शेयर बाजार

डिस्काउंट ब्रोकिंग में बढ़ रही भीड़, 1,00,000 तक पहुंच सकता है Sensex; Geojit Financial के फाउंडर ने दी एक चेतावनी

'जहां तक ​​ब्रोकिंग इंडस्ट्री का संबंध है, मुझे आज बड़ी संख्या में ब्रोकर्स के अस्तित्व का कोई कारण नहीं दिखता और इसलिए चल रहा एंटिग्रेशन जारी रहेगा।'

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- July 02, 2024 | 9:44 PM IST

पिछले कुछ महीनों में, बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने शेयर बाजारों में सट्टा गतिविधि (speculative activity) के बारे में चेतावनी दी है। जियोजित फाइनेंशियस सर्विसेज (Geojit Financial Services) के फाउंडर और प्रबंध निदेशक (MD) सीजे जॉर्ज (CJ GEORGE) ने पुनीत वाधवा को एक ईमेल इंटरव्यू में बताया कि युवा व्यापारी तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव्स मार्केट में व्यापार करना जारी रखेंगे क्योंकि आदमी के दिमाग की प्राकृतिक रूप से जुआ की प्रवृत्ति होती है। संपादित अंश:

सेबी के स्लैब-वाइज फीस वसूलने के निर्देश का इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या आप डिस्काउंट ब्रोकर्स के साथ कंपटीशन करने के लिए कोई कदम उठा रहे हैं?

हम डिस्काउंट ब्रोकर्स के साथ कंपटीशन नहीं कर रहे हैं और निकट भविष्य में ऐसा करने की कोई योजना नहीं है। दोनों अपनी पसंद से पूरी तरह अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। हमारे लिए, एक व्यापार केवल एक साधन है; जबकि डिस्काउंट ब्रोकर्स के लिए, व्यापार ही अंत है।

क्या आपको लगता है कि अगले 10 सालों में पारंपरिक ब्रोकरेज का अंत हो जाएगा क्योंकि डेरिवेटिव ट्रेडिंग रफ्तार पकड़ रही है, बजाय सलाह के आधार पर स्टॉक निवेश के?

कोई भी (ट्रेड) एग्जिक्यूशन बिजनेस बिना किसी वैल्यू एडिशन के अंत में डिस्काउंट ब्रोकर्स के पास जाएगा, क्योंकि ट्रेड्स लागत को लेकर बहुत संवेदनशील (cost conscious) होते हैं और ऐसा होना सही है। ट्रेडिशनल ब्रोकर्स के पास एक विकल्प है, या तो डिस्काउंट ब्रोकर्स के तरीके पर जाएं या कोर्स करेक्शन करें और ग्राहकों को वेल्थ बनाने में पूरी तरह से मदद करें। डिस्काउंट ब्रोकिंग स्पेस में भीड़ बढ़ रही है।

दूसरा रास्ता, जो बहुत ज्यादा सार्थक है, वह है ग्राहकों को वेल्थ बनाने में मदद करके प्रासंगिक (relevant) बने रहना। आज, नॉन-ब्रोकरेज रेवेन्यू Geojit के रेवेन्यू का 50 फीसदी से अधिक है क्योंकि हमने रिटेल डेरिवेटिव्स ट्रेडर्स में आलओवर नुकसान देखते हुए कस्टमर्स की वेल्थ बनाने की दिशा में रणनीतिक बदलाव शुरू किया। महत्वपूर्ण रूप से, हमारे ब्रोकरेज इनकम का लगभग 80 फीसदी कैश इक्विटी बिजनेस से आता है।

युवा व्यापारी तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव्स मार्केट में ट्रेड करना जारी रखेंगे क्योंकि आदमी के दिमाग की प्रकृति जुआ की होती है। जब डेरिवेटिव्स ट्रेडर्स महसूस करेंगे कि वे पैसा नहीं कमा रहे हैं और विशेष रूप से जब उनके पास निवेश करने के लिए सीरियस मनी होगी, तो वे निवेशक बन जाएंगे।

क्या ब्रोकिंग, , PMS इंडस्ट्री अधिक भीड़भाड़ से दूर है?

