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Participating policy दे रही सुरक्षा और रिटर्न का संगम, जानें निवेशकों के लिए फायदे और सीमाएं

निवेशक पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी से सुरक्षा और बोनस पाते हैं, लेकिन रिटर्न बीमाकर्ता के प्रदर्शन पर निर्भर होता है, इसलिए खरीदने से पहले शर्तें और बोनस रिकॉर्ड जरूर जांचें।

Last Updated- August 24, 2025 | 10:46 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

जीवन बीमा कंपनियां नॉन-पार्टिसिपेटिंग श्रेणी में कीमत के मोर्चे पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण बहीखाते पर जोखिम कम करने के लिए पार्टिसिपेटिंग पॉलिसियों की ओर रुख कर रही हैं। इन योजनाओं की लोकप्रियता को देखते हुए जरूरी है कि निवेशक इनकी शर्तों का बेहद सावधानीपूर्वक आकलन करें। वे यह अवश्य देखें कि उनके वित्तीय लक्ष्यों के लिहाज से ये कितनी उपयुक्त हैं।

पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी

नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसियां लाभ और अनुमानित रिटर्न की गारंटी देती हैं। ये बिना बोनस के साथ कम लागत वाली भी होती हैं। दूसरी तरफ यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) हैं, जो पूरी तरह बाजार (इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड में निवेश) से जुड़े होते हैं। इसमें रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य वितरण अधिकारी (पार्टनरशिप डिस्ट्रीब्यूशन) और मार्केटिंग प्रमुख नितिन मेहता ने कहा, ‘इसमें निवेश पर जोखिम को पूरी तरह पॉलिसीधारक द्वारा वहन किया जाता है।’

पार्टिसिपेटिंग योजनाएं इन दो श्रेणियों के बीच आती हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य उत्पाद अधिकारी विकास गुप्ता ने कहा, ‘ऐसी योजनाएं कुछ न्यूनतम लाभ की गारंटी देती हैं। इसके अलावा पॉलिसीधारक को अंतर्निहित पार्टिसिपेटिंग फंड से रिटर्न या लाभ भी मिलता है।’ इसमें गारंटी वाले हिस्से से सुरक्षा मिलती है जबकि बोनस समय के साथ-साथ पॉलिसी मूल्य को बढ़ाते हैं।

सुरक्षा के साथ वृद्धि

शेयर बाजार में उथल-पुथल और ब्याज दरों में गिरावट के बीच पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी वृद्धि के साथ-साथ पूंजी की सुरक्षा भी देती है। गुप्ता ने कहा, ‘पार्टिसिपेटिंग पॉलिसियों का संतुलित ढांचा उन्हें सुरक्षा के साथ वृद्धि चाहने वाले निवेशकों के लिए आदर्श बनाता है। इस प्रकार की योजनाएं उनकी मध्यम जोखिम क्षमता के अनुरूप हैं।’

अपेक्षित रिटर्न

रिटर्न आम तौर पर पार्टिसिपेटिंग फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। प्रमाणित फाइनैंशियल प्लानर और हम फौजी इनिशिएटिव्स के मुख्य कार्याधिकारी संजीव गोविला ने कहा, ‘आम तौर पर मौजूदा बोनस घोषणा पैटर्न के आधार पर भारत में पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी 15 से 20 साल की होल्डिंग अवधि में 5 से 7 फीसदी आंतरिक रिटर्न दर देती हैं।’

बोनस

पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी आम तौर पर दो प्रकार के लाभ प्रदान करती हैं। वे गारंटी के साथ लाभ प्रदान करती हैं। इसे पॉलिसी जारी करते समय निर्धारित किया जाता है। विवेकाधीन बोनस का कोई ट्रैक रिकॉर्ड मौजूद न होने पर भी इससे ग्राहकों को आश्वस्त किया जाता है और उनका भरोसा बढ़ता है। इसके अलावा एक घटक बोनस भी होता है जिसकी कोई गारंटी नहीं दी जाती है। बोनस की घोषणा फंड के प्रदर्शन के आधार पर हर साल की जाती है।

अनिश्चित रिटर्न

बोनस निश्चित नहीं होता है। जर्मिनेट इन्वेस्टर सर्विसेज के मुख्य कार्याधिकारी संतोष जोसेफ ने कहा, ‘रिटर्न अनिश्चित होता है क्योंकि बोनस बीमाकर्ता के प्रदर्शन पर निर्भर करता है और उसकी कोई गारंटी नहीं होती है। इसलिए पॉलिसीधारकों को काफी समय बाद पॉलिसी के सही मूल्य का पता चलता है।’ पार्टिसिपेटिंग योजनाओं के लिए प्रीमियम नॉन-पार्टिसिपेटिंग योजनाओं के मुकाबले अधिक होता है। इसमें तरलता सीमित होती है। गोविला ने कहा, ‘इसमें जल्दी सरेंडर करने से मूल्य का नुकसान होता है।’

आपके लिए सही क्या?

पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी रूढ़िवादी निवेशकों के लिए काम करती है। गोविला ने कहा, ‘यह पॉलिसी उन परिवारों के लिए बेहतर विकल्प है जो बच्चों की शिक्षा, विरासत अथवा सेवानिवृत्ति जैसे लक्ष्यों के लिए बचत करते हैं। वे वर्षों नहीं, बल्कि दशकों के लिए प्रतिबद्धत होते हैं।’

खरीदने से पहले कर लें पड़ताल

पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी खरीदने से पहले बीमाकर्ता के दावों के रिकॉर्ड, वित्तीय ताकत और कम से कम एक दशक से अधिक के बोनस रिकॉर्ड की जांच कर लेनी चाहिए। सरेंडर की शर्तों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करें। पॉलिसी दस्तावेज को पूरा पढ़ें और बोनस नियमों में स्पष्टता पर गौर करें। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पॉलिसी को अपने लक्ष्यों से मिलाएं।

First Published - August 24, 2025 | 10:46 PM IST

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