चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग | फाइल फोटो
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के नए निर्यात नियंत्रणों को रोकने के लिए सख्त रुख अपनाया है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध फिर भड़क सकता है। यह सब तब हो रहा है जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेता जल्द ही मिलने वाले हैं।
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते चीन ने कुछ दुर्लभ खनिज वाले उत्पादों पर वैश्विक निर्यात नियंत्रण लगाए। इनमें बहुत कम मात्रा वाली चीजें भी शामिल हैं। इसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शी से होने वाली मुलाकात रद्द करने की धमकी दी। यह उनकी छह साल में पहली आमने-सामने की बैठक होती। ट्रंप ने चीनी सामान पर टैरिफ दोगुना करके 100 प्रतिशत करने का ऐलान भी किया। साथ ही, महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की बात कही।
रविवार को बीजिंग ने अपने कदमों को बचाव की कार्रवाई बताया। उसने अमेरिका पर आरोप लगाया कि सितंबर में मैड्रिड में हुई बातचीत के बाद से नए प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। पिछले महीने अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने निर्यात नियंत्रणों को बहुत बढ़ा दिया। इससे बीजिंग को आधुनिक चिप्स मिलने में रुकावट आएगी।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि ऊंचे टैरिफ की धमकियां चीन से अच्छे रिश्ते बनाने का तरीका नहीं हैं। चीन की व्यापार युद्ध पर स्थिति साफ है। हम इसे नहीं चाहते, लेकिन डरते भी नहीं।
यह सख्त जवाब दिखाता है कि दोनों पक्ष मई में हुए समझौते पर सहमत नहीं हैं। उस समय टैरिफ कम करने पर सहमति हुई थी। ये टैरिफ 100 प्रतिशत से ज्यादा हो चुके थे। शी इसे दोनों तरफ से नए प्रतिबंधों पर रोक के रूप में देखते हैं। लेकिन अमेरिका इसे सिर्फ टैरिफ कम करने और दुर्लभ मिट्टी के मैग्नेट की सप्लाई के बदले में मानता है।
अब सवाल यह है कि क्या दोनों पक्ष फिर समझौता कर पाएंगे। अगर टैरिफ बढ़े तो अमेरिका और चीन के बीच अलगाव बढ़ सकता है। शुक्रवार को बाजारों में हलचल मची। अमेरिकी शेयरों में छह महीने की सबसे बड़ी गिरावट आई। सोयाबीन, गेहूं, तांबा और कपास जैसी चीजों की कीमतें गिर गईं।
चीनी अकादमी ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन के सीनियर रिसर्चर झोउ मी ने कहा कि हम ऐसी धमकियों से डरते नहीं। हमारी कार्रवाइयां साफ दिखाती हैं।
दोनों पक्षों ने तनाव कम करने की गुंजाइश रखी है। ट्रंप के टैरिफ 1 नवंबर से लागू होंगे। यह दक्षिण कोरिया में होने वाली बैठक के कुछ दिन बाद है। चीन के नए नियंत्रण एक हफ्ते बाद शुरू होंगे। पुराने व्यापार समझौते की मियाद भी जल्द खत्म हो रही है, जहां 145 प्रतिशत तक टैरिफ रोके गए हैं।
व्यापार वार्ता में तकनीक और हथियार बनाने वाले मैग्नेट मुख्य मुद्दा हैं। ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए जरूरी हैं। अप्रैल में ट्रंप ने 145 प्रतिशत टैरिफ लगाए थे। तब शी ने अमेरिकी कंपनियों को मैग्नेट खरीदने से रोक दिया। इससे फैक्टरियां बंद हुईं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता हुई। अगर फिर टैरिफ बढ़े तो चीन वैसा ही ब्लॉक लगा सकता है। इससे दोनों देशों को आर्थिक नुकसान होगा।
हुटोंग रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका का चीन से डर रणनीतिक है, आर्थिक नहीं। दुर्लभ खनिज की सप्लाई रुकने से रक्षा उत्पादन प्रभावित होता है। यह अमेरिका की वैश्विक ताकत और डॉलर की स्थिरता के लिए जरूरी है।
