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Video: अद्भुत है गुजरात के आदिवासियों की डांग दरबार परंपरा

स्थानीय हाट बाजारों से लेकर होली उत्सव तक, ये महोत्सव आगंतुकों को डांग की समृद्ध आदिवासी संस्कृति का अनोखा अनुभव देता है।

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निमिष कुमार   
Last Updated- March 11, 2025 | 4:10 PM IST

डांग दरबार परंपरा एक सदी से भी ज्यादा समय से शाही गरिमा और आदिवासी पहचान का प्रतीक रहा है। कभी ये भील राजाओं के लिए ब्रिटिश शासन से राजनैतिक पेंशन प्राप्त करने का दरबार था, लेकिन आज ये गुजरात के डांग जिले में भव्य सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 9 से 12 मार्च तक चलने वाला त्योहार एक बार फिर आदिवासी विरासत, इतिहास और उत्सव को साथ लेकर आएगा।

डांग दरबार आदिवासी नृत्य, संगीत और रंग-बिरंगी परंपराओं का अद्भुत संगम है। हवा में कहालिया और तड़पुर जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनें गूंजती हैं और पारंपरिक परिधान में लोग घेरे में तालबद्ध नृत्य करते हैं। स्थानीय हाट बाजारों से लेकर होली उत्सव तक, ये महोत्सव आगंतुकों को डांग की समृद्ध आदिवासी संस्कृति का अनोखा अनुभव देता है।

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First Published : March 11, 2025 | 4:10 PM IST