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Stock Market: मामूली बदलाव के साथ बंद हुए बाजार, सरकार लोकलुभावन कदमों से बचती नजर आई

Share Market Today: विशेषज्ञों ने कहा कि बजट में लोकलुभावन घोषणाएं न होने और राजकोषीय विवेक पर ध्यान देने से निवेशकों का मनोबल ठीक रहा।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- February 01, 2024 | 10:13 PM IST

Stock Market Today: भारतीय इक्विटी बेंचमार्क गुरुवार को सपाट बंद हुए क्योंकि अंतरिम बजट में चौकाने वाली बात नहीं थी और यह मोटे तौर पर अनुमान के मुताबिक था। विशेषज्ञों ने कहा कि बजट में लोकलुभावन घोषणाएं न होने और राजकोषीय विवेक पर ध्यान देने से निवेशकों का मनोबल ठीक रहा। इससे लंबी अवधि में निवेश आकर्षित होगा। हालांकि ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जो बाजार को तुरंत उछाल देकर आगे ले जा सके।

बाजार पहले से ही ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। सेंसेक्स 107 अंक टूटकर 71,654 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी-50 इंडेक्स 17 अंकों की गिरावट के साथ 21,709 पर टिका। दोनों बेंचमार्क सूचकांकों ने बजट से पहले करीब 0.3 फीसदी ऊपर कारोबार किया। 1 फरवरी, 2020 के बाद बजट के दिन बाजार के लिए गिरावट वाली यह पहली क्लोजिंग रही। साथ ही 16 फरवरी, 2009 के बाद से यह सबसे खराब लेखानुदान की मांग वाले दिन का प्रदर्शन रहा।

चुनाव से पहले आखिरी बजट होने के बावजूद सरकार किसी लोकलुभावन कदमों से बचती नजर आई। केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया। साथ ही उसने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 2024-25 के लिए 5.1 फीसदी रखा, जिसे बॉन्ड बाजारों ने सराहा।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के एमडी व सीईओ मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि चुनाव वाले साल में जब काफी कुछ दांव पर लगा होता है, सरकार ने एक बार फिर लोकलुभावन कदमों से परहेज किया और इसके बजाय राजकोषीय एकीकरण की राह पर डटे रहने का विकल्प चुनकर उम्दा रणनीतिक समझ का परिचय दिया।

ओसवाल ने कहा कि बजट में उपभोग को मजबूती देने वाले कदमों का अभाव हतोत्साहित करने वाला रहा। उपभोग कमजोर बना हुआ है, खास तौर से ग्रामीण भारत में। पिछली कुछ तिमाहियों में कंपनियों की आय से यही संकेत मिला है। बजट ने उपभोग में त्वरित सुधार को लेकर अल्पावधि के किसी समाधान का जिक्र नहीं किया।

ऐक्सिस एएमसी के सीआईओ आशिष गुप्ता ने कहा कि हमने इस बजट में किसी अहम घोषणा की उम्मीद नहीं की थी लेकिन कम राजकोषीय घाटा और पूंजीगत परिव्यय में बढ़ोतरी भारत की प्रगति की गाथा को रफ्तार देती रहेगी। दोनों ही कदम निजी पूंजीगत खर्च के चक्र में तेजी लाने के लिहाज से मुफीद हैं। कुछ निश्चित क्षेत्र के शेयरों ने बजट पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जताई।

उदाहरण के लिए सीफूड क्षेत्र मसलन वॉटरबेस, अपेक्स फ्रॉजन फूड्स और अवंति फीड्स में उछाल आई क्योंकि सरकार ने एक्वाकल्चर उत्पादकता का लक्ष्य 3 से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर कर दिया है और अगले साल एक्वा निर्यात को दोगुना कर 1 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचाने का इरादा जताया है।

इस बीच रेलवे के ज्यादातर शेयरों में गिरावट आई जबकि सरकार ने तीन अलग-अलग रेल कॉरिडोर बनाने के अलावा 40,000 रेल बोगियों की सुरक्षा और उनमें सुविधा मानकों में इजाफा करने का ऐलान किया।

बाजार के मनोबल पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के संकेतकों का भी असर पड़ा कि वह मार्च में शायद ही ब्याज दरों में कटौती करेगा। दरें बरकरार रखते हुए बुधवार को फेड ने कहा था कि वह तब तक लक्षित दायरा नीचे लाना सही नहीं समझता जब तक कि उसे पूरा भरोसा न हो जाए कि महंगाई 2 फीसदी की स्थिरता की ओर बढ़ रही है।

बीएसई के 19 क्षेत्रीय सूचकांक मिले-जुले बंद हुए और दूरसंचार व रियल्टी में सबसे ज्यादा गिरावट आई। बैंकिंग और लॉजिस्टिक शेयरों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज हुई। बीएसई पर कुल मिलाकर 1,774 शेयर चढ़े जबकि 2,081 में गिरावट आई।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एमडी व सीईओ धीरज रेली ने कहा कि वित्त वर्ष 24 व वित्त वर्ष 25 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान बाजार की उम्मीद से बेहतर रहने और वित्त वर्ष 25 के लिए कम उधारी लक्ष्य ने बॉन्ड बाजार को उत्साहित किया।

रेल इन्फ्रा पर खर्च की घोषणा और पूंजीगत खर्च में कुल मिलाकर 11.1 फीसदी की बढ़ोतरी ज्यादातर लोगों के अनुमान के मुताबिक है। इक्विटी बाजारों पर अंतरिम बजट का असर तात्कालिक आधार पर तटस्थ से लेकर थोड़ा सकारात्मक होगा और अन्य उभरते संकेतक बाद में इसकी चाल को दिशा देंगे।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 1,880 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे जबकि देसी संस्थान 873 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। एक्सचेंजों के अनंतिम आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

First Published : February 1, 2024 | 7:46 PM IST