लंबे अंतराल के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक इस सप्ताह होने वाली है। बैठक में कुछ अहम मसलों पर निर्णय लिया जाएगा। परिषद जिन विषयों पर निर्णय ले सकती है उनमें से एक है कुछ प्रकार के अपराधों की आपराधिकता समाप्त करना। जैसा कि इस समाचार पत्र ने भी प्रकाशित किया है परिषद गिरफ्तारियों के लिए कर वंचना की सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर सकती है।
आज जो माहौल है उसके अनुसार देखा जाए तो कर वंचना अथवा गलत तरीके से पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने पर पांच वर्ष तक की सजा हो सकती है। एक से दो करोड़ रुपये तक की कर वंचना के लिए एक वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है। इसके अलावा यह भी खबर है कि परिषद ऐसे अपराधों को जीएसटी कानून के दायरे से बाहर कर सकती है जो पहले ही भारतीय दंड संहिता के अधीन आते हैं।
यह भी माना जा रहा है कि जीएसटी परिषद कुछ प्रकार के अपराधों के लिए लगने वाले शुल्क भी कम कर सकती है। अगर परिषद इन प्रस्तावों को लेकर सहमत हो जाती है तो इससे अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में आपराधिकता कम करने में बहुत मदद मिलेगी और कारोबारी सुगमता में सुधार करने में मदद मिलेगी। यह बात ध्यान देने लायक है कि कर चोरी करने वालों को समय पर पकड़ना आवश्यक है, वहीं कर प्रशासन को अपेक्षाकृत छोटे अपराध करने वालों को लेकर अनावश्यक कड़ाई नहीं बरतनी चाहिए और असंगत रूप से दंड नहीं थोपना चाहिए।
ऐसे में यह भी महत्त्वपूर्ण है कि ईमानदार करदाताओं को परेशान नहीं किया जाए और उन्हें अपना पक्ष रखने का समुचित अवसर दिया जाए। परिषद द्वारा वस्तु एवं सेवा कर अपील पंचाटों के गठन के रूप में भी एक अहम कदम उठाया जा सकता है। यह मामला काफी समय से लंबित है और इसे बहुत पहले निपटा लिया जाना चाहिए था।
इस संबंध में परिषद हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाले मंत्री समूह की रिपोर्ट पर विचार करेगी। माना जा रहा है कि समूह ने यह अनुशंसा की है कि हर पीठ में एक अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और केंद्र तथा राज्य के तकनीकी सदस्य होने चाहिए। अपील पंचाट का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा किसी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को बनाया जा सकता है।
कहा जा रहा है कि मंत्री समूह ने नई दिल्ली में एक प्रधान पीठ और राज्यों में ऐसे ही पीठ स्थापित करने की अनुशंसा की है। पांच करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों में दो पीठ हो सकते हैं और किसी भी राज्य में पांच से अधिक पीठ नहीं होंगे।
जीएसटी परिषद द्वारा पंचाट की स्थापना करना एक अच्छा कदम होगा वहीं पीठ की संख्या को हमेशा मामलों के मुताबिक समायोजित किया जा सकता है।
यह भी संभव है कि अपेक्षाकृत अधिक कारोबारी गतिविधियों वाले राज्यों और शहरों में अधिक मामले हों। मामलों की संख्या के आधार पर पीठ तय करने से समय पर निस्तारण करना भी संभव होगा। व्यापक स्तर पर देखें तो वस्तु एवं सेवा कर अपील पंचाटों की स्थापना से कारोबारी सुगमता बढ़ेगी।
ऐसे में परिषद से उम्मीद है कि वह सही दिशा में बढ़ेगी और इन निर्णयों से जीएसटी व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। यह भी आशा है कि परिषद खास क्षेत्रों में कर वंचना से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेगी। हालांकि इस स्तर पर निराश करने वाली एक बात यह है कि दरों को तार्किक बनाने की बात एजेंडे में शामिल नहीं है। बेहतर होगा अगर परिषद इस दिशा में भी तेजी से कदम उठाए। इससे न केवल कर व्यवस्था को सहज बनाने में मदद मिलेगी बल्कि राजस्व संग्रह सुधरेगा तथा राजकोषीय दबाव कम होगा।