भारत अब अमेरिका से लंबी अवधि के लिए LPG (गैस) खरीदने की योजना बना रहा है। LPG खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होती है और प्लास्टिक बनाने में भी काम आती है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद की वजह से दुनिया में LPG की सप्लाई प्रभावित हो रही है।
सरकारी तेल कंपनियों की योजना है कि 2026 में हर महीने अमेरिका से तीन बड़े LPG जहाज मंगाए जाएं। ये कंपनियां भारत के 3.31 करोड़ से ज्यादा घरों को LPG देती हैं। देश की जरूरत का 60% हिस्सा विदेश से आता है। ट्रेडर्स का कहना है कि यह पहली बार है जब भारत अमेरिकी सप्लायर्स के साथ लंबी अवधि का समझौता करने जा रहा है।
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार विवाद के कारण LPG की कीमतें और सप्लाई प्रभावित हुई हैं। पहले चीन अमेरिका से ज्यादा LPG खरीदता था, लेकिन अब चीन पश्चिम एशिया के देशों से ज्यादा खरीद रहा है। इसके कारण अमेरिका का माल अक्सर सस्ता बिक रहा है। सऊदी अरब और अन्य देश भारत जैसे बाजारों में अपना हिस्सा बचाने के लिए कीमतें कम कर रहे हैं।
भारत ने हाल के महीनों में अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद भी बढ़ा दी है। अगस्त में अमेरिका से भारत के लिए रोजाना 3.98 लाख बैरल और सितंबर में 3.41 लाख बैरल तेल भेजा गया। यह जून (2.54 लाख बैरल) और जुलाई (1.66 लाख बैरल) की तुलना में काफी ज्यादा है। अमेरिका से तेल भारत तक पहुंचने में आमतौर पर दो महीने लगते हैं।
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पश्चिम के दबाव के बावजूद, रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है। अगस्त और सितंबर में रूस से भारत आने वाला तेल लगभग 15 लाख बैरल रोजाना रहा, जो जून और जुलाई के स्तर के लगभग बराबर है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)