प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: ShutterStock
भारतीय घरों में अक्सर रिश्तेदारों की बातें होती हैं, खासकर उस दूर के नातेदार के बारे में जरूर, जो अमेरिका में अपने सपने पूरे कर रहा है। डिनर टेबल पर चर्चा कुछ ऐसी होती है, “मेरा कजिन अमेरिका में 80 लाख रुपये सालाना कमाता है। काश, मैं भी इतना कमा पाता।”
लेकिन दिल्ली के रिसर्चर शुभम चक्रवर्ती ने इस सोच को चुनौती दी है। उनकी एक लिंक्डइन पोस्ट जमकर वायरल हो रही है। उन्होंने लिखा, “अगली बार जब आपका अमेरिका में रहने वाला दोस्त कहे कि वो 80 लाख रुपये कमाता है, तो उसे याद दिलाएं कि भारत में वही जिंदगी जीने के लिए सिर्फ 23 लाख रुपये काफी हैं।”
ये बात सिर्फ सोशल मीडिया की सलाह नहीं, बल्कि एक आर्थिक कॉन्सेप्ट पर आधारित है, जिसे पर्चेजिंग पावर पैरिटी (PPP) कहते हैं।
PPP यानी पर्चेजिंग पावर पैरिटी, जो दो देशों में रहन-सहन की लागत की तुलना करता है। ये बताता है कि एक देश में कितनी कमाई चाहिए ताकि आप दूसरे देश जैसी जिंदगी जी सकें।
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के इस साल के डेटा के मुताबिक, भारत में 20.38 रुपये एक इंटरनेशनल डॉलर के बराबर हैं। वहीं, अमेरिका में 1 डॉलर = 1 इंटरनेशनल डॉलर।
इसका मतलब, अगर आप भारत में 23 लाख रुपये कमा रहे हैं, तो PPP के हिसाब से ये अमेरिका में 1,12,850 डॉलर के बराबर है। यानी, भारत में आपका एक रुपया अमेरिका के डॉलर से कहीं ज्यादा खरीदारी की ताकत रखता है।
Also Read: सैलरी आते ही खत्म हो जाती है? अपनाएं ’40-30-20-10′ मैजिकल रूल; अकाउंट में हर समय रहेंगे पैसे
शुभम ने अपनी बात को और साफ करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक की एक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें रोजमर्रा के खर्चों की तुलना थी:
ये खर्चे बताते हैं कि सिर्फ सैलरी का आंकड़ा देखकर धोखा हो सकता है, अगर आप रहन-सहन की लागत को नजरअंदाज करें।
शुभम की पोस्ट में ये भी कहा गया कि PPP ही एकमात्र फैक्टर नहीं है। अमेरिका में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, पब्लिक सर्विसेज और करियर के मौके मिलते हैं।
जिंदगी की क्वालिटी, सामाजिक फायदे और लंबे समय के अवसर हर देश में अलग-अलग हो सकते हैं। फिर भी, अगर आप विदेश से नौकरी का ऑफर तौल रहे हैं या अपनी मौजूदा सैलरी से संतुष्ट होना चाहते हैं, तो PPP आपको सही तस्वीर दिखा सकता है।