चुनाव नतीजों के समय इक्विटी बाजार हमेशा काफी अस्थिर रहता है, जैसा कि मौजूदा समय में देखा जा रहा है। हालांकि 6 महीने बाद बाजार में हमेशा से लाभ देने की प्रवृत्ति रही है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है। निफ्टी-50 सूचकांक ने वर्ष 2004 के बाद से चुनाव परिणाम के दिन से 6 महीने आगे के आधार पर हमेशा सकारात्मक परिणाम दिया है। पिछले पांच चुनाव चक्रों के लिए औसत रिटर्न 10.2 प्रतिशत है।
2019 को छोड़कर, निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों ने भी चुनावों के बाद 6 महीने में अच्छा रिटर्न दिया है। 2004 में भी, जब सूचकांक राजग की हार के बाद 20 प्रतिशत टूट गया था तो भी छह महीने और एक साल बाद बाजार ने सभी नुकसान की भरपाई कर ली और सकारात्मक रिटर्न दिया।
मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बहुमत का आंकड़ा पार न कर पाने के कारण बाजार में 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे गठबंधन सरकार की क्षमता को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। बुधवार को, बाजार आधे से ज्यादा नुकसान की भरपाई करने में कामयाब रहे। यदि इतिहास को देखा जाए तो चुनाव संबंधी गिरावट खरीदारी का अच्छा अवसर हो सकती है।
जेपी मॉर्गन ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘भाजपा ने 1999-2004 और 2014-2024 के बीच गठबंधन सरकार का सफलतापूर्वक संचालन किया। ध्यान देने की बात यह है कि 2004 के चुनाव में जब वामपंथी पार्टी के समर्थन से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो बाजार अस्थिर गठबंधन को लेकर चिंतित था।
चुनाव परिणाम के बाद प्रमुख सूचकांक निचले स्तरों पर आ गए, लेकिन 6 महीने के अंदर बाजार सभी नुकसान की भरपाई करने में कामयाब रहे और मजबूत आर्थिक रफ्तार की मदद से 2007 तक सबसे बड़ी तेजी दर्ज की गई। ऐतिहासिक तौर पर, निफ्टी ने 1991 के बाद से आम चुनाव के बाद 3/6 महीने में +9 प्रतिशत/+8 प्रतिशत का रिटर्न दिया। इससे पता चलता है कि पिछली गिरावट अक्सर दीर्घावधि के दौरान खरीदारी अवसर के तौर पर समाप्त हुई है।’