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EPF से होने वाली आय पर आपको कितना टैक्स देना होगा? जानें डिटेल में

1 अप्रैल 2021 के पहले EPF पर मिलने वाला पूरा ब्याज टैक्स-फ्री था।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 20, 2024 | 3:33 PM IST

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर ब्याज से जुड़े टैक्स नियमों में साल 2021 में एक बड़ा बदलाव किया गया था। यह बदलाव मुख्य रूप से उन कर्मचारियों को ध्यान में रखकर लाया गया था, जो EPF में बड़ी रकम जमा कर टैक्स छूट का फायदा उठा रहे थे। अब, अगर किसी कर्मचारी का EPF में सालाना योगदान 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो इस अतिरिक्त राशि पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। इससे पहले, EPF पर मिलने वाला पूरा ब्याज टैक्स-फ्री था।

2021 के बजट में इस बदलाव की घोषणा की गई थी, जो 1 अप्रैल 2021 से लागू हुआ। नए नियम के तहत, EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) प्रत्येक कर्मचारी के लिए दो खाते बनाए गए। पहले खाते में 2.5 लाख रुपये तक के योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज को रखा जाएगा, जो पूरी तरह टैक्स-फ्री होगा। दूसरे खाते में 2.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज को रखा जाएगा, जो टैक्सेबल होगा। यह टैक्सेबल ब्याज कर्मचारी की कुल आय में जोड़ा जाएगा और उनकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।

टीडीएस का प्रावधान

नए नियम के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी का टैक्स योग्य ब्याज 5,000 रुपये से अधिक है, तो इस पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) काटा जाएगा। पैन कार्ड लिंक होने पर टीडीएस की दर 10% होगी, जबकि पैन कार्ड लिंक न होने पर यह दर 20% होगी।

कैसे होता है टैक्स का कैलकुलेशन?

मान लीजिए, किसी कर्मचारी का सालाना योगदान 4 लाख रुपये है और EPF की ब्याज दर 8% है। पहले 2.5 लाख रुपये के योगदान पर 20,000 रुपये का ब्याज टैक्स-फ्री रहेगा। बाकी 1.5 लाख रुपये के योगदान पर 12,000 रुपये का ब्याज टैक्सेबल होगा। यह टैक्सेबल ब्याज कर्मचारी की कुल आय में जोड़ा जाएगा और उनकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा।

पुराने और नए नियम का अंतर

नए नियम से पहले, EPF पर मिलने वाला पूरा ब्याज टैक्स-फ्री था। इससे कर्मचारियों को बड़ी बचत होती थी। लेकिन 2021 के बाद, 2.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर ब्याज टैक्सेबल हो गया। यह बदलाव खासतौर पर हाई इनकम कैटेगरी के कर्मचारियों को प्रभावित करता है, जो EPF में बड़ी रकम जमा करते हैं।

क्या है इस बदलाव का उद्देश्य?

सरकार का उद्देश्य उन उच्च आय वर्ग के लोगों को लक्षित करना था, जो EPF में बड़ी राशि जमा कर टैक्स छूट का लाभ उठा रहे थे। यह कदम टैक्स व्यवस्था को अधिक संतुलित बनाने और समानता लाने के लिए उठाया गया।

क्या ध्यान रखें?

अगर आप अतिरिक्त टैक्स से बचना चाहते हैं तो EPF में निवेश करते समय यह तय करना होगा कि योगदान 2.5 लाख रुपये से अधिक न हो। साथ ही, टीडीएस से बचने के लिए अपने पैन कार्ड को लिंक कराना बेहद जरूरी है।

First Published : December 20, 2024 | 3:28 PM IST