक स्थितियों का सूचकांक (आईसीसी) भी पिछले एक साल में प्रभावशाली रूप से बढ़ा है। इसमें 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि कुल आईसीसी में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले तीन महीनों में, अमीर और अपेक्षाकृत गरीब परिवारों के आईसीएस में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया है। अमीर परिवारों ने दिसंबर 2022 से निरंतर सुधार देखा है वहीं दूसरी तरफ अपेक्षाकृत गरीब परिवारों ने पिछले दो महीनों जनवरी और फरवरी 2023 में इसमें तेजी देखी है।

अपेक्षाकृत गरीब परिवार वे हैं जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से 200,000 रुपये के बीच है। इन परिवारों के आईसीएस में इस साल जनवरी में 6.9 प्रतिशत और फरवरी में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इन दो महीनों में इस समूह के लिए आईसीएस में संचयी वृद्धि प्रभावशाली स्तर पर करीब 15.5 प्रतिशत है। यह इस समूह के आईसीई में 15.6 प्रतिशत की वृद्धि और इसके आईसीसी में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि के चलते हुआ है।

इस समूह की उपभोक्ता धारणा सूचकांक में उछाल का असर अन्य समूहों में आई तेजी में भी दिखा है क्योंकि यह बाकी की तुलना में लगातार रूप से काफी कम था। अपेक्षाकृत अमीर और गरीब परिवारों की उपभोक्ता धारणाओं में तेजी दिखी है जबकि प्रति वर्ष दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये के बीच की कमाई करने वाले मध्यम आय वाले परिवारों की धारणाओं में धीमी वृद्धि देखी गई है।

पिछले एक वर्ष में आईसीएस में समग्र वृद्धि 40 प्रतिशत है वहीं मध्यम आय वर्ग के लिए आईसीएस में वृद्धि 32 प्रतिशत है। जनवरी और फरवरी 2023 के दौरान, जहां गरीब परिवारों के आईसीएस में 15.5 प्रतिशत और अमीर परिवारों के आईसीएस में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं मध्यम आय वाले परिवारों की वृद्धि केवल 6 प्रतिशत बढ़ी।

सभी तीन आय समूहों में, उपभोक्ता प्रत्याशा में सुधार, वर्तमान स्थितियों में सुधार की तुलना में अधिक था। यह निश्चित रूप से आशाजनक है।

ऊपर दिए गए विश्लेषण में, हमने परिवारों के सबसे गरीब समूह पर टिप्पणी करने से परहेज किया है, जो 100,000 रुपये से कम कमाते हैं और उन अमीर परिवार समूहों को भी इससे दूर रखा जो हर साल 10 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं। ऐसा दो कारणों से किया गया है।

पहला, उनकी उपभोक्ता धारणाओं की रफ्तार में कुछ भी असाधारण नहीं है और दूसरा इन दो आमदनी वर्गों में परिवारों की संख्या दूसरों की तुलना में कम है।

First Published : March 30, 2023 | 10:56 PM IST