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F&O में तेजी पर लगेगा अंकुश! SEBI ने निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की ​स्थिरता के लिए सात उपाय प्रस्तावित किए

अगर सेबी का प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो एनएसई और बीएसई के ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट आ सकती है और उनके मुनाफे पर भी असर पड़ सकता है।

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खुशबू तिवारी   
समी मोडक   
Last Updated- July 31, 2024 | 7:26 AM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग प्रारूप में 7 अहम बदलावों का प्रस्ताव किया है। इस कदम का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा और बाजार में स्थायित्व बढ़ाना है।

विशेषज्ञ कार्यसमूह की सिफारिशों के आधार पर बाजार नियामक ने ऑप्शन (विकल्प) सौदों में कम स्ट्राइक कीमत, ऑप्शन प्रीमियम अग्रिम लेने, अनुबंधन के न्यूनतम आकार को तीन गुना करने और साप्ताहिक निपटान को कम करने का प्रस्ताव किया है। विभिन्न वित्तीय नियामकों और अर्थशास्त्रियों द्वारा डेरिवेटिव बाजार में अत्य​धिक तेजी के मद्देनजर छोटे निवेशकों को होने वाले भारी नुकसान की चिंता के बीच ये बहुप्रतीक्षित सिफारिशें आई हैं। डेरिवेटिव बाजार में रोजाना 400 लाख करोड़ रुपये से अ​धिक का कारोबार होता है।

आज परामर्श पत्र जारी करने से पहले नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के एक कार्यक्रम में सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा, ‘अगर डेरिवेटिव सौदों में किसी परिवार की बचत का सालाना 50,000 से 60,000 रुपये का नुकसान हो जाता है तो यह बड़ी चिंता का कारण है। इस पैसे को संभावित रूप से अगले आईपीओ, म्युचुअल फंड या अर्थव्यवस्था में उत्पादक चीजों पर लगाया जा सकता है।’ अगर सेबी का प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो एनएसई और बीएसई के ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट आ सकती है और उनके मुनाफे पर भी असर पड़ सकता है।

नए नियमों का एक्सचेंज के मुनाफे पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर एनएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी आशीष कुमार चौहान ने कहा कि एक्सचेंज प्रथम स्तर का नियामक है और मुनाफे की बात दूसरे नंबर पर आती है। उन्होंने कहा कि डेरिवेटिव पर सेबी के दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद वह उसका पालन करेंगे।

सेबी के प्रस्ताव का मतलब है कि एक्सचेंजों को ऑप्शन सेगमेंट में प्रत्येक साप्ताहिक निपटान के लिए एक बेंचमार्क रखना होगा। वर्तमान में हफ्ते के हर दिन इंडेक्स का साप्ताहिक निपटान होता है। इससे अटकलबाजी के कारोबार को बढ़ावा मिलता है और ज्यादातर अनुमानित कारोबार निपटान के दिन ही होता है। इसके साथ ही नियामक ने अनुबंध के न्यूनतम आकार को मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15-20 लाख रुपये करने की योजना बनाई है। इसे अनुबंध के शामिल होने के 6 महीने बाद और बढ़ाया जाएगा।

इसके अलावा सेबी ने खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम को अग्रिम लेने, निपटान के करीब आने पर अनुबंध मार्जिन बढ़ाने, पोजीशन लिमिट पर इंट्राडे के आधार पर नजर रखने, अनुबंध स्ट्राइक को वाजिब बनाने और निपटान के दिन कैलेंडर स्प्रेड का लाभ हटाने जैसे अन्य प्रस्ताव किए हैं।

सेबी के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में एनएसई पर इंडेक्स डेरिवेटिव में ट्रेड से 92.5 लाख निवेशकों और फर्मों को कुल 51,689 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। एक्सचेंजों के अलावा नए नियमों का असर ब्रोकरों पर भी पड़ेगा जो पहले से ही कई नियमों में बदलाव से जूझ रहे हैं।

First Published : July 31, 2024 | 7:07 AM IST