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यह झगड़ा दिखाता है कि दोनों प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच समझौता मुश्किल है। चीनी वार्ताकारों ने ट्रंप की टीम को बड़ा निवेश पैकेज ऑफर किया है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा नियम इसे रोक सकते हैं। इससे टिकटॉक के अमेरिकी ऑपरेशन पर सौदा भी खतरे में पड़ सकता है। अमेरिकी सांसद पहले से ही सुरक्षा चिंताओं पर विरोध करते हैं।
बीजिंग स्थित थिंक टैंक CF40 का मानना है कि अमेरिका को यह बढ़ोतरी और टिकटॉक सौदा टूटना ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। चीन ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए नीतिगत मदद ले सकता है। ट्रंप प्रशासन टिकटॉक से युवा वोटरों को आकर्षित करता है। 2026 के मध्यावधि चुनावों का दबाव है। इसलिए चरम कदम उठाने की गुंजाइश कम है। अमेरिका में टैरिफ से महंगाई और कमी बढ़ रही है। इसे जल्दी ठीक करना मुश्किल है।
इस साल चीनी निर्यात कई बाजारों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे। इससे पता चलता है कि बीजिंग अमेरिकी उपभोक्ता के बिना भी चल सकता है। सोमवार को आने वाले डेटा से फैक्टरी उत्पादन में तेजी दिखने की उम्मीद है। इससे शी को ज्यादा समय मिलेगा। लेकिन बहुत ऊंचे टैरिफ से अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा। घरेलू मांग कमजोर है और कीमतें गिर रही हैं।
दोनों पक्षों के अधिकारी इस हफ्ते मिल सकते हैं। चीन की टीम वाशिंगटन जाएगी। वहां अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रमुखों से बैठक होगी। बीजिंग को वैश्विक साझेदारों से विरोध मिल सकता है। उसके दुर्लभ मिट्टी नियंत्रण सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं हैं। यूरोपीय और एशियाई कंपनियां भी प्रभावित होंगी।
यह बढ़ता तनाव वैश्विक व्यापार में गहरा टूटन पैदा कर सकता है। दोनों अर्थव्यवस्थाओं में आंशिक अलगाव हो सकता है। बाजारों में फिर हलचल मची। अमेरिकी शेयर गिरे और कई कमोडिटी कीमतें नीचे आईं।
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि 100 प्रतिशत टैरिफ बढ़ोतरी से चीनी सामान पर प्रभावी दर 140 प्रतिशत हो जाएगी। यह व्यापार बंद कर देगी, सिर्फ लागत नहीं बढ़ाएगी। मौजूदा 40 प्रतिशत दर चुनौतीपूर्ण है, लेकिन चीन का उत्पादन लाभ निर्यात जारी रखता है। 100 प्रतिशत से ऊपर टैरिफ से ज्यादातर सप्लाई रुक जाएगी।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्यूचरम ग्रुप के प्रमुख सेमीकंडक्टर विश्लेषक रे वांग कहते हैं कि अंत में कोई समझौता होगा। दोनों पक्षों के लिए आर्थिक, सुरक्षा और सप्लाई चेन दांव बहुत ऊंचे हैं। मौजूदा गतिरोध ज्यादा समय नहीं टिक सकता।
इस साल की शुरुआत में चीन ने दुर्लभ खनिज के दबदबे से ट्रंप को कुछ निर्यात नियंत्रण ढीले करने पर मजबूर किया। शी की टीम अगली वार्ता में वैसा ही दबाव बना सकती है।
स्टेट रन टैब्लॉइड ग्लोबल टाइम्स के पूर्व संपादक हू शिजिन ने हाल के घटनाक्रम को अमेरिका-चीन रिश्तों में टर्निंग पॉइंट बताया। चीन दुर्लभ खनिज से अपनी ताकत इस्तेमाल कर चिप प्रतिबंध रोक रहा है।
उन्होंने एक्स पर लिखा कि इस साल ट्रंप प्रशासन ने कई बार चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाए, बिना सलाह के। हमारी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना आसान था। चीन अपनी ताकत से अमेरिका को लाइन पार करने से रोकेगा।