भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए एक परिसंपत्ति वर्ग का प्रस्ताव रखा है। इस संबंध में एक मशविरा पत्र 16 जुलाई को प्रकाशित किया गया और प्रस्तावित योजना पर सार्वजनिक टिप्पणियां 6 अगस्त तक स्वीकार की जाएंगी।
यह नया परिसंपत्ति वर्ग परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को इजाजत देगा कि वे फंड पैकेजिंग में उच्च जोखिम, उच्च रिटर्न वाली रणनीतियों को शामिल कर सकें। यह उन निवेशकों के लिए होगा जिनमें जोखिम लेने के साथ-साथ वित्तीय क्षमता भी मौजूद होगी। प्रस्ताव में इन उत्पादों को पोर्टफोलियो प्रबंधन योजनाओं (पीएमएस) और ‘वनीला’ म्युचुअल फंड्स के बीच में कहीं रखने की बात है। इसके लिए न्यूनतम निवेश मूल्य 10 लाख रुपये है जो पीएमएस के लिए तय 50 लाख रुपये की सीमा से कम है।
इन योजनाओं को लॉन्च करने वाली एएमसी को मुख्य निवेश अधिकारी नियुक्त करना होगा जिसके पास कम से कम 5,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करने का न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव हो। इसके अलावा फंड प्रबंधक ऐसे होंगे जिन्हें कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के प्रबंधन का न्यूनतम सात वर्ष का अनुभव हो। एएमसी का खुद भी कम से कम तीन साल से संचालन हो रहा हो और उसके प्रबंधन में न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति होनी चाहिए।
ये प्रस्तावित म्युचुअल फंड जहां म्युचुअल फंड की तरह सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी), सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान पेश करेंगे, वहीं इस नई परिसंपत्ति श्रेणी के फंड प्रबंधकों के पास यह लचीलापन होगा कि वे हेजिंग के अलावा अन्य उद्देश्यों से ऐसी रणनीतियां इस्तेमाल कर सकता है जिनमें डेरिवेटिव का इस्तेमाल किया गया हो।
नई परिसंपत्ति श्रेणी के फंड को अलग तरह से ब्रांड करना होगा ताकि निवेशक उसमें और कम जोखिम वाले म्युचुअल फंड में अंतर कर सकें। इन फंड में यूनिट भुनाने की आवृत्ति को समायोजित करने में अधिक लचीलापन होगा ताकि प्रबंधकों के समक्ष अचानक नकदी की कमी की स्थिति न बने।
पत्र में यह भी सुझाया गया है कि यूनिट को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ईटीएफ की तरह शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध करना होगा ताकि आसानी से इनमें प्रवेश और निर्गम संभव हो सके। पत्र का सुझाव है कि फंड की इस नई श्रेणी के जरिये ‘लॉन्ग-शॉर्ट’ पोर्टफोलियो तैयार किया जाए ताकि बढ़ती या गिरती शेयर कीमतों का लाभ उठाया जा सके। इसके साथ ही ‘इनवर्स ईटीएफ’ मॉडल भी बनाया जा सकता है ताकि फंड के पोर्टफोलियो को विपरीत दिशा में एक मानक ईटीएफ तक पहुंचाया जा सके।
ऐसी रणनीतियों से फंड डेरिवेटिव की मदद से कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ ले सकेंगे। ऐसी रणनीतियां हेज फंडों द्वारा अपनाई जाती हैं जो उच्च रिटर्न हासिल कर पाते हैं भले ही बाजार की दिशा कुछ भी हो। परंतु इनमें भी बहुत जोखिम होता है और सावधानीपूर्वक प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है क्योंकि इनमें भारी नुकसान भी हो सकता है।
प्रस्ताव का एक उद्देश्य संसाधनों और जोखिम क्षमता वाले निवेशकों को अपंजीकृत, अनधिकृत संस्थाओं का सहारा लिए बिना उच्च जोखिम वाली रणनीतियों में भाग लेने की अनुमति देना है। ऐसे औपचारिक परसंपत्ति वर्ग के अभाव में भारी धनराशि वाले निवेशक अक्सर उन योजनाओं की ओर चले जाते थे जिन्हें अज्ञात संस्थाओं द्वारा चलाया जाता। ये इतने अधिक रिटर्न की बात कहतीं जो हकीकत से कोसों दूर होता।
विनियमित माहौल में सेबी को उम्मीद है कि इन अनधिकृत योजनाओं को बाजार से बाहर किया जा सकेगा और उनकी जगह विनियमित फंड ले लेंगे। इस नई परिसंपत्ति वर्ग को औपचारिक रूप प्रदान करना दरअसल इस बात को स्वीकार करना है कि इस प्रोफाइल के निवेशकों की जरूरत क्या है। यह उन्हें अपंजीकृत कारोबारियों से एक किस्म का संरक्षण भी मुहैया कराती है।
बहरहाल अगर यह नया परिसंपत्ति वर्ग गति पकड़ता है तो सेबी और एक्सचेंजों को डेरिवेटिव में उछाल से निपटना होगा और निगरानी सख्त करनी होगी। अगर यह सब किया जा सका तो नई परिसंपत्ति श्रेणी बाजार में मौजूद एक कमी को दूर करेगी।