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Editorial: नाटो की 75वीं वर्षगांठ, परीक्षा की घड़ी

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ‘यूक्रेन की नाटो सदस्यता के लिए स्पष्ट और मजबूत सेतु’ की बात की। परंतु यह नतीजा पहले शत्रुता के समाप्त होने पर निर्भर है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- July 12, 2024 | 9:15 PM IST

वॉशिंगटन में आयोजित उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित शिखर सम्मेलन में तीन मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद थी। परंतु वहां चीन का मुद्दा ही केंद्र में रहा। यह बात शिखर बैठक के बाद की गई घोषणा में भी नजर आई जहां चीन का अभूतपूर्व जिक्र देखने को मिला।

नाटो के सभी 32 सदस्यों द्वारा स्वीकृत सामग्री में चीन को यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध का ‘निर्णायक ढंग से समर्थन देने वाला’ बताया गया और चीन से यह मांग की गई कि वह रूस की सेना को हर प्रकार का भौतिक और राजनीतिक समर्थन देना बंद कर दे। इसमें चीन के परमाणु हथियारों और अंतरिक्ष में उसकी हमलावर क्षमता को लेकर भी चिंता जताई गई।

2019 के ऐसे ही वक्तव्य में चीन का जिक्र इतनी स्पष्ट भाषा में नहीं था। इससे एक तथ्य यह सामने आता है कि नाटो ने यूक्रेन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को और गहन करने का संकेत दे दिया है। शिखर बैठक आरंभ होने के साथ ही अमेरिका में बने एफ-16 लड़ाकू विमानों की पहली खेप डेनमार्क और नीदरलैंड से यूक्रेन को भेज दी गई और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनका इस्तेमाल देखने को मिलेगा।

इससे यूक्रेन को रूस के उन हवाई हमलों से बचाव करने में मदद मिलेगी जो हाल के समय में काफी सफल रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ‘यूक्रेन की नाटो सदस्यता के लिए स्पष्ट और मजबूत सेतु’ की बात की। परंतु यह नतीजा पहले शत्रुता के समाप्त होने पर निर्भर है।

वहां हो रहे भव्य रात्रि भोजों से इतर नाटो के सदस्य इस बात से अच्छी तरह अवगत हैं कि गठबंधन और यूक्रेन का भविष्य काफी हद तक नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा। गत माह पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट में लड़खड़ाहट भरी शुरुआत के बाद ही बाइडन के स्वास्थ्य का मुद्दा एक तात्कालिक चिंता में परिवर्तित हो गया है।

यह स्पष्ट नहीं है कि शिखर बैठक में बिना टेलीप्रॉम्पटर के अपने भाषण को कामयाबी के साथ पढ़ लेने की बात ने नाटो के उनके सहयोगियों को आश्वस्त किया होगा या नहीं। हालांकि लगता है कि वह अपनी ही पार्टी के लोगों की चिंताओं को दूर नहीं कर पाए हैं। अगर बाइडन अपने अभियान को जारी रखते हैं तो वह अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डॉनल्ड ट्रंप की संभावनाओं को ही मजबूत करेंगे।

अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने नाटो गठबंधन में शामिल देशों की व्यय साझा करने की अनिच्छा की आलोचना की थी जो कि उचित ही थी। हालांकि तब से अब तक इसमें बदलाव आया है और अधिकांश सदस्य देश सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसदी नॉटो पर खर्च करने के अपने दायित्व को पूरा कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप की पुतिन के साथ करीबी नॉटो-यूक्रेन संबंधों में एक अप्रत्याशित तत्त्व जोड़ सकती है।

नाटो की घोषणा को लेकर चीन ने जो प्रतिक्रिया दी है उसमें उसने इसे स्पष्ट झूठ करार दिया है और जोर देकर कहा है कि रूस और चीन के बीच व्यापार किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाता। परंतु घोषणा की स्पष्ट भाषा ने रूस-यूक्रेन युद्ध को नाटो-चीन के बीच के छद्म युद्ध में बदल दिया है। यह ऐसे समय पर हो रहा है जब नाटो के सदस्य हंगरी और तुर्किए के रूस के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते हैं।

अब तक रूस को चीन की मदद में गहराई है लेकिन वह हथियारों की आपूर्ति नहीं कर रहा है। परंतु चीन की सेना अब नाटो के सदस्य देश पोलैंड की सीमाओं पर रूस के साझेदार बेलारूस के साथ संयुक्त अभ्यास कर रही है। ऐसे संयुक्त अभ्यास पहले भी हुए हैं लेकिन फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद यह पहली ऐसी कवायद है। नेतृत्व में बदलाव के इस अहम दौर में नाटो हालात से कैसे निपटता है यह उसकी अब तक की सबसे कठिन परीक्षा होगी।

First Published : July 12, 2024 | 9:15 PM IST