नई सूचीबद्ध कंपनियों में से 10 के शेयर अपने इश्यू प्राइस से 10 फीसदी या उससे ज्यादा नीचे हैं। हाल के महीनों में सूचीबद्ध ज्यादातर आरंभिक सार्वजनिक निर्गम लाल निशान में चले गए हैं। मुख्य प्लेटफॉर्म पर सितंबर से सूचीबद्ध 25 कंपनियों में से 15 के शेयर अभी अपनी इश्यू प्राइस से नीचे कारोबार कर रहे हैं। इनमें से 10 के शेयरों में 10 फीसदी या उससे ज्यादा की गिरावट आई है।
निराशाजनक आगाज और बाजार के मनोबल में तेज गिरावट ने इस फिसलन में योगदान दिया है। वेस्टर्न करियर्स (इंडिया), दीपक बिल्डर्स ऐेंड इंजीनियर्स इंडिया, गोदावरी बायोरिफाइनर्स, टोलिन्स टायर्स और बाजार स्टाइल रिटेल के शेयरों में सूचीबद्धता के बाद से उनकी वैल्यू में 20 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
साल 2024 की शुरुआत आईपीओ के लिए मजबूत रही और जुटाई गई कुल पूंजी 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। इससे पहले साल ऐसा 2021 में हुआ था। इस बढ़ोतरी को भरपूर घरेलू नकदी और सूचीबद्धता के बाद उत्साहजनक प्रदर्शन से हवा मिला। हालांकि यह मजबूती अब धूमिल होती दिख रही है क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ रहा है और हालिया आईपीओ के कमजोर प्रदर्शन ने निवेशकों को भरोसा डिगाया है।
रिपोर्ट बताती है कि मंजूरी हासिल कर चुकी करीब 30 कंपनियां अपने आईपीओ में देर कर रही हैं और वे बेहतर हालात का इंतजार कर रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी पूंजी की निकासी अब कम होने की संभावना है। लेकिन इक्विटी बाजार अल्पावधि में सीमित दायरे में रह सकता है जिसकी वजह आय वृद्धि में नरमी आना है।