संपादकीय

Editorial: ट्रंप के कदम और मंदी का जोखिम

रविवार को जब ट्रंप फॉक्स न्यूज पर दिखे तो उनसे सीधे पूछ लिया गया कि उनके कदमों से मंदी आने की कितनी संभावना है और ट्रंप को ऐसी किसी संभावना की परवाह नहीं दिखी।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- March 10, 2025 | 10:02 PM IST

इस वर्ष जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से नीतियां चुनने के मामले में डॉनल्ड ट्रंप इतना आगे-पीछे हुए हैं कि बाजार भ्रम में पड़ गया है। अमेरिका के कुछ सबसे करीबी व्यापार साझेदारों पर शुल्क लगाया गया और फिर या तो हटा दिया गया या टाल दिया गया। कुछ लोगों को अब भी संदेह है कि ट्रंप वाकई शुल्क लगाना चाहते हैं या बातचीत में अपनी शर्तें मनवाने के लिए शुल्क की धमकी भर दे रहे हैं। कोई नहीं जानता कि ये शुल्क कब लगेंगे, कितनी हद तक लगेंगे और लगेंगे भी या नहीं। इसीलिए यह अनुमान लगाना भी मुश्किल हो गया है कि किसी खास क्षेत्र या पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इनका क्या असर होगा। यही बात हौसला पस्त कर रही है। अमेरिका में कुछ लोगों को तो अचानक हौसला पस्त होने और लोगों की धारणा बदलने से मंदी आने का डर भी सताने लगा है।

न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व के पास मंदी की संभावना का पैमाना है, जो मंदी के सभी अनुमानों को इकट्ठा कर बताता है। अगस्त 2025 में यह सूचकांक अब तक के तीसरे सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया और ऐसा दशकों बाद हुआ। इससे पहले उसने 1970 के दशक के मध्य में और 1980 के दशक के आरंभ में इतनी ऊंचाई छुई थी। दोनों ही मौकों पर अमेरिका में उत्पादन घट गया था। बॉन्ड यील्ड भी कैलेंडर वर्ष की बची अवधि के लिए ऐसी ही चिंता जता रही है। दो साल में परिपक्व होने वाले अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड पिछले कुछ हफ्तों में काफी कम हो गई है। इससे लगता है कि अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी और फेडरल रिजर्व को दरें घटानी पड़ेंगी।

पिछले साल की उम्मीदों से यह एकदम उलट है। उस वक्त राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे आने के बाद यील्ड तेजी से चढ़ी थी। माना जा रहा था कि ट्रंप कारोबार के लिए मददगार नीतियां लाएंगे, जिनसे वृद्धि को सहारा मिलेगा चाहे महंगाई भी बढ़े। उस समय लगा कि पहले करों में कटौती की जाएगी और उसके बाद शुल्क बढ़ाए जाएंगे। मगर ज्यादातर कारोबारी अब ऐसा नहीं मानते। बल्कि कुछ तो खुद राष्ट्रपति से पूछना चाहते हैं कि वह चाहते क्या हैं।

रविवार को जब ट्रंप फॉक्स न्यूज पर दिखे तो उनसे सीधे पूछ लिया गया कि उनके कदमों से मंदी आने की कितनी संभावना है और ट्रंप को ऐसी किसी संभावना की परवाह नहीं दिखी। उन्होंने कहा कि भविष्यवाणी करना उन्हें पसंद नहीं है मगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वह जितने बड़े बदलाव कर रहे हैं, उनके कुछ समय तक तो हलचल रहेगी। पिछले हफ्ते कांग्रेस में अपने संबोधन में भी उन्होंने यही संदेश दिया था और उनके प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों मसलन वाणिज्य मंत्री आदि की बातों से भी यही दिखा। मंत्री ने चेतावनी दी कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सरकारी व्यय के नशे से छुटकारा दिलाना होगा।

सब जानते हैं कि शुल्क का इस्तेमाल करने से वृद्धि और मुद्रास्फीति पर क्या दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। परंतु मध्यम अवधि में कुछ सकारात्मक असर भी हो सकते हैं। फिर यह उथलपुथल क्यों? शायद इसलिए क्योंकि अपने कदमों और उनके समय के बारे में बताने में प्रशासन एकदम लचर रहा है। साथ ही कंपनियों तथा निवेशकों को उनके हिसाब से ढलने का पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया है। इसकी वजह से नकारात्मकता फैल गई।

अर्थव्यवस्थाओं और अमेरिकी बाजारों में माल बेचने वाली कंपनियों जैसे भारत की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को आगे के लिए अनुमान लगाते समय मंदी के जोखिम का भी ध्यान रखना होगा। मार्के की बात है कि ट्रंप को दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में अपने आर्थिक विचारों पर इस कदर यकीन है कि उनके लिए वह मंदी का भी जोखिम उठा सकते हैं। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने कुछ व्यापार समझौतों पर दोबारा बातचीत की थी और कुछ शुल्क भी लगाए थे मगर इस बार उनके कदम ज्यादा व्यापक हैं और उनके लिए वह मंदी का जोखिम लेने को भी तैयार हैं।

First Published : March 10, 2025 | 9:58 PM IST