दिसंबर में खरीदारी करके जनवरी में बिकवाली करने से उलट विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नए साल का स्वागत कुछ दूसरे अंदाज में किया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नए साल में बिकवाली करने की जगह खरीदारी को ज्यादा तरजीह दी है।
एफआईआई द्वारा की गई खरीदारी इसलिए भी मायने रखती है कि अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में जारी उनकी इस खरीदारी से ज्यादा उत्साहित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह ज्यादा दिनों तक जारी रहने वाली नहीं है।
अगर पिछले साल की बात करें तो विदेशी संस्थागत निवेशकों के किए गए निवेश के लिहाज से वर्ष 1999 से कुल निवेश का 20 फीसदी वर्ष 2008 में निवेश रूप में सामने आया।
सेबी की वेबसाइट के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1999 के बाद से अब तक भारतीय शेयर बाजारों में 53 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। एफआईआई द्वारा इससे पहले किए गए निवेश के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
बाजार में कारोबारियों का कहना है कि जहां तक विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा वर्ष 2009 में किए जानेवाले निवेश की बात है तो वह उतना बुरा नहीं रहेगा और इसके उत्साहजनक रहने की उम्मीद तो निश्चित तौर पर की जा सकती है।
एक ब्रोकर कंपनी के प्रमुख ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हालांकि एफआईआई बहुत ज्यादा निवेश तो नहीं करेंगे लेकिन इसके बावजूद भारतीय शेयर बाजार में उनके द्वारा फिर भी 3 से 4 अरब डॉलर का निवेश निश्चित तौर पर किया जाएगा।
इस नए साल में शुरुआत के तीन कारोबारी सत्रों में एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार में 202.60 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की खरीदारी की है। अगर परंपरागत रुझानों को देखे तो जनवरी के महीने में एफआईआई ने हमेशा से नए निवेश किए हैं जिससे बाजार में कारोबार में उछाल देखने को मिला है।
वर्ष 1999 से मौजूदा समय तक एफआईआई ने जनवरी के महीने में मात्र दो बार यानी वर्ष 1999 और 2008 में बिक वाली की है। जनवरी 2008 में एफआईआई ने जो बिकवाली की थी, उसकी वजह अमेरिका में पैदा हुआ के्र डिट संकट था।
ब्रोकरेज फर्म इंडिया इन्फोलाइन इस साल बाजार से 30 फीसदी रिटर्न मिलने की संभावना व्यक्त कर रही है। इस बाबत इंडिया इन्फोलाइन के आशुतोष दतार का मानना है कि वर्ष 2009 में एफआईआई द्वारा किया जानेवाला निवेश बहुत ही सकारात्मक रहेगा जिसकी वजह उभरते बाजारों में आ रही तेजी और वैश्विक फंडों में मजबूत रहेगी।
हालांकि इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस साल विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा ठीक-ठाक निवेश किए जाने के बावजूद अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही के आनेवाले परिणाम निराशाजनक रह सकते हैं।
इस वजह से बाजार में कारोबार की स्थिति चरमरा सकती है। ऐसी संभावना भी जताई जा रही है कि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में जान फूंकने केउद्देश्य से किए जा रहे उपाय भी बहुत ज्यादा मददगार साबित नहीं होंगे और बाजार में गिरावट को रोक पाने में शायद ही सफल हो पाएंगे।
बाजार में आनेवाले समय में कारोबार पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केआईएम ईएनजी सिक्योरिटी इंडिया के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ शोध प्रमुख जिगर शाह का कहना है कि सेंसेक्स 10,500 अंकों पर बिकवाली देखने को मिल सकता है और इसके बाद निवेशक अगले सप्ताह आनेवाले तीसरी तिमाही के परिणामों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे और उसके बाद ही कोई ठोस निर्णय लेंगे।
शाह ने कहा कि पिछले शुक्रवार को सरकार द्वारा दिए गए राहत पैकेज से न तो बैंकों द्वारा कर्ज देने में तेजी आएगी और न ही इससे बाजार में कारोबार को किसी तरह का लाभ पहुंचेगा।
नई शुरु आत
एफ आईआई का शेयरों में कुल निवेश
Jan-99 -25.50
Jan-00 242.90
Jan-01 3973.00
Jan-02 357.10
Jan-03 1065.60
Jan-04 2435.40
Jan-05 1245.60
Jan-06 3220.70
Jan-07 160.30
Jan-08 -17226.90
Jan-09 214.2*
* 02 जनवरी 09 तक (रुपये करोड़ में)