भारतीय इक्विटी बाजार अब तक के सर्वोच्च स्तर के पास कारोबार कर रहे हैं और यहां वित्त वर्ष 22 में 2-3 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड इक्विटी की आपूर्ति हो सकती है और इसका 40 फीसदी हिस्सा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए जुटाया जा सकता है। हालांकि कॉरपोरेट इक्विटी की आपूर्ति की वास्तविक मात्रा संस्थागत निवेश पर निर्भर करेगी और यह नए निवेशकों को भी ला सकती है। जेफरीज के नोट में ये बातें कही गई है।
जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदूरकर ने अभिनव सिन्हा के साथ लिखी रिपोर्ट में कहा है, भारत के इंटरनेट स्पेस में परिपक्वता, सरकार का विनिवेश कार्यक्रम और पारंपरिक तौर पर वित्तीय तौर पर प्रतिभूतियां जारी करने वाली बड़ी कंपनियों का इसमें वर्चस्व रहेगा, लेकिन करीब एक फीसदी मार्केट कैप पर आपूर्ति सीमा के भीतर ही होगी। हमारा विश्लेषण बताता है कि शुद्ध इक्विटी आपूर्ति विगत में तेजी के मजबूत बाजार में आसानी से 1 फीसदी के पार निकल गया है और अब 30 से 40 अरब डॉलर की सकल इक्विटी समाहित हो सकती है।
जेफरीज के मुताबिक, वित्त वर्ष 21 में इक्विटी की आपूर्ति अनुमानित तौर पर 24 अरब डॉलर रही, जो तीन साल का उच्चस्तर है। पिछले दशक में इक्विटी के जरिए रकम जुटाने में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम का योगदान करीब 27 फीसदी पर स्थिर रहा है। भारत का परिपक्व इंटरनेट क्षेत्र हालांकि इस प्रवृत्ति को आगे दो बड़ी कंपनियों जोमैटो व पेटीएम के साथ बदल सकता है. डो इस वित्त वर्ष में सूचीबद्ध होने की तैयारी कर रही हैं।
देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन बीमा कंपनी पॉलिसी बाजार भी आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है और उसकी योजना आईपीओ से 4,000 करोड़ रुपये जुटाने की है। जोमैटो पहले ही विवरणिका का मसौदा सेबी के पास जमा करा चुकी है और यह कंपनी इसके जरिये 8,250 करोड़ रुपये जुटाने पर विचार कर रही है।
आनंद राठी के एस. सिंघल ने एक नोट में कहा है, कंपनी इस रकम का एक हिस्सा खुद के दम पर या विलय-अधिग्रहण के जरिए आगे बढऩे पर करेगी। बाकी रकम का इस्तेमाल कंपनी का सामान्य कामकाज पर होगा। यह आईपीओ यूनिकॉर्न के लिए भारतीय निवेशकों की परीक्षा भी होगी।
दूसरी ओर, पेटीएम का इरादा इस साल करीब 22,000 करोड़ रुपये जुटाने की है। अगर यह कामयाब रहा तो किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। इससे पहले कोल इंडिया साल 2010 में 15,475 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।