जहां तक ​​ब्रोकिंग इंडस्ट्री का संबंध है, मुझे आज बड़ी संख्या में ब्रोकर्स के अस्तित्व का कोई कारण नहीं दिखता और इसलिए चल रहा एंटिग्रेशन जारी रहेगा। ब्रोकर्स को अब टेक्नोलॉजी, इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी अनुपालन और कार्यशील पूंजी (compliance and working capital) में लगातार बढ़ते निवेश के कारण हाइली कैपिटलाइज्ड होना होगा। जबकि मैं 1987 में 1 लाख रुपये से कम के साथ बिजनेस शुरू करने में सक्षम था, आज 1000 करोड़ रुपये की नेट वर्थ के करीब होने पर भी हम पूंजी की अपर्याप्तता देख रहे हैं। PMS इंडस्ट्री भारत में घरेलू बचत में चल रही वृद्धि के कारण कई गुना बढ़ेगी।

आप अगले एक साल के लिए प्राइमरी और सेकंडरी बाजारों के बारे में क्या सोचते हैं?

सेकंडरी मार्केट शॉर्ट टर्म में हाई वैल्यूएशन के कारण जोखिम वाले जोन में प्रवेश कर सकता है। हालांकि, देश की ग्रोथ ट्रैजेक्टरी बरकरार रहने के साथ, जब सुधार होगा तो लॉन्ग टर्म निवेशक बाजार पर दांव लगाना जारी रखेंगे। मुझे उम्मीद है कि सेंसेक्स अगले दो से तीन वर्षों में 1,00,000 के स्तर को पार कर जाएगा, बशर्ते कोई वैश्विक आर्थिक गिरावट न आए।

पुराने समय के विपरीत, हम फंडामेंटल्स के कारण IPO में क्वालिटी देख रहे हैं, जबकि मूल्य निर्धारण अभी भी एक मुद्दा बना हुआ है। निवेशक मैच्योर हो गए हैं, और वे प्राइमरी मार्केट और सेकंडरी मार्केट को एक ही नजरिये से देखने के लिए तैयार हैं। इसलिए, अच्छे IPO जारी रहेंगे क्योंकि मार्केटस्पेस अधिक सुरक्षित है, इसके लिए नियामकों को धन्यवाद। देश में प्राइमरी मार्केट और सेकंडरी, दोनों बाजार बढ़ेंगे और इसके लिए काफी हद तक श्रेय सेबी (Sebi) को जाता है जो सभी हितधारकों को ‘सुरक्षा’ की भावना प्रदान करता है।

ब्रोकिंग इंडस्ट्री से बजट से संबंधित कोई इच्छा है?

मुझे नहीं लगता कि सरकार पूंजीगत लाभ कर (capital gains tax) में वृद्धि करेगी। ग्लोबल लेवल पर, बढ़ती संख्या में सांसद स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से वैलिड गैंबलिंग के बारे में चिंतित हैं जिसका सोशल और फाइनेंशियल असर है। इसलिए, हेजिंग के अलावा ट्रेडिंग को हतोत्साहित करने के लिए टैक्सेशन में बदलाव सहित घोषणाएं हो सकती हैं।

इनकम टैक्स रेट में वृद्धि से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि अंत में बहुत कम व्यापारी ही पैसा कमाते हैं। जिनके लिए पैसा कमाना महत्वपूर्ण है, उनके लिए शायद महत्वपूर्ण बात यह है कि पैसा कमाने के लिए एक वाइब्रेंट बाजार हो और टैक्सेशन में कोई वृद्धि न हो। किसी भी मामले में अल्गो ट्रेडर्स के लिए लागत अपेक्षाकृत कम है।

First Published : July 2, 2024 | 9:52 AM IST