मशहूर किताब 'रिच डैड पुअर डैड' के लेखक और उद्यमी रॉबर्ट कियोसाकी | फाइल फोटो
मशहूर किताब ‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक और उद्यमी रॉबर्ट कियोसाकी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि AI की वजह से कई ‘स्मार्ट स्टूडेंट्स’ की नौकरियां भविष्य में खतरे में पड़ सकती हैं। कियोसाकी का मानना है कि पारंपरिक नौकरी और पढ़ाई का रास्ता अब पहले जैसी आर्थिक सुरक्षा की गारंटी नहीं देता। खासकर उन युवाओं के लिए जो स्टूडेंट लोन लेकर पढ़ाई पूरी करते हैं, लेकिन नौकरी के मौके कम होने की वजह से मुश्किल में पड़ रहे हैं।
कियोसाकी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, “AI मुझे नौकरी से नहीं निकाल सकता, क्योंकि मेरे पास कोई नौकरी है ही नहीं।”
कियोसाकी लंबे समय से उद्यमिता और निवेश को नौकरी से बेहतर बताते रहे हैं। उनकी सलाह है कि लोग इस बदलते दौर में निष्क्रिय न रहें और अपने लिए नए रास्ते तलाशें। उन्होंने खासतौर पर युवाओं से कहा कि वे आर्थिक बदलावों को समझें और पारंपरिक सिस्टम से बाहर निकलकर नई रणनीतियां अपनाएं।
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कियोसाकी हमेशा से पढ़ाई और नौकरी के पारंपरिक मॉडल के खिलाफ रहे हैं। उनकी किताब ‘रिच डैड पुअर डैड’ में वे अपनी जिंदगी के दो किरदारों की कहानी बताते हैं। उनके ‘पुअर डैड’ ने पढ़ाई और नौकरी पर जोर दिया, जबकि ‘रिच डैड’ ने उद्यमिता और निवेश का रास्ता दिखाया।
कियोसाकी ने ‘रिच डैड’ की सलाह मानी और रियल एस्टेट, सोना, चांदी और अब बिटकॉइन जैसे डिजिटल एसेट्स में निवेश किया। उनका कहना है कि आज के दौर में यही रास्ता आर्थिक स्थिरता दे सकता है।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस ‘असामान्य समय’ में खुद को पीड़ित न बनने दें। कियोसाकी का मानना है कि AI सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक ऐसी आर्थिक ताकत है जो पूरी दुनिया के वर्कफोर्स को बदल सकती है। उनकी सलाह है कि लोग अपनी निजी और आर्थिक समझ को बढ़ाएं और वैकल्पिक निवेश के रास्ते अपनाएं।
एक यूजर ने उनके विचारों को सारांश में कहा, “अमीर लोग AI से नहीं डरते, वे इसे फंड करते हैं। गरीब लोग AI के मालिक नहीं होते, वे इसके साथ मुकाबला करते हैं।”