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AI क्षेत्र में छलांग के लिए भारतकंप्यूट होगा कारगर

भारतकंप्यूट को एआई में प्रगति के लिए भारत की मौजूदा सेंट्रल प्रोसेसिंग (सीपीयू) आधारित कंप्यूट पावर का लाभ लेने पर विचार करना चाहिए।

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Ajay Kumar   
Last Updated- June 03, 2024 | 9:36 PM IST

भारत को ऐसी रणनीति अपनानी चाहिए जो ग्राफिकल प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना से आगे बढ़कर अपनी विशाल प्रतिभा का लाभ उठाने पर केंद्रित हो। बता रहे हैं अजय कुमार

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) क्षमता चार प्रमुख बिंदुओं पर आधारित होती है। इनमें अल्गोरिद्म, डेटा (जानकारियां), प्रतिभा और एआई कंप्यूट हैं। इन चारों में एआई कंप्यूट प्रायः सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ग्राफिकल प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) एआई कंप्यूट की मानक माप बन गए हैं जिसे देखते हुए पूरी दुनिया में भारी भरकम जीपीयू क्षमता तैयार करने की होड़ बढ़ गई है।

भारत सरकार ने भी एआई मिशन पहले के अंतर्गत 10,000 जीपीयू से अधिक क्षमता स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में सरकार का यह निर्णय एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। यह प्रयास सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के अंतर्गत पूरा किया जाना है। यह इस बात का संकेत है कि भारत निजी क्षेत्र की ताकत का फायदा उठाने में अब दिलचस्पी लेने लगा है। पहले सरकार अधिक पूंजी निवेश से पूरी होने वाली ऐसी परियोजनाएं सार्वजनिक क्षेत्र तक ही सीमित रखती थी।

भारत की एआई कंप्यूट क्षमता इस खंड में विशेष मुकाम हासिल कर चुके देशों अमेरिका और चीन की तुलना में साधारण है। वर्ष 2022 में वैश्विक जीपीयू बाजार 23 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया था, जिनमें 1 से 2 अरब जीपीयू मुख्य रूप से अमेरिका और चीन में थे।

दोनों देशों ने पिछले एक दशक के दौरान काफी तेजी से जीपीयू क्षमता हासिल की है और अपनी एआई कंप्यूट क्षमताएं बढ़ाने के लिए उनके पास बड़ी योजनाएं भी मौजूद हैं।

अमेरिका ने इस वर्ष जनवरी में नैशनल एआई रिसर्च रिसोर्स कार्यक्रम शुरू किया था जबकि चीन वर्ष 2025 तक 10 एक्सास्केल सिस्टम (अत्यधिक शक्तिशाली कंप्यूटर प्रणाली) सहित कुल कंप्यूट पावर क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक इजाफा करना चाहता है।

भारत को इन दोनों देशों की नकल करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय उसे समझदारी से काम लेना चाहिए और कोई कदम उठाने से पहले बाजार में दिखने वाले परिणामों पर नजर रखनी चाहिए। इस दृष्टिकोण को मैं भारतकंप्यूट कहता हूं।

अब प्रश्न यह है कि एआई कंप्यूट इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? एआई में पेचीदा कार्य (प्रशिक्षण एवं एआई मॉडल का परिचालन आदि) करने के लिए आवश्यक गणना शक्ति (कंप्यूटेशनल पावर) को ‘कंप्यूट’ कहा जाता है। यह डीप लर्निंग मॉडल को संतुलित एवं आवश्यक स्तर तक ले जाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

इसके अलावा, कंप्यूट पावर तत्काल प्रतिक्रिया (रियल-टाइम इंटरफरेंस) के लिए जरूरी है जिससे नए डेटा को लेकर अनुमान लगाना आसान हो जाता है। लार्ज लैंग्वेज-मॉडल (एलएलएम) की गणना संबंधी आवश्यकताएं बढ़ने से पिछले एक दशक के दौरान दुनिया में एआई कंप्यूट की मांग काफी बढ़ी है।

मगर अब एलएलएम हर जगह उपलब्ध हो गई है इसलिए एआई कंप्यूट की मांग स्थिर होने लगी है और सबकी नजरें अब इमेज प्रोसेसिंग मॉडल, गेमिंग, मल्टी-मोडल एआई और अन्य मॉडलों पर टिक गई हैं। ये ऐसे मॉडल में जिनमें कम कंप्यूट पावर की जरूरत होती है।

भारतकंप्यूट आर्थिक, सामाजिक एवं रणनीतिक खंडों में आधारभूत प्रारूप विकसित करने को प्राथमिकता दे सकता है और इस क्रम में वह मौजूदा ओपन सोर्स एलएलएम का फायदा उठाएगा। कम कंप्यूट संसाधनों के साथ भी यह दृष्टिकोण लाभकारी प्रतीत हो रहा है।

भारतकंप्यूट को एआई में प्रगति के लिए भारत की मौजूदा सेंट्रल प्रोसेसिंग (CPU) आधारित कंप्यूट पावर का लाभ लेने पर विचार करना चाहिए।

भारत में मजबूत सूचना-प्रौद्योगिकी (IT) उद्योग और उपयोगकर्ताओं की बड़ी संख्या व्यापक स्तर पर सीपीयू-आधारित कंप्यूट पावर उपलब्ध करा रहे हैं। इस तरह, जीपीयू में भारत की कमजोर स्थिति की भरपाई हो जाती है। एआई कार्यों के लिए सीपीयू धीमा होने के बावजूद इस संसाधन का लाभ उठाने से लागत में कमी के अलावा अन्य लाभ भी मिलेंगे।

