facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

ITR Filing: क्या आप कैपिटल गेन पर बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट का उठा सकते हैं फायदा?

चाहे लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन हो या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन, एडजस्टमेंट आपको पहले अन्य इनकम से करना होगा।

Last Updated- July 23, 2023 | 11:33 AM IST
Tax e-filing

वित्त वर्ष 2022-23 यानी असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई नजदीक आ गई है। बहुत सारे लोगों को बीते वित्त वर्ष किसी कैपिटल ऐसेट की बिक्री यानी ट्रांसफर से कैपिटल गेन हुआ होगा। अब प्रश्न उठता है क्या ऐसे लोग किसी कैपिटल ऐसेट की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन को बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से एडजस्ट कर सकते हैं।

आइए जानते हैं कि आखिर कैपिटल गेन से बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट के एडजस्टमेंट को लेकर इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 में क्या प्रावधान किए गए हैं।

क्या कहते हैं नियम

यदि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) हुआ है …
नियमों के अनुसार यदि किसी कैपिटल ऐसेट की बिक्री से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (long-term capital gain) होता है तो आप उस गेन को बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से एडजस्ट कर सकते हैं। नॉन-रेजिडेंट इंडिविजुअल और हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) ऐसा नहीं कर सकते।

यदि शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) हुआ है…
यदि आपको किसी ऐसे कैपिटल ऐसेट की बिक्री से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन हुआ है जो सेक्शन 111A के अंतर्गत आते हैं तो आप इस शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन को बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से एडजस्ट कर सकते हैं। नॉन-रेजिडेंट इंडिविजुअल और HUF को इस तरह के एडजस्टमेंट की सुविधा नहीं है।

लेकिन अगर ऐसे कैपिटल ऐसेट की बिक्री से शार्ट-टर्म कैपिटल गेन हुआ है जो सेक्शन 111A के अंतर्गत नहीं आते हैं तो आप इस शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन को बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से एडजस्ट नहीं कर सकते।

सेक्शन 111A के अंतर्गत आने वाले और नहीं आने वाले कैपिटल ऐसेट

सेक्शन 111A के तहत लिस्टेड इक्विटी शेयर, इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड और बिजनेस ट्रस्ट आते हैं। जबकि वैसे इक्विटी शेयर जो स्टॉक एक्सचेंज के जरिए नहीं बेचे जाते हैं यानी अनलिस्टेड शेयर, डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड, डिबेंचर, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, प्रॉपर्टी, गोल्ड और सिल्वर सेक्शन 111A के अंतर्गत नहीं आते हैं।

क्या कैपिटल गेन को पहले बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से कर सकते हैं एडजस्ट

चाहे लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन हो या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन, एडजस्टमेंट आपको पहले अन्य इनकम से करना होगा। यदि अन्य इनकम से एग्जेंप्शन लिमिट का एडजस्टमेंट नहीं होता है तो बची हुई राशि को आप कैपिटल गेन से एडजस्ट कर सकते हैं।

उदाहरण से समझते हैं :

मान लीजिए कोई व्यक्ति (उम्र 55 साल) अप्रैल 2022 में किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर खरीदता है और फरवरी 2023 में बेच देता है। इससे उसे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 1.2 लाख रुपये का शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन हुआ। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ही उस व्यक्ति को एफडी पर ब्याज के तौर पर 60 हजार रुपये की आय हुई। इसके अलावा उसे इसी अवधि के दौरान अन्य कोई आय नहीं हुई। अब देखते हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए उस व्यक्ति की क्या टैक्स देनदारी बनती है?

इस मामले में क्योंकि व्यक्ति की उम्र 60 साल से कम है इसलिए बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट 2.5 लाख होगा। सबसे पहले इस लिमिट में से एफडी पर मिले ब्याज यानी अन्य स्रोतों से हुई आय को एडजस्ट किया जाएगा। मतलब पहले 2.5 लाख रुपये में से 60 हजार रुपये ब्याज की राशि घटा दी जाएगी। इस एडजस्टमेंट के बाद भी एग्जेंप्शन लिमिट बचकर 1 लाख 90 हजार रुपये रह जाती है। व्यक्ति को क्योंकि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान और किसी तरह की आमदनी नहीं हुई, इसलिए 1.2 लाख रुपये की शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन की राशि को एग्जेंप्शन लिमिट की बची राशि से एडजस्ट किया जा सकता है।

ITR Filing 2023 : हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को आप भी कर सकते हैं किसी अन्य इनकम से एडजस्ट, जानिए कैसे

इसी मामले में यदि लिस्टेड इक्विटी शेयर की जगह अनलिस्टेड शेयर, डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड, डिबेंचर, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, प्रॉपर्टी, गोल्ड और सिल्वर से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन होता तो नियमों के अनुसार बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से इसे एडजस्ट नहीं किया जा सकता था। क्योंकि अनलिस्टेड शेयर, डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड, डिबेंचर, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, प्रॉपर्टी, गोल्ड और सिल्वर सेक्शन 111A के अंतर्गत नहीं आते हैं।

कैपिटल गेन शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म… कैसे होता है तय?

इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के तहत, किसी कैपिटल ऐसेट के ट्रांसफर पर कैपिटल गेन लॉन्ग-टर्म मानी जाएगी या शॉर्ट- टर्म इसका निर्धारण उस कैपिटल ऐसेट के होल्डिंग पीरियड के आधार पर होता है।

आइए अब देखते हैं कि अलग-अलग कैपिटल ऐसेट के लिए कैपिटल गेन का निर्धारण होल्डिंग पीरियड के आधार पर कैसे की जाती है:

इक्विटी शेयर/इक्विटी म्युचुअल फंड/लिस्टेड बॉन्ड: एक साल से कम अवधि में अगर आप इक्विटी शेयर/इक्विटी म्युचुअल फंड (इक्विटी यानी लिस्टेड कंपनियों के शेयर में एक्सपोजर कम से कम 65 फीसदी या इससे ज्यादा) या लिस्टेड बॉन्ड रिडीम करते हैं तो अर्जित आय शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाती है। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो आय लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी। Equity-linked saving schemes (ELSS या ईएलएसएस) और आर्बिट्राज फंड भी इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं। अगर कोई बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड भी कुल कॉर्पस का 65 फीसदी इक्विटी में निवेश करें तो टैक्स के हिसाब से इसे भी इक्विटी फंड ही माना जाता है।

म्युचुअल फंड, फिजिकल गोल्ड, अनलिस्टेड बॉन्ड: अगर आप 36 महीने यानी 3 साल से पहले म्युचुअल फंड (वैसे म्युचुअल फंड जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से ज्यादा लेकिन 65 फीसदी से कम), फिजिकल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड, अनलिस्टेड बॉन्ड रिडीम करते हैं तो उससे अर्जित आय शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी जो आपकी कुल आमदनी में जोड़ दी जाएगी और उस पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर 3 साल या उसके बाद रिडीम करते हैं तो आय लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी, जिस पर आपको लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

डेट म्युचुअल फंड, गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्युचुअल फंड : गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्युचुअल फंड और डेट म्युचुअल फंड (35 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर इक्विटी में नहीं) की बिक्री से होने वाले वाला कैपिटल गेन शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन ही माना जाएगा, भले ही आपका होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा। जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।

1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने बाद बेचते।

ITR Filing 2023 : गोल्ड में हुए नुकसान को शेयर से हुई कमाई से कैसे करें एडजस्ट

कमर्शियल प्रॉपर्टी और अनलिस्टेड शेयर: कमर्शियल प्रॉपर्टी और अनलिस्टेड शेयर के लिए लॉन्ग-टर्म होल्डिंग पीरियड 24 महीने है। यानी परचेज के बाद 24 महीने से पहले बेचने पर शार्ट-टर्म कैपिटल गेन और 24 महीने के बाद बेचने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन।

कितना लगता है शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG tax)
सेक्शन 111A के अंतर्गत आने वाले कैपिटल यानी लिस्टेड इक्विटी शेयर, इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल… वगैरह की बिक्री से होने वाले शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी (सरचार्ज और सेस अलग से) शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स देना होता है। लेकिन सेक्शन 111A के अंतर्गत नहीं आने वाले कैपिटल ऐसेट यानी अनलिस्टेड शेयर, डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड, डिबेंचर, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, प्रॉपर्टी, गोल्ड और सिल्वर की ब्रिकी से होने वाले शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है।

ITR Filing 2023: शेयर बाजार में हुए नुकसान को कर सकते हैं सेट ऑफ, जानिए कैसे

कितना देना होता है लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG tax)?

इक्विटी शेयर/इक्विटी म्युचुअल फंड पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स : सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी)। सालाना एक लाख से कम के लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स देय नहीं।

म्युचुअल फंड (वैसे म्युचुअल फंड जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से ज्यादा लेकिन 65 फीसदी से कम), फिजिकल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड, अनलिस्टेड शेयर, कमर्शियल प्रॉपर्टी पर : इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 20.8 फीसदी)।

इंडेक्सेशन के तहत महंगाई/कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (Cost Inflation Index) के हिसाब से परचेज प्राइस (cost of acquisition) को बढ़ा दिया जाता है, जिससे कैपिटल गेन कम हो जाता है और टैक्स में बचत होती है।

लिस्टेड/अनलिस्टेड बॉन्ड : बिना इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 20.8 फीसदी)।

First Published - July 21, 2023 | 7:37 PM IST

संबंधित पोस्ट