facebookmetapixel
सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए अपनाया नया रुख, टैक्स छूट पर जोरCCIL: सरकारी बॉन्ड और विदेशी मुद्रा बाजार को आम लोगों तक पहुंचाने की पहलEditorial: जीएसटी अपील पंचाट शुरू, टैक्स विवाद सुलझाने में आएगी तेजीदेश के वाणिज्यिक पंचाटों में 3.56 लाख मामले लंबित, 24.72 लाख करोड़ रुपये फंसेरिवाइज्ड कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी नियमों में छोटी, हाइब्रिड कारों को रियायतCMF ने ऑप्टिमस इन्फ्राकॉम के साथ संयुक्त उद्यम बनायासितंबर में आईपीओ बाजार गुलजार, 1997 के बाद सबसे ज्यादा निर्गमथॉमस कुक इंडिया ने ब्लिंकइट के साथ की साझेदारी, अब बॉर्डरलेस मल्टी करेंसी कार्ड मिनटों में घर पर मिलेगाभारत-अमेरिका वार्ता: रूसी तेल और व्यापार समझौते पर व्यापक समाधान की तलाशवर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में ₹1 लाख करोड़ से अधिक निवेश की उम्मीद: चिराग पासवान

कमजोर नतीजों से आईटी शेयर्स पर दबाव, निवेशकों को हो सकता है आगे भी नुकसान

निफ्टी आईटी इंडेक्स लगातार तीन तिमाहियों से निफ्टी 50 के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहा है और इस साल अब तक इसमें 18.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।

Last Updated- July 29, 2025 | 10:27 PM IST
IT companies
प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के निवेशकों को आगे भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसका कारण है वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में सुस्त आय। इस साल कई तरह की अनिश्चितताओं के बीच दलाल पथ पर पहले से ही खराब प्रदर्शन कर रहे आईटी शेयरों पर दबाव और बढ़ सकता है। विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशक मौजूदा हालात को देखते हुए बाजार में बेहतर अवसर तलाश कर सकते हैं।

निफ्टी आईटी इंडेक्स लगातार तीन तिमाहियों से निफ्टी 50 के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहा है और इस साल अब तक इसमें 18.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। प्रमुख सेक्टरों में उनका यह सबसे खराब प्रदर्शन है। इसी अवधि में निफ्टी सूचकांक 4.8 प्रतिशत चढ़ा है।

इस साल जनवरी से अभी तक निफ्टी आईटी इंडेक्स के सभी 10 शेयरों में गिरावट आई है। सबसे अधिक गिरावट ओरेकल फाइनैंशियल सर्विसेज में 32 प्रतिशत रही। उसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (25.5 प्रतिशत) और एचसीएल टेक्नोलॉजीज (23.5 प्रतिशत) का स्थान रहा।

टैरिफ और कर नीतियों के मोर्चे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बदलते बयानों ने अमेरिका में चिंताओं को बढ़ाया है जिससे आईटी शेयरों के लिए अनुमान और अधिक अधिक सतर्क हो गए हैं। कंपनियों ने वित्त वर्ष 2026 के पहली तिमाही के आंकड़ों की घोषणा करते हुए लगातार आर्थिक अनिश्चितता और संघर्षों व आपूर्ति की समस्याओं के कारण वैश्विक व्यवधानों को लेकर आगाह किया है।

सोविलो इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फंड मैनेजर संदीप अग्रवाल ने कहा कि आईटी कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजे मोटे तौर पर उम्मीदों के मुताबिक रहे। लेकिन टीसीएस जैसे कुछ मामलों में राजस्व वृद्धि ने निराश किया। हालांकि इन्फोसिस ने थोड़ा सकारात्मक प्रदर्शन किया। अग्रवाल ने कहा, ‘चुनौती यह है कि मार्जिन के मामले में भी स्थिति मिली-जुली है।’

क्या निवेशकों को बाहर निकलना चाहिए?

अग्रवाल को आगामी तिमाही में मुश्किलें और बढ़ने की आशंका दिख रही है। सितंबर में थोड़ी राहत मिलने की संभावना है क्योंकि भारत में वृद्धि मुख्य रूप से पहली छमाही पर निर्भर करती है। वर्ष की दूसरी छमाही में दिसंबर में आमतौर पर छुट्टियों के कारण कामकाज बंद रहता है और कई निर्माण इकाइयां इस महीने में परिचालन कम कर देती हैं।

आईटी क्षेत्र ‘वेट-ऐंड-वॉच’ मोड यानी प्रतीक्षा करो और देखो की स्थिति में है। शेयरों के एक दायरे में रहने की संभावना है। अग्रवाल ने कहा कि बुनियादी तौर पर, यह सेक्टर उस स्थिति में नहीं होना चाहिए जहां वह अभी है।

जेएम फाइनैंशियल और पीएल कैपिटल सहित कई ब्रोकरेज फर्म आईटी सेवाओं पर अंडरवेट हैं। पीएल कैपिटल के विश्लेषकों ने कहा कि वे ‘अंडरवेट’ बने हुए हैं क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता के मौजूदा दौर के कारण ग्राहकों के ऑर्डर में कमी आएगी।

मिरे ऐसेट्स शेयरखान के उपाध्यक्ष-शोध प्रमुख संजीव होता ने कहा, ‘आईटी इस साल अब तक सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला प्रमुख सेक्टर बना हुआ है। अल्पावधि में कोई ऐसा कोई मजबूत ट्रिगर नहीं दिख रहा है जिससे आगे चलकर प्रदर्शन बेहतर हो सके। ट्रंप दौर के टैरिफों का असर जारी है और इस मामले में और स्पष्टता आने तक यह असर बने रहने की संभावना है।’

First Published - July 29, 2025 | 10:15 PM IST

संबंधित पोस्ट