देश के प्रमुख आठ शहरों में जनवरी से सितंबर के दौरान मकानों के दाम में करीब 5 फीसदी का इजाफा हुआ है। प्रॉप टाइगर के अनुसार यह मांग बढ़ने और कच्चे माल जैसे सीमेंट व स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी का असर है। यदि आप सस्ते दाम पर मकान लेना चाहते हैं तो पुरानी संपत्ति खरीदने पर विचार करें।
आम तौर पर नए निर्माण की तुलना में पुरानी संपत्ति कम दाम पर उपलब्ध होती है। इसका कारण यह है कि समय के साथ संपत्ति के दाम में गिरावट आती है। हालांकि पुराने मकान खरीदने पर होने वाले मुनाफे को लेकर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। एनारॉक सूमह के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार के मुताबिक कुछ मामलों में दाम में 3 से 5 फीसदी का अंतर आ सकता है जबकि अन्य में 15 से 20 फीसदी तक का भी अंतर हो सकता है।
उसिंग डॉट कॉम समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी विकास वधावन के अनुमान के अनुसार पुराने मकान की तुलना में नया मकान करीब 25 से 50 फीसदी महंगा हो सकता है। हालांकि यह लोकेशन और मांग पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ‘यदि आपके घर के पास अत्यधिक मांग वाली रीसेल संपत्ति है तो संभव है कि नए-पुराने मकानों के दाम में खास अंतर नहीं भी हो सकता है।’
नई संपत्ति को बनने में कितना समय लगेगा, इसका भी दाम पर असर पड़ता है। कुमार ने कहा, ‘जब परियोजना पूरी होने वाली होती है तो अंतर कम होता जाता है।’ नई संपत्ति होने पर बिल्डर का ब्रांड और निर्माण की गुणवत्ता महत्त़वपूर्ण होती है। हालांकि पुरानी मकान की कीमत तय करने में मुख्य भूमिका यह निभाता है कि वह कितने साल पहले बना था और उसका रखरखाव कैसा है।
नई परियोजनाओं के लिए आम तौर पर प्राइम लोकेशन पर जमीन आसानी से उपलब्ध नहीं होती है। यदि आपको प्राइम लोकेशन पर रहना है तो आपको पुरानी संपत्ति खरीदनी पड़ेगी और उसके लिए अधिक कीमत भी अदा करनी पड़ेगी। बैंक बाजार डॉट कॉम के मुख्य कारोबारी अधिकारी पंकज बंसल ने कहा, ‘उपनगरों में बने नए मकान की जगह शहर के मुख्य हिस्से में बने पुराने मकान की कीमत अधिक होती है।’
पुराने घर बड़े प्लॉट पर बने होते हैं। इसलिए वे बड़े होते हैं और उनमें स्पेस भी ज्यादा होता है। स्क्वायर यार्ड्स की संस्थापक व मुख्य संचालन अधिकारी कनिका गुप्ता शौरी ने कहा, ‘पुराने मकान आम तौर पर बड़े प्लॉट पर बने होते हैं। उसमें कमरे बड़े होते हैं और उनका क्षेत्रफल भी ज्यादा होता है।’ पुरानी संपत्ति खरीदने में कई बार खरीदार को बेहतर सौदा हाथ लग जाता है। कुमार ने कहा, ‘ जब बेहद पुरानी संपत्ति का पुनर्विकास किया जाता है तो ऐसे में मालिक का लाभ दो से तीन गुना बढ़ सकता है।’
आपको मनमुताबिक पुरानी संपत्ति मिल सकती है लेकिन यह निर्माणाधीन संपत्ति के मामले में नहीं हो सकता है। निर्माणाधीन संपत्ति के मामले में प्री ईएमआई (कर्ज पर केवल ब्याज) का भुगतान करना पड़ता है। एएसएल पार्टनर्स में मैनेजिंग पार्टनर अभिनव शर्मा ने कहा, ‘यदि खरीदार पुराने मकान को खरीदता है तो वह होम लोन की पहली किस्त से ही कर लाभ का फायदा उठा सकता है।’ इस तरह खरीदार प्री-ईएमआई पर बचत कर सकता है।
यदि पुराने मकान की ज्यादा मरम्मत की जरूरत है तो आपको इसमें रहने लायक बनाने के लिए खासी रकम खर्च करनी पड़ सकती है। ऐसे में यह भी हो सकता है कि कम दाम में खरीदा गया मकान बाद में आपके लिए महंगा सौदा साबित हो जाए। कनिका गुप्ता ने कहा, ‘इन संपत्तियों पर समय-समय पर रखरखाव के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं। पुरानी संपत्तियों के कम ऊर्जा कुशल होने की भी आशंका रहती है।’
कई बार बैंक बहुत पुरानी संपत्ति पर कर्ज देने से बचते हैं। बंसल ने कहा, ‘बैंक पुरानी संपत्ति के ढांचे के स्थायित्व को भी देखते हैं। यदि इमारत 40 साल से ज्यादा पुरानी है या नगर निगम ने ध्वस्त करने योग्य घोषित कर दिया है तो इस पर कर्ज नहीं मिलता है।’ अपनी आयु पुरी करने वाली इमारत पर कर्ज तभी मिलता है जब वह बहुत अच्छी हालत में हो। कुमार ने कहा, ‘कुछ दशक पहले बनी इमारत में कार पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होती है क्योंकि उस दौर में कार रखना आम नहीं होता था। ‘
स्ट्रक्चरल इंजीनियर से ढांचे की मजूबती और व्यवहार्यता की जांच करवा लें। वकील से यह सुनिश्चित कर लें कि संपत्ति के साथ कोई विवाद तो नहीं है।