लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को लगातार 12वीं बार संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बड़ी घोषणाएं की हैं। इन घोषणाओं से न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी बल्कि, ये भारत को एक अधिक सुरक्षित राष्ट्र बनाने में भी मददगार होंगी। प्रधानमंत्री ने जो बड़ी घोषणाएं की हैं उनमें अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक कार्यबल का गठन करना भी शामिल है। यह कार्य बल एक निश्चित समय सीमा में आर्थिक गतिविधियों से संबंधित कानूनों, नियम-शर्तों एवं प्रक्रियाओं की समीक्षा करेगा।
किंतु याद रहे कि पीएम मोदी ने पहले एक विनियमन आयोग की स्थापना की भी बात कही थी मगर इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पाई। नियम एवं दिशानिर्देशों की व्यापक समीक्षा से कारोबार संचालन में सुगमता काफी बढ़ सकती है। सरकार अब इस पर काम भी कर रही है और लगभग 40,000 से अधिक अनावश्यक प्रावधान और 1,500 से अधिक पुराने कानून निरस्त कर चुकी है। हालांकि, 21वीं शताब्दी की आवश्यकता के अनुरूप नियम एवं दिशानिर्देशों को धार देने के लिए एक व्यापक समीक्षा की जरूरत है। इस प्रक्रिया में राज्यों को भी अवश्य साथ लिया जाना चाहिए।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में अगले चरण के सुधारों को लेकर भी बड़ी घोषणा हुई है। जीएसटी व्यवस्था में संभवतः ज्यादातर वस्तु एवं सेवाएं दो कर श्रेणियों (5 फीसदी और 18 फीसदी) में आ जाएंगी, जबकि हानिकारक वस्तुओं के लिए 40 फीसदी की एक अलग कर श्रेणी तैयार की जाएगी। यह कदम जीएसटी में कर संरचना सरल बना देगा और नियमों का अनुपालन भी मजबूत हो जाएगा। कुछ अन्य श्रेणियां वर्गीकरण एवं प्रक्रियात्मक विषयों से भी संबंधित होंगी। कर संरचना सरल बनाने और दरों को सुसंगत बनाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी मगर जिस संरचना का प्रस्ताव दिया गया है उसमें राजस्व के आंकड़ों पर असर पड़ सकता है।
इसे ध्यान में रखते हुए राजस्व से जुड़े पहलुओं का बेहतर तरीके से प्रबंधन करना होगा। प्रधानमंत्री ने भारत की व्यापक आर्थिक स्थिरता का भी जिक्र किया, जो वर्ष 2014 से सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में एक रही है। कोविड महामारी के बाद राजकोषीय मजबूती पर सरकार के ध्यान और व्यय की उच्च गुणवत्ता के बाद रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल ने 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत की सॉवरिन रेटिंग बढ़ा दी है।
रेटिंग में सुधार से भारत निवेश के दृष्टिकोण से आकर्षक हो जाएगा विशेषकर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ जाएगी। हालांकि, निकट अवधि में निवेश की दशा एवं दिशा अमेरिका के साथ व्यापार के मोर्चे पर जारी तनाव से प्रभावित होगी। फिलहाल देश की आर्थिक वृद्धि के लिए व्यापार से जुड़ी अनिश्चितता सबसे बड़ा खतरा है। इसी संदर्भ में मोदी ने कहा है कि भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा के साथ कभी समझौता नहीं करेगा।
ऐसी खबरें आती रही हैं कि अमेरिका के साथ जारी व्यापार वार्ता में कृषि क्षेत्र दोनों देशों के बीच असहमति की एक बड़ी वजह रही है। रूस से तेल आयात के लिए अमेरिका ने जब से भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही है तब से स्थिति और पेचीदा हो गई है। इसमें कोई शक नहीं कि भारत को अपने किसानों के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है क्योंकि यह क्षेत्र देश की आधी आबादी के लिए जीविकोपार्जन का प्रमुख स्रोत है। मगर यह क्षेत्र अन्य देशों के साथ भी व्यापार वार्ताओं में विवाद का एक प्रमुख विषय रहा है।
लिहाजा, सही संतुलन स्थापित करने के लिए स्थिति का मूल्यांकन बेहद आवश्यक है। यह माना जा रहा था कि ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री सुरक्षा से जुड़े विषयों पर भी बात करेंगे। इस संबंध में उन्होंने ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की है। यह मिशन न केवल देश के लिए सुरक्षा आवरण तैयार कर हमले से रक्षा करेगा बल्कि पूरी ताकत के साथ दुश्मन के हमले का जवाब भी देगा। इस प्रणाली पर शोध और इसका विकास भारत में ही होगा। प्रधानमंत्री ने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध घुसपैठ रोकने के लिए एक जनसांख्यिकीय अभियान शुरू करने का भी घोषणा की।
इस पर किसी तरह के बहस की गुंजाइश नहीं है कि पड़ोसी देशों से लोगों को अवैध रूप से भारत में घुसने और रहने नहीं देना चाहिए। किंतु, इस मिशन में इसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए कि इन क्षेत्रों में रहने वाले गरीब एवं पिछड़े लोगों को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़े। कुल मिलाकर, भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिए और तेज गति के साथ आगे बढ़ना होगा। वर्तमान में व्यापार से जुड़े विषय सुलझाना बड़ी प्राथमिकता है, वहीं जीएसटी सुधार एवं अगली पीढ़ी के व्यापाक सुधारों की घोषणाएं संभावित आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।