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मांग बढ़ी, सप्लाई घटी तो चढ़ेगा बिटकॉइन; पहली बार क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहे लोग ऐसे लगाएं रकम

बिटकॉइन के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह इसके हाजिर ETF को मंजूरी मिली है। इन्हें अमेरिका में मंजूरी मिली है और संस्थागत निवेश भी अच्छा-खासा हो रहा है।

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कार्तिक जेरोम   
Last Updated- March 11, 2024 | 7:25 AM IST

बिटकॉइन की कीमत पिछले एक साल में 24,327 डॉलर से चढ़कर करीब 52,088 डॉलर तक पहुंच गई है यानी लगभग दोगुनी हो गई है। इस क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से अब भी मुनाफा मिल सकता है मगर जितनी तेजी इसमें आ चुकी है, उसे देखते हुए सोच-समझकर कदम बढ़ाने चाहिए।

हाजिर ईटीएफ से बढ़े दाम

बिटकॉइन के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह इसके हाजिर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को मंजूरी मिली है। इन्हें अमेरिका में मंजूरी मिली है और संस्थागत निवेश भी अच्छा-खासा हो रहा है। कॉइनस्विच वेंचर्स में इन्वेस्टमेंट्स लीड पार्थ चतुर्वेदी कहते हैं, ‘ब्लैकरॉक और फिडेलिटी जैसी संस्थाओं को हाजिर ईटीएफ के लिए वास्तविक बिटकॉइन खरीदने पड़ रहे हैं। इतने बड़े फंड रोजाना खरीद कर रहे हैं, इसलिए कीमतें चढ़ती जा रही हैं।’

अप्रैल में उत्पादन में कटौती भी होने जा रही है, जिसकी वजह से बिटकॉइन महंगा हो रहा है। वजीरएक्स के वाइस प्रेसिडेंट राजगोपाल मेनन बताते हैं, ‘आम तौर पर एक-दो साल तक मंदी रहने के बाद ‘हाविंग इवेंट’ का बेसब्री से इंतजार होने लगता है। इसमें बिटकॉइन के उत्पादन की दर घटाकर आधी कर दी जाती है और सप्लाई एक झटके में कम हो जाती है।’

फिलहाल रोजाना करीब 900 नए बिटकॉइन तैयार किए जाते हैं और हाविंग के बाद इनकी संख्या घटकर 450 रोजाना ही रह जाएगी। हाजिर बिटकॉइन ईटीएफ से अभी हर हफ्ते औसतन 5,000 बिटकॉइन की मांग आ रही है।

सप्लाई घटेगी और मांग बढ़ेगी तो बिटकॉइन की कीमत में और भी उछाल आना स्वाभाविक है। यह भी माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इन कयासों की वजह से शेयरों समेत जोखिम वाली सभी संपत्तियों को ताकत मिल रही है। बिटकॉइन को भी इसका फायदा मिला है।

निवेशकों का हौसला भी इसे दम दे रहा है। मेनन कहते हैं, ‘बिटकॉइन की कीमत जैसे-जैसे चढ़ती है वैसे-वैसे ही लोग यह सोचकर इसे खरीदने के लिए दौड़ पड़ते हैं कि मुनाफा कमाने का मौका हाथ से निकल न जाए।’

उठापटक से रहें खबरदार

बिटकॉइन में निवेश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इसकी कीमत एकाएक चढ़ सकती है तो अगले ही दिन धड़ाम भी हो सकती है। साथ ही बिटकॉइन पर दुनिया भर में हो रही सख्ती का भी डर बना रहता है।

यह बात अलग है कि अमेरिका में बिटकॉइन नियामक के कायदों के तहत आने के बाद और दूसरे क्षेत्रों में भी उसकी स्वीकार्यता बढ़ने के बाद सख्ती का अंदेशा कम होता जा रहा है। मगर भारत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अक्सर चेताता रहता है कि बिटकॉइन यहां नियम-कायदों में नहीं आता और सरकार ने भी क्रिप्टोकरेंसी के लिए अभी तक नियम-कायदे जारी नहीं किए हैं।

