केंद्रीय बजट 2025-26 में छत्तीसगढ़ में कोंडागांव और बस्तर के ढोकरा कला के कारीगरों की वित्तमंत्री से कुछ मांगें हैं, जिससे वे दुनिया की इस नायाब आदिवासी शिल्प कला को पूरे विश्व में मशहूर कर सकें, लोगों तक पहुंचा सकें।
बता दें कि ढोकरा कला, धातु ढलाई का सदियों पुराना तरीका है। इसमें मोम के रिबन से मिट्टी के कोर को जटिल रूप से पैटर्न किया जाता है। इस कला को खोई हुई मोम तकनीक या खोखली ढलाई भी कहा जाता है। ये पारंपरिक रूप अपने सांस्कृतिक महत्व के लिए भी मशहूर है। पीढ़ियों से चली आ रही ढोकरा कला के कारीगर बेहतरीन मूर्तियां, आभूषण और उपयोगी वस्तुएं बनाते हैं। इन पर आदिवासी लोककथाओं और प्रकृति से प्रेरित रूपांकनों की झलक दिखाई देती है।
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ के कोंडागांव और बस्तर के इन ढोकरा कला कारीगरों की वित्तमंत्री से मांगें, बिजनेस स्टैंडर्ड हिन्दी की इस वीडियो स्टोरी में…
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