भारतकंप्यूट पहल सरकार द्वारा स्थापित एआई कंप्यूट ढांचे की हिमायत करती है जो उन लोगों के लिए उपलब्ध होना चाहिए जो बाजार दरों पर इसका लाभ नहीं ले सकते हैं। इस समय एआई कंप्यूट पर प्रति जीपीयू घंटा 1 से 4 डॉलर का खर्च आता है और इसके साथ मेमरी और आईटी ढांचे पर आने वाले अतिरिक्त खर्च भी शामिल होते हैं।

एआई स्टार्टअप की संख्या बढ़ने के बाद सरकार से मिलने वाली सब्सिडी से ऐसी और इकाइयां एआई क्षेत्र में कदम रख सकती हैं। स्टार्टअप भारतकंप्यूट की सफलता में बड़ा योगदान दे रही हैं। सरकार भारतीय जरूरतों के हिसाब से कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और जल सहित अन्य खंडों में भी आधारभूत मॉडल विकसित करने को प्राथमिकता दे सकती है।

भारतकंप्यूट को भारत की संप्रभु एआई आवश्यकताओं पर भी ध्यान देना चाहिए, खासकर रणनीतिक एवं सुरक्षा खंड में। इस समय एआई कंप्यूट बाजार काफी हद तक क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर है जिस पर अमेरिका और चीन की इकाइयों का दबदबा है।

एक अध्ययन के अनुसार अमेरिका स्थित एमेजॉन वेब सर्विसेस, माइक्रोसॉफ्ट एजर और गूगल क्लाउड का दुनिया में सार्वजनिक क्लाउड बाजार के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण है। शेष बाजार के एक बड़े हिस्से पर चीन की तकनीकी कंपनियों अलीबाबा, हुआवे और टेनसेंट का नियंत्रण है। पब्लिक क्लाउड के साथ निजता एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएं जुड़ी हुई हैं।

सुरक्षा एवं संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए भारतकंप्यूट के लिए यह जरूरी है कि कंप्यूट ढांचा भारत में हो और यह एक भारतीय क्लाउड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करे। सरकार संवेदनशील या वर्गीकृत ऐप्लिकेशन के लिए कंप्यूट ढांचे का एक भाग सुरक्षित एवं नॉन-क्लाउड परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से रख सकती है।

पीपीपी ढांचे पर एआई कंप्यूट क्षमता स्थापित करना एक स्वागत योग्य कदम है। भारतीय वेंडरों की एक सूची बनाकर इसे परिचालित किया जा सकता है। ये वेंडर 10,000 जीपीयू के कोष में योगदान देते हैं। एक नया संयंत्र स्थापित करने की तुलना में ऐसी प्रक्रिया काफी तेज होगी और लागत के अनुकूल एवं उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं देने वाला तंत्र भी सुनिश्चित करेगी। निजी क्षेत्र अपने साथ संसाधन, कौशल एवं नवाचार लेकर आएगा। मगर पीपीपी ढांचे की संभावित त्रुटियों को भी दूर करना होगा।

मसलन, वेंडर बदलने की स्थिति में निरंतरता बनाए रखना, वेंडर लॉक-इन से बचना, डेटा सुरक्षा एवं निजता संबंधी विषय और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों एवं स्टार्टअप तक पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी होगा।

लिहाजा, भारतकंप्यूट का प्रबंधन एक स्वायत्त इकाई करे तो अच्छा होगा। इस इकाई का नेतृत्व पेशेवर विशेषज्ञता वाले उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के पास होना चाहिए। इस इकाई में सरकारी प्रतिनिधियों की भी भागीदारी होनी चाहिए।

एआई कंप्यूट बाजार अब भी शुरुआती अवस्था में है। भारतीय उद्योग जगत एआई कंप्यूट ढांचे का तेजी से विकास कर रहा है। कुछ कंपनियां निजी इस्तेमाल के लिए इसका विकास कर रही हैं और अन्य सेवा के रूप में इसकी पेशकश कर रही हैं। मगर भारतकंप्यूट को 10,000 जीपीयू स्थापित करने तक ही सीमित रहकर कुछ अन्य उपाय भी करने चाहिए।

इसे तुलनात्मक रूप से बड़े एआई कंप्यूट बाजार को आगे बढ़ाना चाहिए और उद्योग जगत को क्षमताएं बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। 10,000 जीपीयू के लिए घरेलू कंपनियों को तरजीही पहुंच देने से उद्योग जगत को अत्यंत जरूरी शुरुआत मिल सकती है।

एआई कंप्यूट ढांचे में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए करों में छूट का प्रस्ताव और संस्थापक मॉडलों के लिए एआई चिप-विकास जैसे सुझाव कारगर साबित हो सकते हैं।

भारत में बढ़ता कस्टमाइज एआई चिप का बाजार तेजी से उभरती संभावनाओं की तरफ इशारा कर रहा है। एनवीडिया का विकास, ओपनएआई के सैम ऑल्टमैन का 7 लाख करोड़ डॉलर का चिप निर्माण उद्यम और माइक्रोसॉफ्ट एवं एमेजॉन का एआई चिप डिजाइन में प्रवेश से यह बात साबित हो जाती है।

चिप डिजाइन में भारत के पास क्षमताओं की कोई कमी नहीं है और इसके बूते वह इसमें अवसरों का लाभ उठाने के लिए मजबूत स्थिति में दिख रहा है। एआई में आगे कदम बढ़ाने के लिए भारतकंप्यूट एक रणनीति के तहत शुरू की गई है।

(लेखक आईआईटी कानपुर में अतिथि प्राध्यापक एवं पूर्व रक्षा सचिव हैं)

First Published : June 3, 2024 | 9:19 PM IST