क्रिप्टोकरेंसी कई बार गैर-कानूनी कामों के लिए भी इस्तेमाल की जाती हैं। यह खतरे की बात है क्योंकि नियामक ने सख्ती की तो इसके दाम गिरने से निवेशकों को तगड़ी चोट लग सकती है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत के साथ भी एक झोल है।

मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्णव पांड्या समझाते हैं, ‘शेयर की कीमत कंपनी की कमाई से तय होती है। बॉन्ड से ब्याज मिलता है। क्रिप्टोकरेंसी से कुछ भी नहीं मिलता। उनकी कीमत पूरी तरह मांग और सप्लाई से तय होती है।’ मांग घटते ही इनकी कीमत एकदम कम हो जाती है।

क्रिप्टोकरेंसी में एक और जोखिम है। ज्यादातर निवेशक अपनी क्रिप्टोकरेंसी किसी एक्सचेंज पर ऑनलाइन वॉलेट में रखते हैं। पांड्या कहते हैं कि अगर उन खातों के साथ छेड़छाड़ हो गई तो आप किसी भी नियामक के आगे गुहार नहीं लगा पाएंगे।

जारी रह सकती है दौड़

बिटकॉइन की कीमत पिछले एक साल में दोगुनी से ज्यादा हो गई है मगर बाजार भागीदारों को लगता है कि अभी इसमें और भी आगे जाने की गुंजाइश है। कुछ को तो लगता है कि अप्रैल में हाविंग यानी उत्पादन आधा होने के बाद यह अपने पिछले रिकॉर्ड मूल्य 68,789 (10 नवंबर, 2021 को था) से भी आगे निकल सकता है।

हाल में जो घटनाएं हुई हैं, उनसे बिटकॉइन को संपत्ति श्रेणी के तौर पर वैधता और मान्यता मिलती दिख रही है। साथ ही पहले से ज्यादा संस्थाएं अपने निवेश पोर्टपोलियो में रखती दिख रही हैं।

फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स कनाडा ने अपने ‘ऑल-इन-वन’ ऐसेट अलोकेशन फंडों में से 1 से 3 फीसदी निवेश बिटकॉइन में करना शुरू कर दिया है। इसमें हाजिर बिटकॉइन ईटीएफ भी शामिल हैं। भविष्य में और भी निवेश प्रबंधक अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बिटकॉइन में लगा सकते हैं।

भारतीय निवेशक फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के जरिये बिटकॉइन ईटीएफ में रकम नहीं लगा सकते। मगर वे लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के रास्ते ऐसा कर सकते हैं।

निवेश पर रखें अंकुश

वित्तीय योजनाकारों की सलाह है कि पुराने तरीकों पर चलने वाले या कम जोखिम लेने वाले निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी से एकदम दूर रहना चाहिए क्योंकि इनमें नियामकीय और दूसरी तरह के जोखिम हैं।

पांड्या कहते हैं, ‘अगर आप निवेश नहीं करते हैं तो इसे अपने पोर्टफोलियो में सट्टे की तरह अटकलों पर होने वाले निवेश का हिस्सा रखें। मगर इसमें किसी भी सूरत में 5 फीसदी से ज्यादा रकम नहीं लगाई जानी चाहिए।’

मेनन की सलाह है कि नए निवेशकों को ब्लू-चिप क्रिप्टोकरेंसी पर जोर देना चाहिए। साथ ही बिटकॉइन में निवेश करते समय तीन से पांच साल के लिए रकम लगानी चाहिए और उतार-चढ़ान का फायदा उठाने के लिए धीरे-धीरे निवेश करना चाहिए।

जिन लोगों ने अगले साल तक पैसा निकालने के लिहाज से पहले ही निवेश कर दिया था उन्हें धीरे-धीरे बिटकॉइन बेचकर मुनाफा कमाना चाहिए। जिनका लक्ष्य तीन साल दूर है, वे निवेश बरकरार रख सकते हैं।

First Published : March 11, 2024 | 7:25 AM IST